-द बेटर इंडिया, मूल रूप से मध्य प्रदेश के डिंडोरी के छोटे से गांव बुरबासपुर की रहने वाली दुर्गा बाई व्योम (Durga Bai Vyom) कभी स्कूल नहीं गईं। लेकिन कला के दम पर उन्होंने देश में अपनी एक खास जगह बनाई है। दरअसल, दुर्गा बाई को आदिवासी कला को एक नई ऊंचाई देने के लिए हाल ही में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। लेकिन उनकी यहां तक पहुंचने की...
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नए भारत में पनपते अंधविश्वास आधारित अपराध
-कारवां, “हमे नहीं पता कि क्या हुआ है!” आदिवासी कार्यकर्ता और पेशे से डॉक्टर अभय ओहरी रतलाम, मध्य प्रदेश में जय आदिवासी युवा शक्ति नाम का एक आदिवासी युवा संगठन चलाते हैं. एक दिन उन्हें संगठन के एक कार्यकर्ता का फोन आया, जिसने घबराई हुई आवाज में उन्हें जल्द से जल्द रतलाम जिला अस्पताल पहुंचने के लिए कहा. उन्हें बताया गया कि “राजाराम खादरी का शव यहां है. वो मर चुका है....
More »एक नारीमय राजनीति की बुनियाद-- रुचिरा गुप्ता
चंपारण सत्याग्रह में औरतें पहली बार हिंदुस्तान की जमीनी राजनीति से जुड़ीं और यह औरतों की भागीदारी का बुनियाद बन गया. सूत कातना और खादी बुनना गरीब से गरीब महिला भी अपने घर में कर सकती थी. लाखों वॉलंटियरों, विशेषकर महिलाओं को, जो अपना घर नहीं छोड़ सकतीं थीं और पढ़ी-लिखी भी नहीं थी, अब आंदोलन भाग ले सकती थीं. इन कार्यों ने सबको बदला-शक्तिशाली और कमजोर को, मर्द को...
More »25 करोड़ की योजना में लगे 10 अरब
पटना। विभागीय लापरवाही, लाल फीताशाही और लेटलतीफी के दलदल से निकलकर करीब चार दशक बाद दुर्गावती जलाशय परियोजना जनता की सेवा के लिए तैयार है। 10 जून 1976 को 25.30 करोड़ रुपये लागत के अनुमान के साथ शुरू हुई योजना पर अब तक आठ सौ करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और मुकम्मल तौर पर 1064.28 करोड़ रुपये खर्च होंगे। परियोजना का उद्घाटन बुधवार 15 अक्टूबर को होगा। रोहतास और कैमूर...
More »ज़मीन आदिवासियों की, क़ब्ज़ा किसी और का!- आलोक प्रकाश पुतुल
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के मीलूपारा की जानकी के लिए अपनी ज़मीन से पूरे 14 साल दूर रहना किसी वनवास से कम नहीं था. 14 साल तक तहसीलदार से लेकर हाईकोर्ट तक चली लड़ाई के बाद अब कहीं जा कर उनकी चार एकड़ ज़मीन वापस करने की प्रक्रिया शुरू की गई है. हल्का पटवारी द्वारा अदालत में प्रस्तुत अपने 5 जनवरी 2012 के जांच रिपोर्ट में बताया गया कि जानकी बाई की ज़मीन...
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