खास बात साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38% फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...
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महामारी के दौरान हमारी सरकार और पुलिसिया बर्ताव
-न्यूजलॉन्ड्री, किसी बड़ी महामारी के बीत जाने के बाद, उससे जुड़े कुछ दृश्य और घटनाएं लोक-चेतना में स्थाई निवास बुन लेते हैं. कोरोना की दो लहरों के दौरान हुई मीडिया कवरेज में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी, जलती चिताएं, ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाने के लिए भागते लोग, स्वास्थ्य व्यवस्थाएं, लोगों के साथ पुलिसिया बर्ताव और सरकारी विज्ञापनों की तस्वीरों और खबरों ने हमारे जेहन में स्थाई जगहें बनाई. भविष्य में जब भी...
More »यूपी: 43 जिलों में लगने हैं 204 पोषाहार यूनिट, एक साल में लग पाए सिर्फ 2
-इंडियास्पेंड, आंगनबाड़ी के बच्चों को अच्छा पोषाहार उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पोषाहार यूनिट लगवा रही है। योजना के तहत यूपी के 43 जिलों में 204 यूनिट लगनी हैं, जिसकी जिम्मेदारी 'यूपी राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन' को दी गई है। योजना शुरू होने के एक साल बीतने के बाद इन 204 यूनिट में से सिर्फ दो यूनिट लग पाई हैं। यह दो यूनिट भी संयुक्त राष्ट्र के यूएन वर्ल्ड फूड...
More »आधार की सीमाओं काे भुलाया जा रहा है, वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने पर फायदा होगा या नुकसान
-दैनिक भास्कर, चार साल पहले 24 अगस्त 2017 को और फिर 26 सितंबर 2018 को सर्वोच्च न्यायालय की 9 और 5 न्यायाधीशों की पीठ ने ऐतिहासिक निर्णय दिए। 2017 का निर्णय निजता के अधिकार पर था, जिस पर सवाल उठा था आधार के संदर्भ में। पांच जजों में से एक ने आधार को असंवैधानिक बताया, लेकिन बाकियों ने इसके इस्तेमाल की सीमाएं रेखांकित कीं। पिछले 3 सालों का अनुभव यह है...
More »कोरोना लॉकडाउन: प्रवासी मज़दूरों के लिए ना घर में काम, ना बाहर, जाएं तो जाएं कहाँ?
-बीबीसी, जोगिंदर हमाली अहमदाबाद शहर में वर्षों तक खुले में अपने ठेलेगाड़ी पर सोते रहे. उन्हें ज़िंदगी की नाइंसाफ़ी पर हैरानी होती थी. पिछले साल लॉकडाउन से पहले तक वह अहमदाबाद में दिहाड़ी कर रहे थे. लेकिन काम छूट गया तो वो गाँव लौट गए. कुछ महीनों पहले काम की तलाश में हमाली फिर अहमदाबाद लौटे, लेकिन इस साल अप्रैल में जब लॉकडाउन लगा तो एक बार फिर उन्हें मजबूर होकर गाँव...
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