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खतरे में खाद्य उत्पादन, बढ़ते तापमान से भारत में 73 फीसदी तक घट सकती है किसानों की श्रम उत्पादकता

डाउन टू अर्थ, 22 जनवरी   कहते हैं जब किसान का पसीना धरती पर गिरता है तो दाना उपजता है, जो धरती पर करोड़ों लोगों का पेट भरता है। इसमें शक नहीं की खेती-किसानी बड़ी मेहनत का काम है। इसके लिए किसानो को तपती गर्मी, बारिश और हाड़ गला देने वाली सर्दी की परवाह किए बिना जूझना पड़ता है। लेकिन बढ़ता तापमान देश के इन मेहनतकश किसानों को भी आजमा रहा है। इसका...

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इंसानों के चलते 250 करोड़ एकड़ क्षेत्र में खारी हो रही जमीन, बिगड़ रहा 'नमक चक्र' का संतुलन

डाउन टू अर्थ, 29 नवम्बर  क्या आप जानते हैं कि जो नमक हमारे लिए बेहद जरूरी है उसकी जरूरत से ज्यादा मात्रा पर्यावरण और इंसानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रही है। विडम्बना देखिए कि जिस तरह से पर्यावरण में खारापन बढ़ रहा है उसके लिए हम इंसान ही जिम्मेवार हैं। रिसर्च से पता चला है कि इंसानों के कारण दुनिया भर में बढ़ते लवणीकरण से 250 करोड़ एकड़ क्षेत्र में...

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इंसानों के चलते 250 करोड़ एकड़ क्षेत्र में खारी हो रही जमीन, बिगड़ रहा 'नमक चक्र' का संतुलन

डाउन टू अर्थ, 24 नवम्बर  क्या आप जानते हैं कि जो नमक हमारे लिए बेहद जरूरी है उसकी जरूरत से ज्यादा मात्रा पर्यावरण और इंसानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रही है। विडम्बना देखिए कि जिस तरह से पर्यावरण में खारापन बढ़ रहा है उसके लिए हम इंसान ही जिम्मेवार हैं। रिसर्च से पता चला है कि इंसानों के कारण दुनिया भर में बढ़ते लवणीकरण से 250 करोड़ एकड़ क्षेत्र में...

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भूजल संरक्षण : उत्तर भारत मे रोपाई धान पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए सरकार

डाउन टू अर्थ, 5 अप्रैल जल ऊर्जा का भंडार, पोषक तथा जीवनदाता है। इसके बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं और साथ ही पीने योग्य जल धरती पर अत्यल्प मात्रा में उपलब्ध है। ऐसे में दुनियाभर में जल बचाने की कोशिशें जारी हैं। विश्व स्तर पर जन जागरूकता अभियान जारी है। जल संरक्षण एक नागरिक के तौर पर भी हमारा दायित्व है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51ए (7) के मुताबिक, हर व्यक्ति...

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प्राकृतिक नहीं, एक सुनियोजित आपदा है जोशीमठ

डाउन टू अर्थ, 10 फरवरी  हिमालय की ढलानों पर 1,874 मीटर की ऊंचाई पर बसे जोशीमठ शहर के धंसने की शुरुआत हो चुकी है। आशंका इस बात की है कि केवल एक यही शहर ही नहीं, बल्कि आसपास के दूसरे कई गांव या कस्बे भी धीरे-धीरे धरती में समा सकते हैं। लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जा रहा है और सरकारें उन सुरक्षित जगहों की तलाश में जी-जान से जुटी...

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