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ट्रंप भले ही हार जाएं लेकिन अमेरिका में ट्रंपवाद का उभार हो चुका है, यह प्रदर्शन से ज्यादा पॉपुलिज्म पर निर्भर है

-द प्रिंट, अमेरिकी राष्ट्रपति के इस चुनाव की राजनीतिक उपलब्धि यह नहीं होगी कि कौन जीता. यह तो तय है कि चुनाव वही जीतने जा रहा है, जो जीत का हकदार है. लेकिन इससे भी आगे जाकर देखें तो भविष्य में अमेरिका और भारत समेत दुनिया के दूसरे लोकतंत्रों की राजनीति पर इस तथ्य का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने वाला है कि डोनाल्ड ट्रंप ने लगभग 50 फीसदी पॉपुलर वोट हासिल कर...

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मौलिक अधिकारों का संघर्ष जारी, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार चार्टर के 70 साल

मनुष्यों के लिए नागरिक, सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक अधिकार मौलिक मानवाधिकारों की श्रेणी में आते हैं. विभिन्न रिपोर्टें इस बात की पुष्टि करती हैं कि दुनिया की एक बड़ी आबादी आज भी अपने बुनियादी अधिकारों के लिए संघर्षरत है और मानवाधिकार उल्लंघन का शिकार है. मानवाधिकार के पक्ष में आवाज बुलंद करने की जरूरत को समझते हुए कई देश संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में 70 साल पहले एकजुट...

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सहकारी संघवाद चलाना मुश्किल -- संदीप मानुधने

आज के राजनीतिक विवादों (विशेषकर नोटबंदी के बाद के संघर्ष) को देखें, तो सवाल उठता है कि भारत संघात्मक है या एकात्मक? इसका विश्लेषण इतिहास, संविधान और आर्थिक वास्तविकताओं को समझने से हो सकेगा. सहयोगी संघवाद (कोआॅपरेटिव फेडेरलिज्म) वह दृष्टिकोण है, जिसमें राष्ट्रीय और राज्य सरकारें साझा समस्याओं को सुलझाने के लिए परस्पर सहयोग करती हैं. इसके सफल परिचालन के लिए शक्तियों का एक संघीय संतुलन निर्मित करना...

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दिल्ली की हार के बाद बनेगा आर्थिक नीतियों में बदलाव का दबाव

नई दिल्ली. करीब 9 महीने पहले नरेंद्र मोदी 'अच्छे दिनों' के नारे और वादों के साथ पर केंद्र की सत्ता पर काबिज हुए थे। इसके लिए उन्होंने बहुत ही प्रभावशाली तरीके से गुजरात के विकास के मॉडल को देश के सामने रखकर लोगों को 'अच्छे दिनों' का सपना दिखाया था। लेकिन जिस तरह से दिल्ली विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को करारी हार मिली है, उससे साफ हो...

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