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देशभर में नदियों को जीवित ईकाई मान्यता देने की मांग, सभी राजनीतिक पार्टियों को भेजा गया मसौदा

डाउन टू अर्थ, 05 अप्रैल लोकसभा 2024 को चुनावी एजेंडे में पर्यावरण के मुद्दे को प्राथिमकता में लाने के लिए जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय ने सभी राजनीतिक दलों और उनके सांसदों  को अपने-अपने चुनावी घोषणा पत्र में पीपुल्स रिवर प्रोटेक्सन बिल को शामिल करने की मांग उठाई है।  एक ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जन आन्दोलन के राष्ट्रीय समन्वय की नेत्री मेधा पाटकर ने कहा कि  ‘2024 के लोकसभा चुनावों के...

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बांध सुरक्षा और पूर्व चेतावनी प्रणाली की अनदेखी ने बनाया सिक्किम की बाढ़ को घातक

मोंगाबे हिंदी,10 अक्टूबर साल 2011 में सिक्किम में आए 6.9 तीव्रता के भूकंप की याद में हर साल 18 सितंबर को राज्य में आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल भी तीस्ता नदी में आने वाली बाढ़ को लेकर तैयारियों पर ध्यान दिया गया। लेकिन कुछ हफ़्तों के बाद ऐसा हुआ जिसका राज्य और बांध अधिकारियों को आपदा के पैमाने का अनुमान नहीं तक था। यह...

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जम्मू और कश्मीर में निर्माण परियोजनाओं की दिक्कतों से जूझ रहे निवासियों को सताने लगा लिथियम माइनिंग का डर

द थर्ड पोल, 29 मई इस साल फरवरी में भारत की प्रमुख वैज्ञानिक एजेंसी ने घोषणा की कि उसे 59 लाख टन लिथियम भंडार के “अनुमानित स्रोत” मिले हैं। यह घोषणा जम्मू और कश्मीर के रियासी ज़िले में रहने वाले लोगों के लिए खुशी की बात नहीं थी। सरकार ने पहले ही इस ज़िले में कीमती लिथियम के खनन की सुविधा के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इस बीच...

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उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में जलवायु परिवर्तन का कहर

जनचौक, 06 अगस्त अंधाधुंध सड़क निर्माण और जल विद्युत परियोजनाएं उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को बढ़ा रही हैं जो हाल के वर्षों में बादल फटने और अचानक बाढ़ आने (flash floods) के रूप में प्रकट हो रहा है। हर गुजरते साल के साथ, आपदाओं की आवृत्ति और परिमाण दोनों और अधिक गंभीर होते जा रहे हैं। यह कैसे जमीनी स्तर पर लोगों के जीवन को प्रभावित कर...

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खबरदार

  खास बात • गंगोत्री ग्लेशियर सालाना ३० मीटर की गति से सिकुड़ रहा है।* • अगर समुद्रतल की ऊंचाई एक मीटर बढ़ती है तो भारत में ७० लाख लोग विस्थापित होंगे।* • पिछले बीस सालों में ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी जिवाश्म ईंधन के दहन से हुई है।* • मानवीय क्रियाकलापों के कारण ग्लोबल ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन में लगातार बढोत्तरी हो रही है। अगर औद्योगीकरण के पहले के समय से तुलना करें तो मानवीय क्रियाकलापों...

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