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स्वामी अग्निवेश: आधुनिक आध्यात्मिकता का खोजी

-द वायर, 81 साल पूरे होने में कुछ रोज़ रह गए थे कि स्वामी अग्निवेश ने इस संसार से विदा ली. वे गृहस्थ नहीं थे, लेकिन संसार से उनका नाता प्रगाढ़ था. वे विरक्त कतई नहीं थे. राग हर अर्थ में उनके व्यक्तित्व को परिभाषित करता था. प्रेम, घृणा और क्रोध, ये तीनों ही भाव उनमें प्रचुरता से थे. इसलिए वे उन धार्मिकों की आख़िरी याद थे जिन्होंने धर्म के प्रति आस्था...

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लॉकडाउन के बाद पटना के शहरी गरीबों की स्थिति पर रिपोर्ट साझा करने तथा स्लमों में राहत कार्य करने लिए इजाजत देने और सहयोग करने के संबंध में

-भोजन का अधिकार अभियान बिहार, सेवा में,                माननीय मुख्यमंत्री,                बिहार सरकार, पटना, बिहार विषय :   लॉकडाउन के बाद पटना के शहरी गरीबों की स्थिति पर रिपोर्ट साझा करने तथा स्लमों में राहत कार्य करने लिए इजाजत देने और सहयोग करने के संबंध में। महाशय, देश और राज्यों में COVID-19 के खतरे को देखते हुये सरकार द्वारा लॉकडाउन का ऐलान किया गया...

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आज विवेकानंद को नये कट्टर हिन्दूत्व के दार्शनिक योद्धा के रूप में बदल दिया गया है

दोनों हाथों को मोड़कर छाती से सटाये और नेपोलियन की तरह टकटकी लगाकर कठोर मुद्रा बनाये स्वामी विवेकानंद हिन्दू धार्मिक प्रथाओं में दमन देखकर मानसिक वेदना के कारण विक्षिप्तता की ओर बढ़ रहे थे।विवेकानंद को निजी प्रेरणा मानने वालों में नरेंद्र मोदी अकेले व्यक्ति नहीं है। मगर कोई यह बताने सक्षम नहीं दिखता कि उनकी कौन से विचार प्रेरणा देते हैं अथवा प्रभावित करते हैं। हिन्दू धर्म के प्रवृत्तियों को जानने...

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'भारत' वाला बजट, इंडिया वाला नहीं-- संदीप बामजई

उपकार फिल्म का एक गाना है- मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरा मोती... आम बजट 2018-19 पूरी तरह से इस गाने के सच को पूरा करनेवाला लगता है. यह बजट कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता दर्शाता है. यानी यह बजट 'भारत' को ज्यादा तरजीह देनेवाला बजट है, 'इंडिया' को कम. ग्रामीण भारत के लिए, गरीब परिवारों के स्वास्थ्य के लिए, राष्ट्रीय राजमार्गों के...

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दलित दर्द की खतरनाक अनदेखी-- तरुण विजय

किसी भी समाज का सबसे बड़ा अपमान उसके दर्द, उसके इतिहास और उसके संघर्ष को नकारना होता है. कश्मीरी हिंदुओं के साथ यही हुआ. तमाम सेकुलर-जेहादियों ने पुस्तकें लिख डालीं कि कश्मीर घाटी से हिंदू अपने सदियों पुराने घर-बागीचे अपनी मर्जी से छोड़ आये, ताकि मुसलमान बदनाम किये जा सकें. आज महाराष्ट्र में दलितों के असंतोष को न तो हल्के ढंग से लेना चाहिए, न ही इसका सारा श्रेय...

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