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बजट 2024: लैंगिक समानता, महिला सशक्तिकरण के लिए क्या खास होने वाला है?

इंडियास्पेंड, 01 फरवरी साल 2023 लैंगिक समानता के लिहाज से खासा महत्वपूर्ण साबित हुआ है। जहां एक तरफ महिलाओं के लिए संसद और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें सुनिश्चित करने वाले ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ को पास किया गया, वहीं महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए भारत की जी20 अध्यक्षता भी काफी सफल रही। लेकिन सिक्के के दूसरे पहलू की तरफ देखें तो तस्वीर कुछ और...

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कॉप28 के समापन तक भी देशों के बीच नहीं बनी आम सहमति

मोंगाबे हिंदी, 14 दिसम्बर  अट्ठाईसवें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ (कॉप28) ने सम्मेलन के पहले दिन जलवायु हानि और क्षति के लिए एक फंड शुरू करने का निर्णय देकर इतिहास रच दिया। लेकिन जैसे-जैसे दो सप्ताह के शिखर सम्मेलन का अंत नजदीक आ रहा है, वित्त, जलवायु कार्रवाई में समानता और – सबसे महत्वपूर्ण रूप से – जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने से संबंधित मामलों पर एकता की कमी, बाकी...

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कटी हुई अँगुलियाँ और चमचमाती कारें

क्या आप जानते हैं कि आपकी कार बनाते समय कितने लोगों की अँगुलियाँ कट गई थी ? आपने जिस भी कंपनी से कार खरीदी है, क्या वहाँ सुरक्षा मानकों की पालना की जा रही थी ? मजदूरों की सुरक्षा के लिए कौनसे कदम उठाएँ गए हैं ? क्या वो पर्याप्त हैं ?  इसी तरह के सवाल का ज़वाब तलाशती है– ‘सेफ इन इंडिया’ की रिपोर्ट – सेफ्टी–नीति 2023 और CRUSHED 2022. ऑटो–मोबाइल क्षेत्र,...

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जलवायु हॉटस्पॉट: गर्म होता अरब सागर, गुजरात के पश्चिमी तट के मछुआरों की आजीविका पर संकट

इंडियास्पेंड, 22 जून पोरबंदर के राकेश कुमार, वेरावल के धर्मेश गोयल और द्वारका के इस्‍माइल भाई, एक ही राज्‍य के अलग-अलग ज‍िलों के इन तीनों के बीच कई समानताएं हैं। मसलन कि ये समुद्री मछुआरे हैं, हाल के वर्षों में बदले मौसम के म‍िजाज से परेशान हैं और कई पीढ़‍ियों से चली आ रही मछली पकड़ने की परंपरा को बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। “आज से पांच साल पहले तक कि...

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बेरोजगारी दूर करने का दमखम है कृषि में

दैनिक ट्रिब्यून, 03 अप्रैल  कोरोना महामारी के दौरान जिस तरह देश ने प्रवासी मजदूरों का घर-वापसी पलायन देखा, उसके बाद आई आवधिक श्रमिक बल सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि खेत मजदूरों की संख्या में 3 फीसदी का इजाफा हुआ है, यह गिनती वर्ष 2018-19 में 42.5 प्रतिशत से बढ़कर 2021-22 में 45.5 फीसदी हो गई। जिस कृषि क्षेत्र को इन तमाम सालों में जान-बूझकर दीन-हीन बनाकर रखा गया है, वह...

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