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यूपी: सबसे ज़्यादा UAPA के तहत गिरफ़्तारियां, क्या विरोधी आवाज़ों को दबाने की कोशिश है?

-सोनिया यादव, "संयुक्त प्रवर समिति को एक गधा सौंपा गया था और समिति का काम था उसे घोड़ा बनाना लेकिन परिणाम यह निकला है कि वह खच्चर बन गया है। अब गृह मंत्रालय का भार ढोने के लिए तो खच्चर ठीक है लेकिन अगर गृहमंत्री यह समझते हैं कि वह खच्चर पर बैठकर राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की लड़ाई लड़ लेंगे, तो उनसे मेरा विनम्र मतभेद है।" ये बातें साल 1967...

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डोभाल और रावत के हालिया बयानों में देश को पुलिसिया राज में तब्दील करने की मंशा छिपी है

-द वायर, सरकार के कदम जब शासन के संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप नहीं होते हैं, तब आप क्या करते हैं? आप अपने हिसाब से एक नया सिद्धांत गढ़ लेते हैं. पिछले हफ्ते हमने देखा कि किस तरह से नरेंद्र मोदी सरकार के दो बड़े स्तंभ- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और डिफेंस स्टाफ प्रमुख जनरल बिपिन रावत- ने व्यापक राष्ट्रहित के नाम पर कानून के शासन के उल्लंघन को जायज ठहराने के...

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आतंकरोधी कानून/राज्य दर्पण/डरो, डरो, जल्दी डरो

-आउटलुक, पता नहीं, बुजुर्ग आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की मौत ने झकझोरा या नहीं, लेकिन अरसे बाद सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह की प्रासंगिकता पर सवाल उठा और कई हाइकोर्टों से यूएपीए, एनएसए जैसे कानूनों के दुरुपयोग पर तीखे फैसले आए तो सुलगते सवाल ज्वाला की तरह फूट पड़े। बेशक, हाल के कुछ वर्षों में असहमति और असंतोष को दबाने की खातिर इन कानूनों के दुरुपयोग के मामले बेहिसाब बढ़े हैं,...

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बढ़ते मामलों के बीच राजद्रोह क़ानून को संवैधानिक चुनौतियाँ

-न्यूजक्लिक, इस महीने की शुरूआत में सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह क़ानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को सुनने का फ़ैसला लेते हुए केंद्र को नोटिस जारी किया था। आर्मी में रह चुके एस.जी वोंबटकेरे द्वारा दायर की गई इस याचिका में कहा गया था कि भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) की धारा 124ए पूरी तरह से असंवैधानिक है। मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट में कई ऐसी याचिकाएँ दायर की जा चुकी हैं...

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क्या देश कांच का बना है? राजद्रोह पर अगली सुनवाई में CJI रमन्ना को मोदी सरकार से पूछना चाहिए

-द प्रिंट, राजद्रोह का कानून, जो औपनिवेशिक काल का एक अवशेष है उसकी आज़ादी के 75 साल बाद आज क्या कोई जरूरत रह गई है? बृहस्पतिवार को यह सवाल भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना ने मोदी सरकार के एटर्नी जनरल से किया. यह सवाल सारगर्भित भी है और रस्मी भी. वैसे, यह मसले का केंद्र बिंदु भी नहीं है, और इसकी वजह है. राजद्रोह का कानून इसलिए भयानक नहीं है...

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