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रासायनिक या प्राकृतिक? फैशन उद्योग के रंगरेज की उलझन

मोंगाबे हिंदी, 15 जनवरी हाल के कुछ सालों में फैशन इंडस्ट्री प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक इस्तेमाल और सिंथेटिक रंगाई प्रक्रिया से निकलने वाले जहरीले कचरे की वजह से जांच के दायरे में आ गई है। इससे निकलने वाला अपशिष्ट जल नदी, तालाबों और नहरों के पानी को दूषित कर रहा है। दुनियाभर में कपड़ा रंगाई का काम जल प्रदूषण का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। शायद यही वजह है कि दक्षिण...

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ग्रामीण ओडिशा में अनाज भंडारण करने का देसी तरीका 'गोला', लेकिन अब लुप्त होने का डर

गाँव कनेक्शन, 13 दिसंबर भागीरथी मंडल ने यह मानने को तैयार नहीं हैं कि केंद्रपाड़ा जिले में उनके गाँव हरियांका के पारंपरिक गोला (भंडार घर) को कभी भी बदला जा सकता है। "गोला के बिना फसल की कटाई को संरक्षित करना हमारे लिए असंभव है। यहां तक कि सबसे बढ़िया भंडारगृह भी पर्याप्त नहीं होते। गोले अतीत में महत्वपूर्ण थे, अब भी महत्वपूर्ण हैं और भविष्य में भी प्रासंगिक रहेंगे, "...

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आम महोत्सव: किसानों और कृषि उद्यमियों के साथ ही आम प्रेमियों को भी मिल रहा एक बेहतरीन मंच

गाँव कनेक्शन,7जुलाई  किसानों और कृषि उद्यमियों के लिए बाजार उपलब्ध कराने के लिए आयोजित आम महोत्सव में यूपी ही नहीं देश के अलग-अलग प्रदेशों के किसान शामिल हुए लखनऊ के अवध शिल्प ग्राम में लगा आम महोत्सव सभी के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आम महोत्सव में अलग अलग तरह के स्टॉल लगे हैं। सबसे खास बात यह है कि महोत्सव लगे हुए स्टालों की तादाद 75 हैं, क्योंकि भारत को...

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सिलिकोसिस: पत्थर कटाई करने वाले मज़दूर जीते जी नर्क में रहने के लिए मजबूर क्यों हैं

-द वायर, अगर आप गूगल पर सिलिकोसिस शब्द खोजेंगे तो आपको यह जवाब मिलेगा, ‘सिलिका युक्त धूल में लगातार सांस लेने से फेफड़ों में होने वाली बीमारी को सिलिकोसिस कहा जाता है. इसमें मरीज के फेफड़े खराब हो जाते हैं. पीड़ित व्यक्ति की सांस फूलने लगती है. इलाज न मिलने पर मरीज की मौत हो जाती है.’ लेकिन, हकीकत यह है कि सिलिकोसिस लाइलाज बीमारी है. एक बार सिलिकोसिस होने के बाद...

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मनरेगा का उद्देश्य कभी नहीं रहा कि मजदूरों का जातीय आधार पर वर्गीकरण हो: ज्यां द्रेज

-डाउन टू अर्थ, केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले मनरेगा भुगतान की प्रक्रिया में संशोधन किया है, जिसके चलते राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में मनरेगा मजदूरों को मजदूरी मिलने में काफी देरी हुई। यह देरी ऐसे समय में हुई जब कोविड-19 की दूसरी लहर देशभर में कहर ढा रही थी। डाउन टू अर्थ ने पिछले दो हफ्ते के दौरान देश के सबसे अधिक आबादी वाले पांच राज्यों में चल रहे...

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