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देश में वनों की स्थिति: बढ़ रहा है पौधारोपण और घट रहे हैं वन

मोंगाबे हिंदी, 14 सितम्बर भारत सरकार ने हाल ही में वन सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021 (आईएसएफआर) जारी किया। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दो साल पहले की तुलना में देश के वन क्षेत्र में 2,261 वर्ग किलोमीटर (किमी) की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, यह दावा कठघरे में हैं और इस विषय के जानकार रिपोर्ट बनाने के तरीके पर सवाल उठा रहे हैं। इन जानकारों का आरोप है कि वन क्षेत्र...

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वन संरक्षण अधिनियम में बदलाव, केंद्र वनवासियों की सहमति बिना पेड़ काटने की दे सकता है मंज़ूरी

द वायर हिन्दी, 10 जुलाई  वन संरक्षण अधिनियम-2022 के तहत लागू नए नियम बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं के लिए वन भूमि को डाइवर्ट करने की प्रक्रिया को सरल और संक्षिप्त बनाएंगे. इन नियमों के तहत जंगल काटने से पहले अनुसूचित जनजातियों और अन्य वनवासी समुदायों से सहमति प्राप्त करने की ज़िम्मेदारी अब राज्य सरकार की होगी, जो कि पहले केंद्र सरकार के लिए अनिवार्य थी. केंद्र सरकार द्वारा जंगलों को काटने...

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ईआईए अधिसूचना का मसौदा किस प्रकार से आदिवासियों और वनवासी समुदायों के अधिकारों से समझौता करना है

-न्यूजक्लिक, जहां एक ओर पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2020 के मसौदा दस्तावेज की आलोचना व्यापार को आसान बनाने के लिए पर्यावरणीय मानदंडों को खत्म करने की कोशिशों की खातिर की जा रही है, वहीं इन नए प्रावधानों के चलते समाज के कुछ तबकों को इसका सबसे अधिक खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। और वे तबके हैं जंगली इलाकों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति और अन्य पारम्परिक वनवासी समुदाय के लोग। नई अधिसूचना...

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आदिवासी ग्रामीणों से छत्तीसगढ़ सरकार इस बार सीधे खरीदेगी 225 करोड़ रुपए के लघु वनोपज, एजेंटों की मोनोपॉली होगी खत्म

-द प्रिंट, छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के आदिवासियों से इस वित्तीय वर्ष में सीधे 225 करोड़ रुपये की योजना लघु वनोपज यानि माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस (एमएफपी) राज्य के आदिवासियों से खरीदेगी. छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के आदिवासियों से मामूली वन उपज (एमएफपी) खरीदने के लिए इस वित्तीय वर्ष में 225 करोड़ रुपये की योजना को बनाई है. आदिवासी कल्याण निकाय के प्रमुख ने दिप्रिंट को बताया है. छत्तीसगढ़ स्टेट माइनर फॉरेस्ट प्रोड्यूस कोऑपरेटिव...

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संकट के दोराहे पर हैं आदिवासी-- गिरिधारी राम गौंझू ‘गिरिराज

सर्वोच्च न्यायालय ने जंगलों में रहने वाले ऐसे आदिवासियों और वनवासियों को निकालने के लिए कहा है, जिनका वनभूमि पर दावा नहीं बनता। जाहिर है, इस आदेश के बाद झारखंड और बिहार समेत तमाम राज्यों के जंगलों में रहने वाले आदिवासियों और वनवासियों के समक्ष बड़ा संकट खड़ा हो गया है। जंगल को ही अपना सब कुछ मानने वाले ये आदिवासी वहां से बेदखल होने के बाद कहां जाएंगे? अगर हम...

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