SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 21

'विंग अपस्ट्रीम: लूनी फेलोशिप' के लिए आवेदन की अंतिम तारीख 31 अक्टूबर, जल्द करें आवेदन

"मूविंग अपस्ट्रीम: लूनी" कार्यक्रम वेदितम इंडिया फाउंडेशन के मूविंग अपस्ट्रीम फेलोशिप कार्यक्रम का एक हिस्सा है। वेदितम इंडिया फाउंडेशन, आउट ऑफ ईडन वॉक के साथ साझेदारी में हैं। लूनी कार्यक्रम के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के साथ साझेदारी की है और यह प्रयास A4Store और आउट ऑफ ईडन वॉक द्वारा समर्थित है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य नदी और उसके आसपास के जीवन का दस्तावेजीकरण करना...

More »

द रूरल मीडिया फेलोशिप- 2022 के लिए आवेदन की अंतिम तारीख 2 अक्टूम्बर, जल्द करें आवेदन

"विलेज स्क्वायर यूथ हब" ने युवा पत्रकारों के लिए 'रूरल मीडिया' में फेलोशिप की घोषणा की है. यह फेलोशिप हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में है. रूरल मीडिया फेलोशिप 2022, युवा पत्रकारों के लिए एक अवसर है. ग्रामीण भारत की कहानियों को कहने का. यह फेलोशिप 9 महीने तक चलेगी जिसमें सामाजिक क्षेत्र के लोगों का मार्गदर्शन और 35,000 रुपए का मासिक वेतन भी मिलेगा. विलेज स्क्वायर यूथ हब की इस फेलोशिप में 10 युवा...

More »

मोदी का उदय चंद कारपोरेट घरानों का विकास है : आरएलडी उपाध्यक्ष जयंत सिंह चौधरी

-कारवां, जयंत सिंह चौधरी राष्ट्रीय लोक दल के उपाध्यक्ष हैं. इस पार्टी का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आधार है. आरएलडी का गठन 1996 में जयंत के पिता अजित ने जनता दल से अलग हो कर किया था. इसकी पूर्ववर्ती पार्टी लोक दल थी, जिसकी स्थापना 1980 में जयंत के दादा चौधरी चरण सिंह ने की थी. चरण सिंह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रसिद्ध किसान नेता रहे. अपनी स्थापना के बाद...

More »

लू लगना असल में होता क्या है और क्यों यह खतरनाक है?

-सत्याग्रह,  हमारे पिताजी का प्रिय जुमला था, ‘चलो, जरा इस स्साले की लू उतारते हैं…’ कोई ज्यादा अकड़ दिखाये, बदमाशी करे, आंय-बांय बोले तो वे मानते थे कि इसके दिमाग में गर्मी चढ़ गई है जिसे समय रहते ठंडा करने की आवश्यकता है वर्ना इसका दिमाग स्थाई तौर पर खराब हो सकता है. ‘किसी की लू उतारना’ यह कहावत एक हद तक मेडिकली भी सही तथ्यों पर आधारित है. लू (हीट स्ट्रोक)...

More »

मतदान से पहले कितना सोचते हैं हम-- बीजू डॉमिनिक

क्या वोटिंग एक तर्कसंगत प्रक्रिया है? यदि ऐसा है, तब तो आम मतदाता अपने फैसले पर पहुंचने से पहले काफी सोच-विचार करता होगा। मसलन, उम्मीदवार किस पार्टी से हैं? साल 2014 में जो पार्टी सत्ता में आई थी, उसने क्या-क्या वादे किए थे? उनमें से कितने प्रतिशत वादे पूरे हुए? उन्होंने जो वादे किए थे, उन्हें पूरा न कर पाने के लिए क्या उनके पास वाजिब वजहें हैं? किस पार्टी...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close