मोंगाबे हिंदी, 20 मार्च आज से 14 साल पहले हरियाणा के पलवल हाईवे पर एक हथिनी चोटिल घूम रही थी। वन्यजीवों को बचाने वाली एक टीम ने उसकी देखभाल की। गंभीर चोट की वजह से उसे बचाया न जा सका। हथिनी का नाम चंपा था और बचाने वाली टीम वाइल्डलाइफ एसओएस नामक संस्था की थी। इस संस्था की स्थापना साल 1995 में भारत के भारत के वन्यजीवन की रक्षा के लिए...
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गरीबी और असमानता
[inside] इंडिया में आर्थिक असमानता: “अरबपति राज” में ब्रिटिश राज से भी ज्यादा है असमानता - रिपोर्ट [/inside] इंडिया के भौगोलिक आकार और जनसंख्या, जो अब दुनिया में सबसे अधिक है, को देखते हुए इंडिया में आर्थिक विकास का वितरण विश्व की आर्थिक असमानता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसलिए इंडिया में आय और संपत्ति की असमानता को सटीक रूप से मापना अत्यधिक आवश्यक है। हाल ही में वर्ल्ड इनइक्वलिटी डाटाबेस ने...
More »घुमंतू समाज से सरकारी विश्वासघात के 70 साल
कारवां, 22 जुलाई 2019 के बजट में केंद्र सरकार ने घुमंतू समाज के लिए एक नया आयोग और राज्यों में घुमंतू बोर्ड बनाने की घोषणा की और नीति आयोग के मातहत घुमंतू समुदायों के उत्थान हेतु एक पद सृजित कर उसका अध्यक्ष भीखूराम इदाते को बना दिया. लेकिन आज तक ना नीति आयोग ने कुछ किया और ना इदाते ने. हिंदुस्तान में घुमंतू समुदायों की आबादी लगभग 10 फीसदी है यानी 13...
More »जेंडर
खास बात साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38% फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...
More »क्या हम असल में हत्या की संस्कृति के विरुद्ध हैं या सिर्फ़ अपने लिए हत्या का अधिकार चाहते हैं
द वायर 5 जुलाई क्या हम असल में हत्या की संस्कृति के विरुद्ध हैं या सिर्फ़ अपने लिए हत्या का अधिकार चाहते हैं हत्या कब सिर्फ़ हत्या रहती है और कब नृशंस, बर्बर हो जाती है? क्यों गोली मार देना तो बर्दाश्त हो जाता है लेकिन गला काटना नहीं? गला काट देने में भी एक झटके से गर्दन उड़ा देना और गर्दन रेतकर मारना: इन दोनों में बहुत अंतर है. बोटी-बोटी काट...
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