ग्लोबल वार्मिंग के इस दौर में ग्लेशियरों का पिघलना कोई अचरज की बात नहीं रह गई है। हर साल ग्लेशियरों का दायरा सिकुड़ने और समुद्र की सतह कुछ उठ जाने के आंकड़े आते रहते हैं। मगर उससे भी महत्त्वपूर्ण बात अब तक ग्लेशियरों के बचाव की दिशा में कोई महत्त्वपूर्ण कदम नहीं उठाया जाना है। मौजूदा हालात में सर्वाधिक चिंता का विषय यही है। अभी हाल के वाडिया इंस्टीट्यूट...
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गंगा किनारे निर्माण पर रोक की तैयारी- पीयूष पांडेय
केंद्र सरकार की ओर से गठित अंतर-मंत्रालयी समूह गंगा और उसकी सहयोगी नदियों के आसपास नए निर्माण पर रोक लगाने की सिफारिश करने का निर्णय लिया है। समूह की ओर से यह सिफारिश सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाने वाली रिपोर्ट में की जाएगी, ताकि नदियों के पर्यावरणीय प्रवाह और पारिस्थितिकी को कायम रखा जा सके। सर्वोच्च अदालत में उत्तराखंड से लेकर बंगाल की खाड़ी तक गंगा और उसकी सहयोगी जलधाराओं...
More »सरकारी ढर्रे को बदलने का सवाल - नंटू बनर्जी
आगामी 25 दिसंबर को मोदी सरकार ने 'सुशासन दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। सुशासन या गुड गवर्नेंस लंबे समय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुनियादी एजेंडे में शामिल रहा है। पर सवाल उठता है कि प्रशासनिक ढांचे व सुशासन के आपसी रिश्तों से हम क्या समझें। कारोबारी समूहों में ऐसा होता है कि गिने-चुने लोगों का प्रबंधन चंद लोगों के कार्यसमूह के साथ भी अपनी सुदक्षता...
More »मैली हो रही भगीरथी व अलकनंदा
उत्तकाशी/गोपेश्वर। उत्तराचल के अधिकांश नगरों को अब भी सीवर लाइन व सीवरेज प्लाट का इंतजार है। शासन का तमाम प्रस्ताव भेजे गए लेकिन बजट के अभाव में फाइलें धूल फाक रही हैं। नतीजतन, नालियों, पाइपलाइनों से होती हुई सीवर की गंदगी गंगा-भागीरथी, मंदाकिनी और सहायक नदियों में डाली जा रही है। तीर्थधाम बदरीनाथ में सीवर लाइनें सीधे अलकनंदा में खोली गई हैं। सरकारी लापरवाही से नगरों के नियोजित विकास तो बाधक है ही गंगा की...
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