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‘न कोई बैठक हुई, न हमें जमीनों की जानकारी दी गई’: राम मंदिर के ट्रस्टी

-न्यूजलॉन्ड्री,  6 फरवरी, 2020 में भारत सरकार ने राम मंदिर के निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों के नामों की घोषणा की थी. मणिराम दास की छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास इसके अध्यक्ष बनाए गए. ट्रस्ट के निर्माण के 16 महीने में इसके सदस्यों की सिर्फ चार बार बैठकें हुई हैं. भाजपा नेता और ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, ‘‘ट्रस्ट की बैठक में मोटी-मोटी बातें आती...

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#Exclusive: भगोड़े, धोखाधड़ी के आरोपी हरीश पाठक से राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने खरीदी जमीन

-न्यूजलॉन्ड्री,  हरीश पाठक का नाम याद रखिए. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा कथित तौर पर मोटे पैसे का हेरफेर करके जो ज़मीन खरीदी गई है उसके केंद्र में हरीश पाठक हैं. हरीश पाठक और उनकी पत्नी कुसुम पाठक वो शख्स हैं जिनसे दो करोड़ में जमीन खरीद कर सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने दो मिनट के भीतर राम जन्मभूमि ट्रस्ट को 18.5 करोड़ में बेंच दी. लेकिन हरीश पाठक...

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भारतीय आर्किटेक्चर के लिए अलग-अलग विषयों के समायोजन का वक़्त?

-न्यूजक्लिक,  सभी तरह के मानवीय ज्ञान की तरह, स्थापत्य कला भी मानवीय सीखों को एक करने की कोशिश करता है। एडवर्ड ओ विल्सन की शब्दावलियों का इस्तेमाल करें, तो नई संसद और सेंट्रल विस्टा, राम जन्मभूमि मंदिर, अयोध्या मस्जिद और नव भारत उद्यान व प्रतिष्ठित संरचना, यह चार परियोजनाएं अलग-अलग विषयों की समग्रता का एक अहम मौका हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो इन इमारतों में भारतीय स्थापत्य को दोबारा परिभाषित...

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राम के नाम पर देश में फिर नब्बे के दशक जैसा माहौल बनाने की कोशिश!

-न्यूजक्लिक,  सदियों से करोडों लोगों के लिए श्रद्धा और विश्वास के प्रतीक रहे मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम पर एक बार फिर देश को सांप्रदायिक तौर पर गरमाने और नफरत फैलाने का अभियान शुरू हो गया है। विश्व हिन्दू परिषद ने पूरे देश में 1990 के दशक जैसा जहरीला और तनावभरा माहौल बनाने की योजना बनाई है। इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में हो चुकी है, जहां कुछ कस्बों...

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बाबरी मस्जिद विध्वंस केस: सुप्रीम कोर्ट और जस्टिस लिब्रहान को जो दिखा वो सीबीआई कोर्ट न देख पाई?

-बीबीसी, छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस कुछ अराजक तत्वों के अचानक हमले का नतीजा था या सुनियोजित और संगठित प्रयास का परिणाम? इतिहास में यह सवाल हमेशा पूछा जाएगा. वेदों में कहा गया है कि सत्य का मुख सोने के पात्र से ढका हुआ होता है. सत्य की खोज श्रमसाध्य और अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है. सत्य अलग-अलग कोण से अलग दिखता है और देखने वाले की नज़र से...

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