द थर्ड पोल, 28 फरवरी शहर ग्रीन हाउस उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत हैं। दरअसल, विश्व स्तर पर ग्रीन हाउस गैसों के कुल उत्सर्जन में तकरीबन 60 फीसदी हिस्सेदारी शहरों की है। और जैसा कि हमें पता ही है कि हमारा वातावरण, इन्हीं ग्रीन हाउस गैसों के कारण गर्म हो रहा है। मौजूदा समय में, शहरी क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति बेहद संवेदनशील हो चुके हैं। एशिया में यह स्थिति...
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बात सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की!
क्या इस देश को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की जरूरत है? जिस मकसद को लेकर इन बैंकों का गठन किया गया था क्या वो पूरा कर पा रही हैं? क्या पब्लिक सेक्टर के बैंक निजी क्षेत्र के बैंकों के साथ कुशलतापूर्वक प्रतिस्पर्धा कर पा रही हैं? आज के न्यूज़ अलर्ट समाचार में इन्हीं प्रश्नों का उत्तर ढूंढने की कोशिश करेंगे– सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कुशलता– रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के एक...
More »पानी और साफ-सफाई
खास बात - भारत में खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या 626 मिलियन है। यह संख्या 18 देशों में खुले में शौच करने वाले लोगों की संयुक्त संख्या से ज्यादा है।# -ग्रामीण इलाकों में केवल २१ फीसदी आबादी के घरों में शौचालय की व्यवस्था है।* -पेयजल आपूर्ति विभाग के आंकड़ों के हिसाब से कुल १,५०,७३४९ ग्रामीण मानव बस्तियों में से केवल ७४ फीसदी में पूरी तरह और १४ फीसदी में...
More »जेंडर
खास बात साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38% फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...
More »महामारी के समय में बजट और राजनीति
-आइडियाज फॉर इंडिया, हाल ही में वर्ष 2022-23 के लिए घोषित बजट को राजनीतिक अर्थव्यवस्था के चश्मे से देखते हुए, यामिनी अय्यर तर्क देती हैं कि महामारी के दौरान घोषित किये गए दोनों बजटों में कल्याण से ज्यादा पूंजीगत व्यय पर दिया गया जोर "बाजार के अनुकूल सुधारों" की ओर राजनीतिक आख्यान में बदलाव का सिलसिला मात्र है जो 2019 में मोदी सरकार के फिर से चुने जाने के साथ शुरू...
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