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जेंडर

खास बात   साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38%  फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...

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कर्नाटक के नए पशुवध कानून से आती रोज़गार में कमी

-इंडियास्पेंड, तमाम परेशानियों के बावजूद शाहिद कुरैशी की सुरमा लगी आंखों में उम्मीदों के कुछ निशान अभी बाकी थे। यह जानते हुए भी कि वह अब कभी अपने पुराने काम पर नहीं लौट पाएंगे। पूर्वी बेंगलुरु के टेनरी रोड के बूचड़खाने में दशकों से उनके हाथ मांस के इस मुश्किल और मेहनत से भरे काम को अंजाम देते आ रहे थे। काम करते-करते उनकी हथेलियां सख्त और खुरदरी हो गईं हैं। ये...

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पंजाब के दलित: चुनाव में दिखे जरूर, मगर असल मुद्दे गायब रहे

-गांव सवेरा,  पंजाब विधानसभा चुनाव में भाग ले रहे मुख्य राजनीतिक दल प्रचारात्मक तौर पर दलितों को चुनाव में इस बार अधिक हिस्सेदारी की इश्तेहारी कर रहे हैं. शुरूआत पिछले साल भाजपा ने यह घोषणा कर की थी कि अगर वह जीतते हैं तो वे एक दलित मुख्यमंत्री को मुख्यमंत्री बनाएंगे. कांग्रेस ने आचार संहिता लगने से ठीक 111 दिन पहले दलित समुदाय के राजनेता चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना...

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कम से कम 80 फ़ीसदी ज़िलों में मनरेगा लोकपाल नहीं नियुक्त करने पर राज्य नहीं पाएंगे राशि

-द वायर, अगले वित्तीय वर्ष से केंद्र सरकार महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत उन राज्यों को राशि आवंटित नहीं करेगी, जो कम से कम 80 फीसदी जिलों में मनरेगा लोकपाल नियुक्त नहीं कर सके हैं. एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी. ग्रामीण विकास सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा ने कहा, ‘आदर्श रूप में राज्यों को मनरेगा के तहत अपने सभी जिलों में लोकपाल नियुक्त करना चाहिए....

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पांच राज्यों में चुनाव: डिजिटल प्रचार से फायदा किसका

-न्यूजलॉन्ड्री,  जैसे- जैसे पांचों राज्यों के चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे- वैसे राजनीतिक दलों और नेताओं का प्रचार तेज हो गया है. लेकिन इस बार का चुनाव एक अलग अंदाज में होने जा रहा है. दरअसल इस बार हमेशा की तरह बड़ी-बड़ी रैलियां नहीं देखने को मिलेंगी. ऐसा इसलिए क्योंकि चुनाव आयोग ने कोरोना के चलते पांचों राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में बड़े पैमाने पर सभाओं...

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