SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 141

जलवायु परिवर्तन के अनुकूल ढलने के लिए संघर्ष कर रहे हैं उत्तराखंड में सीमांत किसान

द थर्ड पोल, 5 जुलाई उत्तराखंड के धुधोली गांव में नीमा देवी, अपनी भाभी प्रेमा देवी के साथ बैठकर हाथ से गेहूं की मड़ाई कर रही हैं। कटाई का मौसम खत्म हो गया है। दरअसल, अपने पड़ोसी के आंगन में, हाथ से गेहूं की मड़ाई करने से इन दोनों को अपने मवेशियों के लिए चारा मिल जाता है। नीमा देवी का कहना है कि उनके पास इतनी ज़मीन भी नहीं है कि...

More »

पानी और साफ-सफाई

खास बात - भारत में खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या 626 मिलियन है। यह संख्या 18 देशों में खुले में शौच करने वाले लोगों की संयुक्त संख्या से ज्यादा है।# -ग्रामीण इलाकों में केवल २१ फीसदी आबादी के घरों में शौचालय की व्यवस्था है।* -पेयजल आपूर्ति विभाग के आंकड़ों के हिसाब से कुल १,५०,७३४९ ग्रामीण मानव बस्तियों में से केवल ७४ फीसदी में पूरी तरह और १४ फीसदी में...

More »

पंजाब- आत्महत्या से मरने वाले पंजाब के 9,000 से अधिक किसानों में से 88% कर्ज में डूबे

गाँव सवेरा, 23 जून  इकनोमिक एंड पोलिटिकल वीकली (पत्रिका) के नए संस्करण में प्रकाशित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के एक अध्ययन से पता चला है कि पंजाब के छह जिलों में साल 2000 से 2018 के बीच आत्महत्या से 9,291 किसानों की मौत हुई है. सर्वेक्षण में शामिल  जिलों में संगरूर, बठिंडा, लुधियाना, मानसा, मोगा और बरनाला शामिल हैं. अध्ययन में यह पाया गया है कि इन सभी आत्महत्याओं में 88 फीसदी...

More »

बिहार में यूरिया की भारी कमी और कालाबाजारी से किसान परेशान

-डाउन टू अर्थ, मौजूदा रबी सीजन में रासायानिक उर्वरक की भारी कमी और दोगुने दामों में उसकी कालाबाजारी से पूरे बिहार के किसान चिंतित हैं। उनका कहना है कि इसका असर रबी की फसल पर पड़ सकता है, जिससे उन्हें नुकसान होगा। बिहार के किसानों को केंद्र सरकार की ओर से कम आपूर्ति के चलते पिछले साल खरीफ सीजन के दौरान भी उर्वरकों की कमी का सामना करना पड़ा था। रिपोर्टों के मुताबिक,...

More »

मनरेगा में लगातार दूसरी बार बजट कटौती, गांव कैसे बनेंगे आत्मनिर्भर

-न्यूजलॉन्ड्री, कोरोनाकाल के तीसरे वर्ष में जब रोजगार संकट चरम पर है और लोगों की जेबें खाली हैं तब गांवों में श्रमिकों का सहारा बनने वाले महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) में लगातार दूसरे वर्ष बजट प्रावधान में कटौती की गई है. बजट कम होने का सीधा मतलब श्रमदिवस के कम होने और रोजगार के अवसरों में कमी से भी है. 01 फरवरी, 2022 को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close