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पीटलैंड में छिपे सूक्ष्मजीवों के खाद्य जाल को बदल रहा है जलवायु परिवर्तन

डाउन टू अर्थ, 26 मार्च एक अध्ययन के मुताबिक, पीटलेंड के दलदल भूरे, गीले होते हैं, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ मुकाबले में यह एक महाशक्ति बन गए हैं। हजारों वर्षों से, दुनिया के पीटलैंड ने भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित और जमा किया है, इस ग्रीनहाउस गैस को हवा में नहीं बल्कि जमीन में रखा है। हालांकि पीटलैंड धरती पर केवल तीन फीसदी भूमि पर कब्जा किए हुए हैं, वे...

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कश्मीर हिमस्खलन: जलवायु परिवर्तन से इसका क्या संबंध है?

द थर्ड पोल, 07 मार्च  22 फरवरी, 2024 को दोपहर तकरीबन 1:30 बजे कश्मीर के खूबसूरत गुलमर्ग रिसॉर्ट में एक स्की गाइड शौकत अहमद राथर को स्थानीय प्रशासन की ओर से फोन आया कि गुलमर्ग के खिलनमर्ग क्षेत्र, जिसे ‘आर्मी रिज’ के नाम से जाना जाता है, में हिमस्खलन हुआ है। बर्फ़ पर चलने वाली (स्नो मोबाइल) गाड़ी में सवार होकर राथर और उनके सहयोगी घटनास्थल पर पहुंचे। हिमस्खलन में छह रूसी...

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कश्मीर हिमस्खलन: जलवायु परिवर्तन से इसका क्या संबंध है?

द थर्ड पोल, 01 मार्च 22 फरवरी, 2024 को दोपहर तकरीबन 1:30 बजे कश्मीर के खूबसूरत गुलमर्ग रिसॉर्ट में एक स्की गाइड शौकत अहमद राथर को स्थानीय प्रशासन की ओर से फोन आया कि गुलमर्ग के खिलनमर्ग क्षेत्र, जिसे ‘आर्मी रिज’ के नाम से जाना जाता है, में हिमस्खलन हुआ है। बर्फ़ पर चलने वाली (स्नो मोबाइल) गाड़ी में सवार होकर राथर और उनके सहयोगी घटनास्थल पर पहुंचे। हिमस्खलन में छह रूसी...

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समुद्री मलबे के जरिए दक्षिण-पूर्वी तट पर पहुंच रही विदेशी आक्रामक प्रजातियां

मोंगाबे हिंदी, 22 जनवरी समुद्री जीव प्लास्टिक, रबर, कांच, फोम स्पंज, धातु और लकड़ी के मलबे पर सवार होकर दक्षिण पूर्वी भारत के तटों तक पहुंच रहे हैं। इसकी वजह से स्थानीय जैव विविधता संरक्षण को लेकर चिंताएं बढ़ गईं है। एक अध्ययन ने इस बात का खुलासा किया है। ‘सत्यबामा इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, चेन्नई’ के सेंटर फॉर एक्वाकल्चर से जुड़े गुनाशेखरन कन्नन और टीम की रिपोर्ट बताती है कि...

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भारत की शिक्षा व्यवस्था पर 'असर' ने क्या असर डाला ?

औपचारिक शिक्षा के महत्त्व को देखते हुए अधिकांश अभिभावक-गण अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं। बच्चों के लिए स्कूल ढूँढते हैं, बस्ता खरीदते हैं, पेन- पेन्सिल, कॉपी-किताब खरीदते हैं, स्कूल की पोशाक खरीदते हैं। तमाम सरकारों की भी यही कोशिश रही कि बच्चे स्कूल जाएँ। सरकारों ने विद्यालयों का निर्माण करवाया, शिक्षकों की नियुक्ति की और ज़रूरी सुविधाएँ उपलब्ध करवाई। पिछले कई दशकों में ऐसे कई कदम उठाए गए...

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