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कभी खूबसूरती और छाया के लिए लगाए गए थे कसोद के पौधे, अब बने जंजाल

मोंगाबे हिंदी, 27 फरवरी साल 1986 में केरल के वन विभाग ने एक ऐसा फैसला लिया था जिसके लिए उन्हें कई दशक बाद पछताना पड़ रहा है। वन विभाग की सोशल फॉरेस्ट्री विंग ने कसोद (सेन्ना स्पेक्टाबिलिस) के पौधों की नर्सरी तैयार की और छाया के लिए इन पौधों को वायनाड जिले में मौजूद वायनाड वाइल्डलाइफ सैंक्चरी के ऑफिस परिसर के साथ-साथ मुथंगा और थोलपेट्टी इलाकों में सड़क के किनारे लगा...

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क्‍या आयुष डॉक्टर ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य सुव‍िधाओं को बेहतर कर सकते हैं? लेकिन चुनौत‍ियां भी कम नहीं

इंडियास्पेंड, 17 अक्टूबर नासिक शहर से 49 किमी दूर वाविहर्ष और देवगांव की बस्तियों में एक उप स्वास्थ्य केंद्र बना है। वैसे तो यह यहां रहने वाले लोगों को स्‍वास्‍थय सुव‍िधा देने की पहली कड़ी है। लेकिन अब ये इमारत क‍िसी उपयोग में नहीं है। देवगांव में इस उपकेंद्र को वर्ष 2002 में बनाया गया था। लेकिन इसे कभी भी उपकेंद्र के रूप में पंजीकृत नहीं किया गया। "आज इमारत धूल से...

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राजस्थानः 2021 में तस्करों से बचाई गई हथिनी को पुनर्वास का इंतजार

मोंगाबे हिंदी, 13 सितम्बर राजस्थान में, 500 दिन पहले तस्करों से बचाई गई एक हथिनी अभी भी पुनर्वास के लिए उचित जगह का इंतजार कर रही है। इसकी तबीयत लगातार खराब होती जा रही है। दरअसल जहां इसे रखा गया है वहां बचाए गए हाथियों के इलाज के लिए उचित सुविधा नहीं है। अधिकारियों को नहीं पता कि आगे क्या होगा।  18 नवंबर, 2021 को, राजस्थान के वन विभाग ने राज्य की...

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मैंग्रोव रोपाई के लिए प्लास्टिक की जगह लेते ताड़ के पत्तों से बने नर्सरी बैग

मोंगाबे हिंदी, 29 अगस्त फूस से बनी अपनी झोपड़ी के पास बैठकर, अचिक्कन्नु मछली पकड़ने के टूटे हुए जाल से बने बाड़ पर रखे ताड़ के सूखे पत्ते (बोरासस फ्लेबेलिफ़र) की तरफ हाथ बढ़ाती हैं। वह पत्तियों को बराबर हिस्सों में काटती हैं। बार-बार बुखार से जूझने के बावजूद, वह ताड़ के सूखे पत्तों से 40 मिनट में एक नर्सरी बैग तैयार कर सकती हैं। तमिलनाडु के तंजावुर जिले के एक...

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4 साल की अच्छी मानसूनी वर्षा के बाद अब केरल में सूखे जैसी स्थितियां, अब तक 45 फीसदी कम हुई वर्षा

डाउन टू अर्थ, 25 अगस्त  दक्षिणी पश्चिमी मानसून के कमजोर होने के चलते केरल के सभी 14 जिलों में सूखे जैसी स्थितियां पैदा हो गई हैं। खासतौर से इडुक्की और वायनाड जैसे पहाड़ी जिले भी सूखे जैसी स्थितियों की मार झेल रहे हैं। दक्षिणी पश्चिमी मानसून अपने आखिरी चरण में जा रहा है इसके बावजूद वायनाड में सूखे जैसी स्थितियां विभिन्न तरह के चावल उगाने वाले किसानों के लिए चिंताजनक हो...

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