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सर्दियों में उत्तर और पूर्वी भारत रहे सबसे प्रदूषित, राजस्थान-बिहार के छोटे शहर नए हॉटस्पॉट बने

डाउन टू अर्थ, 21 मार्च जैसे ही सर्दी शुरू हुई, जहरीले वायु प्रदूषण के बढ़ने से एक बार फिर लोगों के स्वास्थ्य पर असर डाला। सितंबर-अक्टूबर में कम बारिश और सर्दी के पूरे मौसम में धीमी हवाओं जैसे मौसम संबंधी कारकों के कारण वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई। दिल्ली स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने सर्दियों की वायु गुणवत्ता की समीक्षा के बाद रिपोर्ट जारी की है। जिसमें काफी...

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वायु प्रदूषण कम करने के लिए मॉनीटिरिंग बढ़ाने, सेहत को अहमियत देने की जरूरत: एक्सपर्ट

मोंगाबे हिंदी, 01 मार्च अक्टूबर महीने के आखिरी हफ्ते में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और इसके आसपास के इलाकों को धुंधु की एक जहरीली परत ने ढक लिया था। इसी के साथ हर साल की सर्दियों के साथ शुरू होने वाले प्रदूषण के मौसम की शुरुआत हुई थी। सरकार के हालिया निर्देशों के मुताबिक, आने वाले भविष्य में भी वायु प्रदूषण के स्तर में कोई राहत नहीं मिलने वाली है और...

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भागलपुर, सहरसा में गैस चैम्बर से हुए हालात, दिल्ली में भी 400 के करीब पहुंचा एक्यूआई

डाउन टू अर्थ, 01 फरवरी भागलपुर-सहरसा में बढ़ता प्रदूषण आपात स्थिति में पहुंच गया है। इन दोनों शहरों में हालात यह है कि लोगों के लिए सांस लेना तक दुश्वार हो गया है। ऐसा लगता है कि वो किसी गैस चैम्बर में रह रहे हैं। भागलपुर में बढ़ते प्रदूषण का आलम यह है कि वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़कर 432 पर पहुंच गया है। इसी तरह सहरसा में भी एक्यूआई...

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प्रदूषण रहित ईंधन से चलने वाले चूल्हों के नाम पर हो रहा है खेल: रिपोर्ट

डाउन टू अर्थ, 30 जनवरी रिसर्च से पता चला है कि क्लीन कुकस्टोव के जलवायु पर पड़ते सकारात्मक प्रभावों को परियोजनाएं 10 गुना बढ़ा चढ़ाकर बता रही हैं, ऐसे में अध्ययन का दावा है कि कमजोर तबके को जहरीले धुएं से बचाने की यह लोकप्रिय योजना, उत्सर्जन के त्रुटिपूर्ण आंकलन के चलते कमजोर हो रही है। गौरतलब है कि कमजोर देशों में खाना पकाने के साफ-सुथरे साधनों के लिए जद्दोजहद करते लोगों...

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पर्यावरण मुआवजे को दूसरे उद्देश्यों के लिए क्यों किया गया खर्च, एनजीटी ने सीपीसीबी को लिया आड़े हाथों

डाउन टू अर्थ, 20 दिसम्बर  नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने निर्देश दिया है कि पर्यावरण मुआवजे के रूप में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पास जमा की गई धनराशि को डायवर्ट नहीं किया जाना चाहिए। न ही उसमें किसी प्रकार की कोई वित्तीय अनियमितता होनी चाहिए। एनजीटी के अनुसार, इस तरह की कार्रवाइयों को सीपीसीबी द्वारा धन का दुरुपयोग माना जाएगा। साथ ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने यह भी कहा...

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