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तमिलनाडु में चक्रवात ओखी के छह साल बाद भी मानसिक स्वास्थ्य से जूझते लोग

मोंगाबे हिंदी, 19 फरवरी  30 नवंबर, 2017 का दिन था, भारत के दक्षिणी छोर पर तटीय जिले कन्याकुमारी के गहरे समुद्र के मछुआरों ने खुद को एक बहुत ही खतरनाक चक्रवाती तूफान में फंसा पाया। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने एक दिन पहले यानी 29 नवंबर, 2017 को भारी बारिश और तेज हवाओं की चेतावनी जारी कर दी थी। मछली पकड़ने वाले समुदाय को दोपहर 2:30 बजे के आसपास ‘समुद्र में...

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समुद्री मलबे के जरिए दक्षिण-पूर्वी तट पर पहुंच रही विदेशी आक्रामक प्रजातियां

मोंगाबे हिंदी, 22 जनवरी समुद्री जीव प्लास्टिक, रबर, कांच, फोम स्पंज, धातु और लकड़ी के मलबे पर सवार होकर दक्षिण पूर्वी भारत के तटों तक पहुंच रहे हैं। इसकी वजह से स्थानीय जैव विविधता संरक्षण को लेकर चिंताएं बढ़ गईं है। एक अध्ययन ने इस बात का खुलासा किया है। ‘सत्यबामा इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, चेन्नई’ के सेंटर फॉर एक्वाकल्चर से जुड़े गुनाशेखरन कन्नन और टीम की रिपोर्ट बताती है कि...

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मुश्किल में समुद्री शैवाल की खेती से जुड़ी महिलाएं

मोंगाबे हिंदी, 22 जनवरी   “मेरी मां समुद्री शैवाल इकट्ठा किया करती थीं। उस समय मेरी उम्र काफी कम थी लेकिन फिर भी उन के साथ जाती और उनकी मदद करती थी। तभी से मैं समुद्री शैवाल की खेती करती आ रही हूं।” समुद्री शैवाल के बारे में एक स्वयं सहायता समूह को प्रशिक्षण देने वाली 45 साल की आर. सुगंती ने याद करते हुए बताया। वह तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में...

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लैंटाना से हाथी और फर्नीचर बनाकर इस आक्रामक पौधे को खत्म करने की कोशिश

मोंगाबे हिंदी, 08 जनवरी दुनिया की सबसे कुख्यात आक्रामक प्रजातियों में से एक लैंटाना (लैंटाना कैमारा ) के फैलाव को रोकने की उम्मीद के साथ साल 2009 में एक प्रयोग शुरू हुआ था। यह प्रयोग एनजीओ शोला ट्रस्ट ने तमिलनाडु के एक गांव में शुरू किया था जो लंबे समय तक चलने वाला था। एनजीओ ने गांव के स्थानीय समुदायों को लैंटाना के तनों की कटाई करने और उन्हें बेचने योग्य...

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लैंटाना से हाथी और फर्नीचर बनाकर इस आक्रामक पौधे को खत्म करने की कोशिश

मोंगाबे हिंदी, 04 जनवरी दुनिया की सबसे कुख्यात आक्रामक प्रजातियों में से एक लैंटाना (लैंटाना कैमारा ) के फैलाव को रोकने की उम्मीद के साथ साल 2009 में एक प्रयोग शुरू हुआ था। यह प्रयोग एनजीओ शोला ट्रस्ट ने तमिलनाडु के एक गांव में शुरू किया था जो लंबे समय तक चलने वाला था। एनजीओ ने गांव के स्थानीय समुदायों को लैंटाना के तनों की कटाई करने और उन्हें बेचने योग्य...

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