द वायर , 5 अप्रैल गुजरात सरकार ने राज्य में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के ‘अतिरिक्त’ राशन कार्डों को रद्द करने का आदेश पारित किया है. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के बिना उठाया गया था. ‘अतिरिक्त’ राशन कार्डों को रद्द करने का आदेश 80,000 से अधिक आदिवासी परिवारों के पांच लाख से अधिक लोगों को उनके भोजन के मूल अधिकार से वंचित...
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पांच साल की उम्र में शादी, 13 में मां और 20 की उम्र में विधवा: राजस्थान में बाल वधुओं का संघर्ष
इंडियास्पेंड, 23 मार्च अनाछी तब महज पांच साल की थीं जब उनकी शादी 13 साल के लड़के से कर दी गई। "मैंने एक प्लेट पर शादी की थी," वह याद करती हैं। यहां यह एक परंपरा है जिसमें माता-पिता अपने बच्चों को एक थाली में बिठाते हैं और फिर वे उन थालियों का आदान-प्रदान करते हैं जिसके बाद बच्चों को विवाहित मान लिया जाता है। "मुझे अपनी शादी के बारे में कुछ...
More »ग्राउंड रिपोर्ट, सरकारी राशन का सच: राशन कार्ड है पर फिर भी नहीं मिल रहा पूरा राशन
डाउन टू अर्थ, 3 जनवरी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत एक निश्चित आबादी को खाद्य सुरक्षा का अधिकार दिया गया है, लेकिन यह अधिकार क्या वाकई हकदार तक पहुंच रहा है। डाउन टू अर्थ की इस खास सीरीज में यही जानने की कोशिश की जा रही है। अब तक आप जमीनी सच्चाई कहती चार कड़ियां पढ़ चुके हैं। पहली कड़ी - ग्राउंड रिपोर्ट, सरकारी राशन का सच: सात साल से...
More »अर्थशास्त्रियों ने कहा, वृद्धावस्था-विधवा पेंशन और मातृत्व लाभ की धनराशि बढ़ाना जरूरी
डाउन टू अर्थ, 23 दिसम्बर आगामी बजट 2023-24 को ध्यान में रखकर भारत सहित दुनिया भर के विश्वविद्यालयों के 51 प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण से सामाजिक सुरक्षा पेंशन और मातृत्व लाभ योजना के तहत दी जाने वाली धनराशि को बढ़ाने का अनुरोध किया है। उनका कहना है कि वर्तमान में दी जाने वाली धनराशि अनुचित है। सभी अर्थशास्त्रियों ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि हमने...
More »भारत के सबसे पिछड़े जिले से तीन महिलाओं की भूख और उससे जुड़े संघर्ष की कहानी
इंडियास्पेंड, 02 दिसंबर नवम्बर महीने के दूसरे सप्ताह के बुधवार को रेखा देवी, उम्र लगभग 40 वर्ष, अपने घर से तकरीबन 500 मीटर दूर एक खेत में कम्पैन मशीन के पीछे अपने बच्चों के साथ धान की बालियां बीन रही थीं। पूछने पर वह कहती है की इन गिरी हुई बालियों से उनके परिवार का गुजारा होता है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से तकरीबन 170 किलोमीटर पूरब में भारत और नेपाल...
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