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पश्चिम बंगाल के दक्षिण-मध्य में प्रवासी पक्षियों के अवैध शिकार पर रोक

मोंगाबे हिंदी, 07 मार्च इसी साल 15 फरवरी को पश्चिम बंगाल के वन विभाग के अधिकारियों ने एक शख्स को पश्चिम बंगाल के मध्य में स्थित मुर्शिदाबाद जिले के 100 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में फैले पाटन बील वेटलैंड से निकलकर साइकिल पर जाते समय गिरफ्तार किया था। अधिकारियों ने एक नायलॉन बैग में इसके पास से तीन प्रवासी पक्षी बरामद किए जिन्हें वह एक ‘ग्राहक’ को देने जा रहा था।...

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आत्मनिर्भर बन रही हैं केरल की आदिवासी महिलाएँ

बाबा मायाराम, पालक्काड़ “हम जल, जंगल और जंगली जानवरों का संरक्षण करने के साथ-साथ आदिवासियों की आजीविका को भी बचाने की कर रहे हैं। जंगल से हम उतना ही लेते हैं, जितनी जरूरत होती है। जंगली जानवरों के लिये को उनके पसंद के फल, फूल, पत्ते और कंद छोड़ देते हैं; जिससे वे भी जिये और जंगल की जैव-विविधता भी बनी रहे।” यह मंजू वासुदेवन थीं, केरल के त्रिचूर जिले में ‘फॉरेस्ट...

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डीपीसीसी ने कहा निष्प्रभावी हैं स्मॉग टावर, दिल्ली कवर करने के लिए 40 हजार से अधिक टावर की जरूरत

डाउन टू अर्थ, 17 नवम्बर दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रयोग के तौर पर लगाए गए स्मॉग टॉवर का कोई असर नहीं दिख रहा है। दिल्ली अब भी वायु प्रदूषण को कम करने के लिए मौसमी कारकों पर निर्भर है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि कनॉट प्लेस व आनंद विहार के पास संचालित स्मॉग...

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केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में रस्टी स्पॉटेड कैट की निगरानी के लिए 100 कैमरा ट्रैप

मोंगाबे हिंदी, 8 नवम्बर  पिछले महीने राजस्थान के भरतपुर में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में अपने बिल्ली के बच्चे को ले जाते हुए एक रस्टी स्पॉटेड कैट (लोहे पर लगे जंग जैसे धब्बे) (वैज्ञानिक नाम- प्रियोनैलुरस रुबिगिनोसस) की तस्वीर सामने आई थी। इसके बाद अधिकारी सक्रियता के साथ इस प्रजाति की निगरानी के लिए रणनीतियां तैयार कर रहे हैं। भरतपुर राष्ट्रीय उद्यान के उप वन संरक्षक (वन्यजीव) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक...

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कम हो रहे हैं हिमालय के ग्लेशियर और बर्फ, आने वाले समय में और अधिक खतरे की आशंका – अध्ययन

मोंगाबे हिंदी, 26 अक्टूबर हिमालयन यूनिवर्सिटी कंसोर्टियम (एचयूसी) के फेलो जैकब एफ. स्टीनर ने कहा, “वैज्ञानिकों के रूप में, हमें सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि हिमालय में ग्लेशियर किस पैमाने पर पिघल रहे हैं।” उदाहरण के लिए, हिमालय में एक ग्लेशियर है जिसकी सबसे लंबे समय तक निगरानी की गई है। यह अब लगभग मर चुका है। वहां जो बचा है वह सिर्फ बर्फ का एक लटका हुआ...

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