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बंद पड़े कोयला बिजली संयंत्रों का अधिग्रहण करना एनटीपीसी के लिए हो सकता है फायदे का सौदा: रिपोर्ट

मोंगाबे हिंदी, 26 जुलाई ऊर्जा बाजारों पर शोध करने वाली संस्था, इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंसियल एनालिसिस (आईईईएफए) की एक रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) को नए कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट बनाने के बजाय बंद पड़े थर्मल प्लांटों का अधिग्रहण करना चाहिए जो भारत की अल्पकालिक ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों को पूरा करेंगे और ऋणदाताओं, मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की बैलेंस शीट में सुधार...

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नए ताप विद्युत संयंत्रों को कैसे प्रभावित करेगा 40% अक्षय ऊर्जा का नया नियम

मोंगाबे हिंदी,8 मई ऊर्जा मंत्रालय (MoP) ने ऊर्जा उत्पादकों के लिए 27 फरवरी को ‘रिन्यूएबल जेनरेशन ऑब्लिगेशन (आरजीओ)’ की एक नई अवधारणा पेश करते हुए एक अधिसूचना जारी की। अधिसूचना के मुताबिक, किसी भी कोयला या लिग्नाइट-आधारित नए कमर्शियल थर्मल पावर प्लांट को अपनी कुल ऊर्जा का एक हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों से पैदा करना होगा। नए आरजीओ के अनुसार, इन संयत्रों को अपनी कुल क्षमता के कम से कम 40 प्रतिशत हिस्से...

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तीन दिन से क्यों पैदल चल रहे हैं आदिवासी, क्या हैं उनकी मांगें?

डाउन टू अर्थ, 24 फरवरी छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में 39 से अधिक गांवों के आदिवासियों ने तीन दिवसीय पदयात्रा शुरू की है। आदिवासियों की मांग है कि विकास के नाम पर उनकी जमीनों को सरकार ने हथिया लिया, लेकिन अब तक न तो पुनर्वास किया गया और न ही उचित मुआवजा दिया गया है। साथ ही, उन्हें उनकी जमीनों पर बनी खदानों व पावर प्लांटों से निकलने वाला प्रदूषण भी झेलना...

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राष्ट्रीय जस्ट ट्रांजिशन योजना भारत के लिए क्यों है जरूरी

 कार्बनकॉपी, 22 फरवरी कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने पिछले 7 दिसंबर को लोकसभा में कहा था कि फिलहाल सरकार की जस्ट ट्रांजिशन (न्यायोचित परिवर्तन) पॉलिसी शुरू करने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘निकट भविष्य में कोयले से ट्रांजिशन नहीं हो रहा है’ और भले ही नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर दिया जा रहा हो, लेकिन देश के ‘ऊर्जा उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी आने वाले वर्षों में महत्वपूर्ण रहने वाली...

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ग्लासगो के संकल्प कहीं हिमालय को बर्बाद न कर दें!

-गांव सवेरा, स्काटलैंड के शहर ग्लासगो में सीओपी26 (कान्फ्रेंस ऑफ पार्टिस 26) का आयोजन 1 नवंबर से शुरु हुआ था। भारत का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसमें शामिल होते हुए जिन समझौतों और संकल्पों पर हस्ताक्षर किए हैं इससे न केवल भारत पर अमेरिका, ब्रिटेन जैसे साम्राज्यवादी देशों को शिकंजा बुरी तरह से कसा जाएगा बल्कि यह पूरे देश सहित हिमालय क्षेत्र के लिए बुरे नतीजे निकलने वाले हैं। नेट जिरो...

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