बिना शोरगुल मचाए उसने काम किया। न काम का श्रेय लिया; बस अपने हिस्से का काम किया। और एक दिन इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनका जाना भी खामोशी की तहों में छिप गया। लेकिन, पहले भी उनका काम बोल रहा था और आज भी उनका काम बोल रहा है। पी.वी. सतीश; पेरियापटना वेंकटसुब्बैया सतीश। आपकी पैदाइश सन् 1945 के जून महीने की है। जन्म, कर्नाटक के मैसूर जिले के खाते–पीते...
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भारत पहुंचने के कुछ घंटों के अंदर अमेरिकी पत्रकार को दिल्ली एयरपोर्ट से वापस भेजा गया
द वायर, 25 अगस्त बुधवार, 24 अगस्त की रात अमेरिकी नागरिक और अमेरिकी मीडिया कंपनी वाइस (Vice) के पत्रकार अंगद सिंह को दिल्ली में उनके फ्लाइट से उतरने के कुछ ही घंटों बाद ही आईजीआई एयरपोर्ट से कथित तौर पर वापस भेज दिया गया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सिंह के परिवार ने आरोप लगाया कि उनकी फ्लाइट रात 8:30 बजे दिल्ली में उतरी थी और तीन घंटे के भीतर उन्हें...
More »उत्तर प्रदेश : जहाँ स्वतंत्र पत्रकारिता करना अपराध है
गांव सवेरा,09 अगस्त ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को 27 जून के दिन एक ट्वीट के लिए गिरफ्तार किया गया। पुलिस का आरोप था कि इस ट्वीट से कथित तौर पर धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 20 जुलाई को मामले की सुनवाई करते हुए 39 वर्षीय पत्रकार को सभी छह मामलों में जमानत दे दी। ये सभी मामले उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनके खिलाफ दायर किये थे।...
More »जयंती पर विशेष: वर्तमान में नहीं रही प्रेमचंद युग की पत्रकारिता
जनचौक, 31 जुलाई वाराणसी। प्रेमचंद जी कहते हैं कि समाज में ज़िन्दा रहने में जितनी कठिनाइयों का सामना लोग करेंगे उतना ही वहां गुनाह होगा। अगर समाज में लोग खुशहाल होंगे तो समाज में अच्छाई ज़्यादा होगी और समाज में गुनाह नहीं के बराबर होगा। प्रेमचन्द ने शोषित वर्ग के लोगों को उठाने का हर संभव प्रयास किया। उन्होंने आवाज़ लगाई ‘ए लोगों जब तुम्हें संसार में रहना है तो जिन्दों...
More »भड़ास4मीडिया भारत की हिंदी पत्रकारिता का प्रहरी कैसे बना
13 साल पहले, यशवंत सिंह ने अपने न्यूज़रूम से निराशा व्यक्त करने के लिए एक ब्लॉग शुरू किया था. आज भड़ास4मीडिया भारत के क्षेत्रीय पत्रकारों की चुटीली आवाज है. 49 वर्षीय सिंह 13 सालों से भड़ास4मीडिया के संपादक हैं. यह एक समाचार वेबसाइट है जो भारत के हिंदी समाचार कक्षों की सच्चाई बयान करती है -- सनकी संपादकों, दखलंदाज मालिकों और खस्ताहाल पत्रकारों की कहानियां कहती है. ग्रेटर नोएडा की एक सोसाइटी...
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