इंडियास्पेंड, 01 फरवरी साल 2023 लैंगिक समानता के लिहाज से खासा महत्वपूर्ण साबित हुआ है। जहां एक तरफ महिलाओं के लिए संसद और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें सुनिश्चित करने वाले ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ को पास किया गया, वहीं महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए भारत की जी20 अध्यक्षता भी काफी सफल रही। लेकिन सिक्के के दूसरे पहलू की तरफ देखें तो तस्वीर कुछ और...
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पारिस्थितिकी तंत्र के लिए वैश्विक खतरा हैं जैव आक्रमण
मोंगाबे हिंदी, 30 जनवरी आक्रमणकारी प्रजातियों का प्रसार जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं के सामने मौजूद पांच बड़े खतरों में से एक है। ऐसे जानवर, पौधे, कवक और सूक्ष्म जीव जो कि खुद को अपने प्राकृतिक आवास के बाहर ऐसी जगह पर खुद को विकसित करते हैं जहां कि वे स्थानीय जैव विविधता नकारात्मक असर डालते हैं, उनके बारे में उतनी चर्चा नहीं होती है जितनी कि जलवायु परिवर्तन,...
More »रासायनिक या प्राकृतिक? फैशन उद्योग के रंगरेज की उलझन
मोंगाबे हिंदी, 15 जनवरी हाल के कुछ सालों में फैशन इंडस्ट्री प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक इस्तेमाल और सिंथेटिक रंगाई प्रक्रिया से निकलने वाले जहरीले कचरे की वजह से जांच के दायरे में आ गई है। इससे निकलने वाला अपशिष्ट जल नदी, तालाबों और नहरों के पानी को दूषित कर रहा है। दुनियाभर में कपड़ा रंगाई का काम जल प्रदूषण का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। शायद यही वजह है कि दक्षिण...
More »खेती पर आपदाओं की गाज से किसानों पर सालाना पड़ रही है 10.2 लाख करोड़ रुपए की मार
डाउन टू अर्थ, 01 दिसम्बर खेती-किसानी आसान नहीं और ऐसे में जब साल दर साल आपदाओं का जोखिम बढ़ रहा है तो इसे करना महंगा सौदा बनता जा रहा है। खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक इन आपदाएं के चलते दुनिया भर के किसानों पर हर साल 10.2 लाख करोड़ रुपए (12,300 करोड़ डॉलर) से ज्यादा की मार पड़ रही है। जो वैश्विक स्तर पर कृषि क्षेत्र...
More »लद्दाख: आम नागरिकों की पहल से कारगर हो रहा वन्यजीव संरक्षण
मोंगाबे हिंदी, 17 नवम्बर लेह में रहने वाले 35 वर्षीय स्टैनज़िन चंबा प्रकृति की खोज में लद्दाख के नुब्रा घाटी में बीते पांच साल से जा रहे हैं। लेह शहर से लगभग 160 किलोमीटर दूर नुब्रा में उन्होंने कई प्रकार के वन्य जीव देखे लेकिन जो जीव उन्हें सबसे अधिक आकर्षित करता है वह है यूरेशियाई लिंक्स। लिंक्स को स्थानीय भाषा में ‘ई’ कहते हैं। “लद्दाख में ज्यादातर लोगों ‘ई’ का नाम...
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