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एक साथ चलती हैं पानी और संस्कृति, समाज की विफलता की निशानी है पानी का न बचना

डाउन टू अर्थ, 18 अप्रैल  स्वच्छ जल के बिना एक स्वस्थ और सुखद जीवन की कल्पना करना असंभव है। चाहे केंद्र हो या राज्य, ग्रामीण समुदायों तक पानी पहुंचाना हर नई सरकार की प्राथमिकता रही है। हालांकि अनुभव से पता चलता है कि भले ही पानी की सुविधा कई गांवों में “उपलब्ध” हो गई है, लेकिन ऐसे गांवों की संख्या भी बढ़ी है, जहां पानी फिर से “अनुपलब्ध” हो चुका है। दरअसल जलापूर्ति...

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मिशन अमृत सरोवर योजना में हो रही नियमों की अनदेखी, नियमों के विपरीत विकसित किए जा रहे सरोवर!

इंडियास्पेंड, 09 जनवरी  “अमृत सरोवर विकसित करने के लिए मनरेगा से करीब 30 लाख बजट के तहत काम शुरू हुआ था। निर्माण स्थल पर पानी भर जाने के कारण काम पूरा नहीं हो सका है। पांच फेज में यह कार्य पूरा किया जाना है, अभी एक फेज का काम भी पूरा नहीं हुआ है। काम पूरा होने के बाद सूचना बोर्ड लगवा दिया जाएगा। सीवरेज पानी के निस्तारण के लिए सीवरेज...

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पर्यावरण मुआवजे को दूसरे उद्देश्यों के लिए क्यों किया गया खर्च, एनजीटी ने सीपीसीबी को लिया आड़े हाथों

डाउन टू अर्थ, 20 दिसम्बर  नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने निर्देश दिया है कि पर्यावरण मुआवजे के रूप में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पास जमा की गई धनराशि को डायवर्ट नहीं किया जाना चाहिए। न ही उसमें किसी प्रकार की कोई वित्तीय अनियमितता होनी चाहिए। एनजीटी के अनुसार, इस तरह की कार्रवाइयों को सीपीसीबी द्वारा धन का दुरुपयोग माना जाएगा। साथ ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने यह भी कहा...

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उत्तरकाशी हादसा: हिमालय की ‘अस्थिर’ पहाड़ियों में बदलना होगा सुरंग बनाने का तरीका

कार्बनकॉपी, 24 नवम्बर  उत्तरकाशी के बड़कोट-सिल्कियारा सुरंग के भीतर फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने की जद्दोजहद का यह दसवां दिन है। 21 नवंबर को फंसे मज़दूरों का पहला वीडियो जारी किया गया था, और रुका हुआ बचाव कार्य फिर शुरू किया गया था। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, मज़दूरों तक पहुंचने के लिए ड्रिलिंग फिर से शुरू की जा चुकी है। मंगलवार को जारी किया गया वीडियो फंसे हुए मज़दूरों के परिजनों...

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जम्मू के तवी रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट से हो सकता है नदी को नुकसान, पर्यावरणविदों ने जताई चिंता

मोंगाबे हिंदी, 20 सितम्बर जम्मू-कश्मीर में सरकार की ओर से बनाए जा रहे तवी रिवरफ्रंट को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी चिंता जताई है कि इससे पर्यावरण को खतरा है और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बुरे होते जा रहे हैं। रुपये 530 करोड़ के खर्च से बनाए जा रहे इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य भूजल से स्रोतों को जिंदा करना है। इसके लिए कृत्रिम झीलें बनाई जा रही हैं और उनके साथ ही...

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