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अफ्रीकन स्वाइन फीवर: खतरनाक डीएनए वायरस ने पिग फार्मिंग वालों की तोड़ी कमर

-न्यूजलॉन्ड्री, “कोविड की दूसरी लहर से पहले नवंबर-दिसंबर तक असम के कई जिलों में एएसएफ के मामले जीरो तक पहुंच गए थे, हम इस पर लगभग नियंत्रण पा चुके थे. लेकिन ऐसा लगता है कि राज्यों ने बीमार या संक्रमित जानवरों को छांटकर अलग करने या हटाने (कलिंग) के ऑपरेशन को ठीक तरीके से अंजाम नहीं दिया. यह कमी रह गई जिसके कारण शायद यह दोबारा उभरा. कलिंग एक बड़ी चुनौती...

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अमूल की धरती गुजरात का मुख्य चुनावी मुद्दा बना डेयरी फार्मिंग उद्योग

अहमदाबाद: गुजरात ने 50 साल पहले भारत में ‘सफेद क्रांति ' लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ लिमिटेड के डॉ. वर्गीज कुरियन के नेतृत्व में, जो बाजार में अग्रणी अमूल ब्रांड के मालिक हैं ने भारत को ऑपरेशन फ्लड के माध्यम से दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक और दूध के उपभोक्ता में बदल दिया. लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है. भले ही अमूल भारत की सबसे...

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IT करियर छोड़ शुरू किया अपना डेयरी फार्म, आज 1 करोड़ रु. का है टर्नओवर

  यह कहानी संतोष डी सिंह की है जिन्होंने आईटी करियर छोड़कर डेयरी फ़ार्म उद्योग खड़ा किया, आज उनके उद्यम का कुल टर्नओवर 1 करोड़ रुपए सालाना है। कंपनी : अमृता डेयरी फार्म्स  संस्थापक : संतोष डी सिंह  क्या खास : आईटी सेक्टर प्रोफेशनल द्वारा कम संसाधनों के साथ शुरू किया गया उद्यम जो समय के साथ कामयाब बिजनेस की शक्ल ले चुका है।     बेंगलुरु से तकनीकी शिक्षा में पोस्ट ग्रैजुएशन की डिग्री लेने के...

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10 साल में बेहतर रही एमपी में कृषि विकास दर : एसोचैम

भोपाल। उद्यमियों की देश में अग्रणी संस्था द एसोसिएट्स चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (एसोचैम) की रिपोर्ट में मध्यप्रदेश को कृषि और इससे संबंधित क्षेत्रों में पिछले एक दशक में सबसे अधिक विकास दर हासिल करने वाला राज्य बताया गया है। रिपोर्ट में 2004-05 से लेकर 2013-14 के बीच देश के सभी राज्यों के प्रदर्शन का आकलन किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्यप्रदेश की कृषि पर निर्भरता...

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खेतिहर संकट

खास बात · घाटे का सौदा जानकर तकरीबन २७ फीसदी किसान खेती करना नापसंद करते हैं। कुल किसानों में ४० फीसदी का मानना है कि विकल्प हो तो वे खेती छोड़कर कोई और धंधा करना पसंद करेंगे। # पिछले चार दशकों में भूस्वामित्व की ईकाइ का आकार ६० फीसदी घटा है। साल १९६०-६१ में भूस्वामित्व की ईकाइ का औसत आकार २.३ हेक्टेयर था जो साल २००२-०३ में घटकर १.०६ हेक्टेयर रह गया।" · पंजाब...

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