SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 82

बिहार में यूरिया की भारी कमी और कालाबाजारी से किसान परेशान

-डाउन टू अर्थ, मौजूदा रबी सीजन में रासायानिक उर्वरक की भारी कमी और दोगुने दामों में उसकी कालाबाजारी से पूरे बिहार के किसान चिंतित हैं। उनका कहना है कि इसका असर रबी की फसल पर पड़ सकता है, जिससे उन्हें नुकसान होगा। बिहार के किसानों को केंद्र सरकार की ओर से कम आपूर्ति के चलते पिछले साल खरीफ सीजन के दौरान भी उर्वरकों की कमी का सामना करना पड़ा था। रिपोर्टों के मुताबिक,...

More »

यूपी का अगस्त : बच्चों का काल, फिरोजाबाद और आस-पास डेंगू और संक्रामक बीमारी का प्रकोप

-डाउन टू अर्थ,  "अगस्त के महीने में बच्चे मरते ही हैं।" उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने सरकार बनने के बाद ही यह विवादित बयान 2017 में दिया था, जब गोरखपुर में 30 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी। इत्तेफाक से सरकार का पांच साल का कार्यकाल पूरा होने को है और 2021 के अगस्त महीने में ही फिरोजाबाद में आधिकारिक तौर पर 36...

More »

'पक्ष'कारिता: ‘उदन्‍त मार्तण्‍ड’ की धरती पर हिंदूकरण (वाया हिंदीकरण) की उलटबांसी

-न्यूजलॉन्ड्री, पश्चिम बंगाल के ऐतिहासिक बताए जा रहे असेंबली चुनाव में अगर इस बात को ध्‍यान में रखा जाय कि देश का पहला अंग्रेज़ी का अखबार और पहला हिंदी का अखबार, दोनों ही कोलकाता से छपना शुरू हुए थे, तो इस चुनाव को देखने-समझने की एक अलग दृष्टि हम पा सकते हैं. पश्चिम से छापाखाने का आना, अखबारों का छपना और सूचनाओं का सार्वजनिक वितरण कई मायने में उस परिघटना का...

More »

पर्यावरण अधिसूचना का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने से इसके मतलब बदल जाएंगे: केंद्र

-द वायर,  दिल्ली हाईकोर्ट में दायर पुनर्विचार याचिका में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने विवादित पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना-2020 के ड्राफ्ट को 22 भाषाओं में अनुवाद करने के अदालत के निर्देश का विरोध किया है. केंद्र सरकार की ओर से मंत्रालय ने दावा किया कि ऐसा करने के लिए किसी कानून की मंजूरी प्राप्त नहीं है और इसके चलते आगामी विधि निर्माण में भी मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी. केंद्र की ओर से कहा...

More »

बेबस मरीज और लूट का इलाज--- अश्विनी शर्मा

एक समय था जब लूट सामंती व्यवस्था द्वारा होती थी और अपनी जान की सलामती के लिए ज्यादातर लोग विरोध नहीं कर पाते थे। वह सामंती व्यवस्था समाप्त हो चुकी है और आज भारत विश्व-पटल पर अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन आम आदमी के साथ लूट का सिलसिला आज भी जारी है। बस, इस लूट के तरीके बदल गए हैं। अब यह लूट बैंकों के...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close