-लल्लनटॉप, पिछले साल दिसंबर में जब झारखंड में सरकार बदली तो सीएम हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार ने पहली कैबिनेट मीटिंग में एक बड़ा फैसला लिया. यह फैसला पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़ा था. पहली कैबिनेट में पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े सभी केस वापस लेने का फैसला लिया गया. इस फैसले को एक साल होने वाले हैं लेकिन सरकार ने अब तक केस वापस लेने का अनुरोध कोर्ट को नहीं भेजा...
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ग्राम सभाओं की जरूरत-- डा. अनुज लुगुन
आम बजट में सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य रखा है. बजट पर अर्थशास्त्रियों के अपने-अपने मत हैं. बीबीसी की वेबसाइट में प्रकाशित एक आर्थिक विश्लेषण में कहा गया कि अर्थव्यवस्था कहां होगी और अर्थव्यवस्था में कौन कहां होगा, ये दो अलग-अलग और महत्वपूर्ण सवाल हैं. हमारा सवाल भी यही है कि अर्थव्यवस्था में कौन कहां होगा? इस सवाल को आर्थिक से ज्यादा सामाजिक...
More »पांचवीं अनुसूची का महत्व-- अनुज लुगुन
साल 1820 में झारखंड के ‘हो' आदिवासी समुदाय और अंग्रेजों के बीच चाईबासा के निकट रोरो नदी के किनारे पहली लड़ाई हुई थी. उसके पहले न ही अंग्रेजों का और न ही मुख्यधारा के समाज का ‘हो' आदिवासियों से शासकीय संबंध था. तब के अंग्रेज अधिकारी मेजर रफसेज ने कूटनीतिक हितों को देखते हुए कोल्हान के हो आदिवासियों को कंपनी शासन के अधीन रखने की योजना बनायी. अंग्रेजों द्वारा हो...
More »आदिवासी अधिकार के नाम पर- शशिशेखर
जिस समय कश्मीर का अलगाववाद पूरे देश में चिंता का विषय बना हुआ है, ठीक उसी समय झारखंड के कुरूंगा गांव में एक दूसरा दृश्य दिख रहा है। वहां एक शिलालेख पर लिखा है- ‘भारत में गैर आदिवासी दिकु, विदेशी केंद्र सरकार को शासन चलाने और रहने का लीज एग्रीमेंट 1969 ई. में ही समाप्त हो गया है।' ‘वोटर कार्ड (मतदान पहचान पत्र) और आधार कार्ड (आम आदमी का अधिकार कार्ड) आदिवासी...
More »झारखंड: बोले पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी- राज्य में मानवीय विकास की स्थिति दयनीय है
पूर्व मुख्यमंत्री सह झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कहा कि देश में सामाजिक उथल-पुथल की स्थिति है. हर आदमी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है. जगह-जगह सांप्रदायिक हिंसा दिखायी पड़ रही है. स्वतंत्रता के बाद पहली बार देश बंटा हुआ दिख रहा है. मानवीय विकास के पैमाने पर ही राज्य का विकास देखा जाता है. राज्य में मानवीय विकास की स्थिति दयनीय है. यही वजह है कि लोग...
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