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कहीं बोझ ना बन जाए युवा, मौका भुनाने के लिए कौशल विकास पर देना होगा ध्यान

डाउन टू अर्थ, 05 अप्रैल  जब किसी देश में कामकाजी उम्र के लोगों की संख्या बच्चों और बुजुर्गों की आबादी को पीछे छोड़ आगे निकल जाती है, तो उसे जनसांख्यिकी लाभांश क्षेत्र कहा जाता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में जानकारी दी है कि भारत मौजूदा समय में इसी दौर से गुजर रहा है और अगले दशक तक इसी क्षेत्र में बना रहेगा। आईएलओ द्वारा जारी आंकड़ों के...

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हर रोज 154 किसान और दिहाड़ी मजदूरों ने की आत्महत्या: NCRB रिपोर्ट

गाँव सवेरा, 4 दिसम्बर  एनसीआरबी यानी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2022 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर रोज लगभग 154 किसान और दिहाड़ी मजदूरों ने पारिवारिक समस्याओं और बीमारी के कारण आत्महत्या की है. वहीं 2021 में किसान और दिहाड़ी मजदूरों के हर रोज आत्महत्या करने की संख्या 144 थी. रिपोर्ट के अनुसार किसानों की आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए, इसके बाद कर्नाटक,...

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ग्रामीण क्षेत्र के लिए कितना हितकारी है 2023-24 का बजट?

रूरल वॉइस, 24 फरवरी पिछले साल 2022-23 के लिए जब बजट पेश किया गया तो मैंने उसे जातिगत भेदभाव वाला बताया था। अगले वित्त वर्ष के लिए जो बजट पेश किया गया है, उसके प्रस्तावों पर गौर करें तो इसमें भी जातिगत भेदभाव झलकता है। तमाम मीडिया में नई स्कीम की घोषणाओं और पूंजी निर्माण के लिए अधिक आवंटन को ‘अमृत काल’ जैसे लुभावन शब्दों के रूप में पेश किया गया।...

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केवल रोजगार के आंकड़े काफी नहीं, रोजगार में गुणपूर्णता जरूरी!

बेहतर आर्थिक वृद्धि मौजूदा दौर के हर ‘राष्ट्र राज्य’ की पहली प्राथमिकता है। और इस प्राथमिकता को हासिल करने के लिए जरूरी है अर्थव्यवस्था का पहिया तेज गति से घूमे। पहिए की गति उत्पादन (प्रोडक्शन) पर निर्भर करती है। जितना अधिक उत्पादन होगा उतने ही अधिक गति से पहिया दौड़ेगा। उत्पादन मुख्यत दो कारकों पर टिका रहता है–पहला पूंजी और दूसरा मजदूर। लेकिन मशीनें आ जाने के बाद उत्पादन के मामले में...

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दिल्ली सहित कई शहरों में आवास और आजीविका के विस्थापन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

~ प्रेस विज्ञप्ति नई दिल्ली, 6 सितंबर, 2022: आज जब हम 76वें स्वतंत्रता दिवस और आज़ादी का अमृत महोत्सव को मना रहे हैं, उसी समय झुग्गियों, बस्ती कॉलोनियों में रहने वाले और असंगठित क्षेत्र के हजारों श्रमिकों को उनके घरों से बेदखल कर दिया गया है, जिन्हें बिना किसी पुनर्वास के अपनी आजीविका से वंचित भी कर दिया गया है, वे "बुलडोजर राज" के खिलाफ़ जंतर-मंतर पर अपनी आवाज उठाने के...

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