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लोहरदगा के कुड़ू प्रखंड में मनरेगा के 18 हजार 88 जॉबकार्ड, एक साल में सिर्फ 202 लोगों को मिला 100 दिन का रोजगार

जनचौक ,9 मई  मनरेगा योजना पहले ही प्रशासनिक उदासीनता और भ्रष्टाचार के नए कीर्तिमान स्थापित करती रही है, जिसके कारण मनरेगा मजदूर परेशान रहे हैं। अब केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा योजना के बजट में की गयी भारी कटौती और उसमें किये गए तकनीकी बदलाव के चलते योजना से मजदूरों का मोहभंग हो रहा है। दरअसल ऑनलाइन मोबाइल हाजरी प्रणाली एनएमएमएस के द्वारा मज़दूरों की उपस्थिति दर्ज करने के साथ-साथ आधार आधारित भुगतान प्रणाली...

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पश्चिम बंगाल में केंद्र व राज्य के बीच तनातनी का खामियाजा भुगत रहे मनरेगा मजदूर

डाउन टू अर्थ, 3 मई  पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के बेलमा गांव की 45 वर्षीय जयगुन बीबी की ईद इस बार हमेशा की तरह अच्छी नहीं मनी। वह अपना दर्द बयां करती हैं, “हमारे गांव में जून 2022 से ही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 के तहत मिलने वाला काम बंद है। इस वजह से घर में अब एक पाई भी नहीं बची है। आय का इकलौता...

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बिहार: अपने विभाग में भ्रष्टाचार की बात स्वीकारने वाले कृषि मंत्री का इस्तीफ़ा

द वायर, 2 अक्टूबर बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया है. उनके पिता एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की बिहार इकाई के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने रविवार को इसकी जानकारी दी. सुधाकर सिंह द्वारा हाल ही में अपने विभाग में भ्रष्टाचार की बात स्वीकार करने से प्रदेश की नवगठित महागठबंधन सरकार को काफी फजीहत झेलनी पड़ी थी. हालांकि इस कठोर कदम के बाद मंत्री अपनी टिप्पणियों...

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मध्य प्रदेशः विवाह सहायता योजना में करोड़ों का घोटाला, 20 बैंकों व 93 ग्राम पंचायतों की जांच शुरू

-द वायर, मध्य प्रदेश विवाह सहायता योजना में करोड़ों रुपयों का फर्जीवाड़ा सामने आया है. साल 2019 और 2021 के बीच हुआ घोटाला 30.4 करोड़ रुपये का बताया जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की भोपाल इकाई के पुलिस उपाधीक्षक के मुताबिक, इस घोटाले की जांच के दायरे में 93 ग्राम पंचायतें और 20 बैंक हैं. इस घोटाले के तहत हजारों युवतियों की फर्जी शादियां कराई गईं ताकि घोटालेबाज...

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क्या मतदान का अधिकार राजनीतिक व्यवहार को प्रभावित करता है? भारत से ऐतिहासिक साक्ष्य

-गांव सवेरा,  लोकतंत्र को लंबे समय से बेहतर आर्थिक विकास परिणामों के लिए जाना जाता है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि नागरिकों को मतदान का अधिकार देना, राजनीतिक भागीदारी या प्रतियोगिता को प्रभावी बनाए रखने को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त है या नहीं। एक नए प्रयोग के तहत 1921-1957 के दौरान जिला-स्तरीय डेटासेट को आधार बनाते हुए यह लेख इस बात की जाँच करता है कि भारत में किस...

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