डाउन टू अर्थ, 15 जनवरी नवंबर के पहले हफ्ते में काली मिट्टी में उगा सफेद सोना लहलहाने लगा है। कानम प्रदेश के नाम से मशहूर ये गुजरात के भरूच जिले की कॉटन बेल्ट है। जो अपनी उच्च गुणवत्ता की कपास (रुई) के लिए जानी जाती है। खेतों से कपास चुन रही महिला श्रमिकों का समूह तल्लीनता से अपने काम में रमा हुआ है। सारा दिन तेज धूप में खड़े होकर वे कपास...
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पीएलएफएस रिपोर्ट: देश में घट रही है बेरोजगारी !
इस लेख में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी की जाने वाली आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण रिपोर्ट (2022–23) का विश्लेषण किया है। यह रिपोर्ट देश में रोजगार और श्रम बाजार की वस्तुस्थिति का आधिकारिक दस्तावेज है। रिपोर्ट का कहना है कि रोजगार की सूरत–ए–हाल में सुधार आ रहा है। क्या वाकई बेरोजगारी घट रही है ? गौरतलब है कि इस सर्वेक्षण में मुख्यतः तीन तरह के आँकड़ों को दर्ज किया जाता है।...
More »किसान का 'जेंडर' ?
किसानों के ऊपर जब भी बात की जाती है तब उस बातचीत का दायरा इतना संकीर्ण क्यों हो जाता है ? सिर्फ ‘पुरुष’ किसान को ही किसानों का एकमात्र प्रतिनिधि मान लिया जाता है। ऐसा क्यों ? तमाम अखबारों से लेकर टीवी चैनलों के चित्रपटों पर ‘पुरुष’ किसान ही पूरे कृषक समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहा होता है। क्या इस देश की खेती–बाड़ी में महिलाओं का कोई योगदान नहीं है...
More »लक्षद्वीप के कोएर श्रमिक
पारी, 30 जून लक्षद्वीप द्वीपसमूह के सभी द्वीप नारियल के असंख्य वृक्षों से भरे हुए हैं, और उनके सूखे हुए छिलकों से कोएर (नारियल के सूखे छिलकों का रेशा) निकालना यहाँ एक बड़ा उद्योग है. मछली पकड़ने और नारियल की पैदावार करने के के साथ-साथ कोएर की कताई यहाँ के लोगों का एक प्रमुख पेशा है. (2011 की जनगणना के अनुसार) लक्षद्वीप में नारियल के छिलके निकालने की कुल सात, कॉयर के...
More »कौन सुनेगा महिला श्रमिकों का दर्द?
डाउन टू अर्थ, 06 अप्रैल पति नागालैंड रहते हैं। एक बेटे को पढ़ाने के लिए शहर में रखी हूं। थोड़ी सी जमीन है। कुछ किसानों की जमीन एक तय राशि पर ली हूं। दिनभर श्रम करने के बाद किसी तरह रोजी-रोटी चलती है. साल में एक बार किसान को पैसे चुकाने पड़ते हैं।" बिहार के मुजफ्फरपुर जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर दूर दियारा इलाके की गिन्नू देवी की यह कहानी...
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