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दिल्ली की बेघर आबादी और हीटवेव का अनुभव

इंडियास्पेंड, 18 अप्रैल  दिल्ली के अधिकतर बेघर लोग शहर के बाहरी इलाकों और औद्योगिक क्षेत्रों में रहने की तुलना में शहर के बीच के इलाकों में रहते हैं, जहां की सतह का तापमान अपेक्षाकृत कम है। हालांकि गर्मियों के मौसम में उनका यहां पर रहना भी दूभर हो जाता है। देश एक बार फिर भीषण गर्मी का सामना करने जा रहा है और इस साल अधिक हीटवेव दिनों का पूर्वानुमान है। ये...

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नाइट्रोजन प्रदूषण से बढ़ता जल संकट, भारत में पहले ही गंभीर रूप ले चुकी समस्या

डाउन टू अर्थ, 09 फरवरी एक नए अध्ययन से पता चला है कि बढ़ते नाइट्रोजन प्रदूषण के चलते अगले 26 वर्षों में दुनिया भर में पानी की भारी किल्लत हो सकती है। वैज्ञानिकों का अंदेशा है कि 2050 तक वैश्विक स्तर पर नदियों के एक तिहाई उप-बेसिनों को नाइट्रोजन प्रदूषण के चलते साफ पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है। शोधकर्ताओं ने चेताया है कि पानी की यह कमी...

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मशीनों से की जा रही अंधाधुंध खेती से संकट में पड़े स्टेपी और लिटिल बस्टर्ड पक्षी

डाउन टू अर्थ, 24 जनवरी  मानवजनित कारणों से लुप्तप्राय स्टेपी-लैंड पक्षी और लिटिल बस्टर्ड को बचाने के लिए वैज्ञानिक, किसान और संरक्षणकर्ताओं के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है। प्राकृतिक आवासों में कमी, सिंचाई में वृद्धि और शहरीकरण के कारण सतही क्षेत्र कम हो गए हैं, जो इस कमजोर प्रजाति के अस्तित्व के लिए अहम हैं। जर्नल बायोलॉजिकल कंजर्वेशन में प्रकाशित एक शोध से पता चलता है कि लिटिल बस्टर्ड की सबसे अधिक खतरे...

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किसान क्यों जलाता है पराली, क्या है स्थायी समाधान?

डाउन टू अर्थ, 3 नवम्बर हर वर्ष की तरह इस बार फिर 31अक्टूबर 2023 को दिल्ली-एनसीआर मे गंभीर वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान से वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए राज्यों द्वारा उठाए गए कदमों पर हलफनामा दाखिल करने को कहा। राजधानी क्षेत्र दिल्ली और साथ लगते प्रदेशों मे गंभीर वायु प्रदूषण से सर्दी के मौसम का आगमन पर 10 करोड़ से ज्यादा...

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पीएम जन आरोग्य योजना के तहत ‘मृत’ मरीज़ों के इलाज के लिए 6.9 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ: कैग

द वायर , 17 अगस्त  आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के ऑडिट में अनियमितताओं को चिह्नित करते हुए भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि इसके तहत 3,446 मरीजों के इलाज के लिए 6.97 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जिन्हें डेटाबेस में पहले ही मृत घोषित कर दिया गया था. 2018 में शुरू की गई यह योजना स्वास्थ्य देखभाल की मांग करने वाली गरीब और कमजोर...

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