कार्बनकॉपी, 05 अप्रैल मार्च के दूसरे पखवाड़े में ही भारत और दुनिया के कई शहर भीषण गर्मी से उबल रहे हैं। जहां एक ओर कर्नाटक, गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्सों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया, वहीं कुवैत का सबसे बड़ा शहर कुवैत सिटी अब भीषण गर्मी के कारण रहने लायक नहीं रह गया है। यहां तापमान लगातार 52 डिग्री सेल्सियस के ऊपर रह रहा है। इस साल...
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मार्च में ही भीषण गर्मी से बेहाल हुई दुनिया
कार्बनकॉपी, 02 अप्रैल मार्च के दूसरे पखवाड़े में ही भारत और दुनिया के कई शहर भीषण गर्मी से उबल रहे हैं। जहां एक ओर कर्नाटक, गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्सों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया, वहीं कुवैत का सबसे बड़ा शहर कुवैत सिटी अब भीषण गर्मी के कारण रहने लायक नहीं रह गया है। यहां तापमान लगातार 52 डिग्री सेल्सियस के ऊपर रह रहा है। इस साल...
More »आदिवासी क्यों कर रहे हैं समान नागरिक संहिता का विरोध ?
"यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। आप मुझे बताइये, एक घर में, परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो, तो क्या वो घर चल पाएगा? कभी भी चल पाएगा? समर्थकों की ओर से जवाब आता है नहीं। फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा। हमें याद रखना है कि भारत के...
More »मॉन्ट्रियल सम्मेलन: जैव विविधता क्यों है मीडिया की बहस से गायब
कार्बनकॉपी, 8 दिसंबर पिछले महीने मिस्र के शर्म-अल-शेख में हुए जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप) को लेकर मीडिया में जैसी (थोड़ी बहुत ही सही) हलचल थी वैसी अभी कनाडा के मॉन्ट्रियल में चल रहे जैव विवधता संरक्षण सम्मेलन (सीबीडी) को लेकर नहीं दिख रही। हालांकि जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता दोनों ही विषयों पर संयुक्त राष्ट्र के फ्रेमवर्क कंन्वेन्शन 1992 में हुये रियो अर्थ समिट में एक साथ स्थापित किए गए और...
More »हीरा ज़रूरी या जंगल: 55,000 करोड़ वाली हीरे की ख़दानों की पड़ताल
-बीबीसी, एक डरावना सा जंगल कैसा होता है, सिर्फ़ किताबों में पढ़ा था और डिस्कवरी चैनल पर ही देखा था. कहानियाँ भी सुनी थीं, उनकी- जिनकी ज़िंदगी में इस जंगल के सिवा कुछ नहीं होता. एक दोपहर सन्नाटे को चीरते हुए उस घने जंगल में सागौन के दरख़्तों से निकलकर थोड़ी रोशनी में पहुँचे तो फटे-पुराने कपड़े पहने हुए एक व्यक्ति को कुछ पत्तियाँ और टहनियाँ बीनते हुए पाया. पता चला वो भगवान दास...
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