डाउन टू अर्थ, 3 नवम्बर हिमालयी राज्यों में पर्यटन का केंद्र बने पहाड़ी शहरों में बढ़ रही आपदाओं की पड़ताल करती यह रिपोर्ट डाउन टू अर्थ, हिंदी पत्रिका की आवरण कथा की दूसरी कड़ी हैत्र इससे पहले की कड़ी में आपने पढ़ा: आवरण कथा, खतरे में हिल स्टेशन: क्या जोशीमठ के 'सबक' आ सकते हैं काम? माना जाता है कि शिमला शहर 18वीं शताब्दी में एक घना जंगल था। 1864...
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किसान का 'जेंडर' ?
किसानों के ऊपर जब भी बात की जाती है तब उस बातचीत का दायरा इतना संकीर्ण क्यों हो जाता है ? सिर्फ ‘पुरुष’ किसान को ही किसानों का एकमात्र प्रतिनिधि मान लिया जाता है। ऐसा क्यों ? तमाम अखबारों से लेकर टीवी चैनलों के चित्रपटों पर ‘पुरुष’ किसान ही पूरे कृषक समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहा होता है। क्या इस देश की खेती–बाड़ी में महिलाओं का कोई योगदान नहीं है...
More »उत्तराखंड में बढ़ती आपदाएं, विशेषज्ञों ने सरकारी लापरवाही को जिम्मेवार ठहराया
दून विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी ने जलवायु परिवर्तन, बाढ़, भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली आपदाओं से निपटने के लिए राज्य सरकार मशीनरी की तैयारियों का अध्ययन करने के लिए एक राउंड टेबल सम्मेलन का आयोजन किया। इस मौके पर पर्यावरणविद् एवं हेस्को के संस्थापक अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड में जो रहा है, वो "कॉमन्स की त्रासदी" है। उन्होंने कहा कि हिमालय क्षेत्र...
More »हिमालय में ग्लेशियरों के घटने से विनाशकारी बाढ़ का खतरा बढ़ा
मोंगाबे हिंदी, 15 सितम्बर एक हालिया अध्ययन के अनुसार, हिमालय में बढ़ते तापमान और ग्लेशियरों के पिघलने के कारण जहां एक तरफ नई हिमनद झीलों का निर्माण हुआ है और वहीं दूसरी तरफ मौजूदा झीलों का भी विस्तार हुआ है, जिससे हिमनद झील विस्फोट बाढ़ यानी GLOF आने का खतरा बढ़ गया है। GLOF तब होता है जब हिमनदी झीलों का जल स्तर काफी ज्यादा बढ़ जाता है और इससे बड़ी मात्रा...
More »हिमाचल प्रदेश में विनाश के लिए कितनी जिम्मेवार हैं विकास परियोजनाएं?
डाउन टू अर्थ, 13 जुलाई विकास के नाम पर पर्यावरण और पारिथितिकी के साथ किए जा रहे खिलवाड़ का नतीजा पिछले तीन दिनों में हिमाचल में देखने को मिला है। पिछले तीन दिनों में हिमाचल में 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक की संपति को नुकसान पहुंचा है। यदि मॉनसून सीजन की बात करें तो 16 दिनों में हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदाओं में 72 से अधिक जानें चली गई हैं। लेकिन...
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