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सरकार नहीं, समाज गढ़ता है श्रेष्ठ संस्थान- हरिवंश

अमेरिका के जितने भी महान विश्वविद्यालय हैं, उन्हें बनाने के लिए बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई लगा दी. एक झटके में करोड़ों डॉलर का दान कर दिया. क्या भारत में पैसेवालों की कमी है? नहीं. फिर क्यों यहां ऐसे संस्थान नहीं खड़े होते? क्यों हम लोग हर चीज के लिए सरकार का मुंह देखते रहते हैं. सरकार अपना काम करे, यह जरूरी है. पर समाज और लोगों की...

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औरतों की माहवारीः कब तक जारी रहेगी शर्म?- रुपा झा

"मैं अपनी बेटी को माहवारी के दौरान उन तकलीफों से नही गुज़रने दूंगी जिससे मैं गुज़रती रही हूं." 32 साल की मंजू बलूनी की आवाज़ में एलान करने जैसी दृढ़ता थी और आंखों में चमक. वे कहती हैं, "मुझसे मेरा परिवार तब अछूत की तरह व्यवहार करता है. मैं रसोई में नहीं जा सकती, मंदिर में जाना मना है, पूजा नहीं कर सकती, यहां तक कि दूसरों के साथ बैठ भी नहीं...

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