खास बात साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38% फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...
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कमला भसीन: सरहद पर बनी दीवार नहीं, उस दीवार पर पड़ी दरार…
-द वायर, कमला भसीन के जीवन की आखिरी लड़ाई कैंसर के एक बेहद घातक प्रकार से थी. उन्होंने एक असहनीय दर्द का मुकाबला विडंबना के साथ और सामने खड़ी मौत का सामना रोजमर्रा के आम दिनचर्या के साथ किया. भारतीय स्त्रीवाद को उनका सबसे बड़ा योगदान था, अपने आदर्शों के साथ समझौता न करने और उन्हें एक बिल्कुल अलग तरीके से व्यवहार करने वाली दुनिया के सामने कहने का संकल्प. उनकी प्रतिभा...
More »वैश्विक लैंगिक समानता सूचकांक में ख़राब रहा भारत का प्रदर्शन, 129 देशों में 95वें पायदान पर
नई दिल्ली: वैश्विक स्त्री-पुरुष समानता सूचकांक में भारत 129 देशों में से 95वें पायदान पर है. इस तरह से लैंगिक समानता सूचकांक की हालिया सूची में भारत घाना, रवांडा और भूटान जैसे देशों से भी पीछे है. अधिकतम 100 अंक में से सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के लैंगिक मापदंडों पर विभिन्न देशों के प्रदर्शन के मामले में भारत का स्कोर 56.2 रहा. बता दें कि यह सूचकांक गरीबी, स्वास्थ्य, शिक्षा, साक्षरता, राजनीतिक...
More »तीस लाख मतदाता चाहें भी तो इस चुनाव में मतदान नहीं कर सकते- आखिर क्यों, पढ़िए इस एलर्ट में !
‘वोट इंडिया वोट' के नारे के साथ एक सरकारी वेबसाइट पर लिखा है- ‘ मतदान प्रक्रिया में भाग लें, मतदाता होने पर गर्व महसूस करें.' लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि भारत की एक बड़ी कामगार आबादी चाहे तो भी वोट नहीं कर सकती ? ऐसे कामगारों में एक नाम आता है ईंट भट्ठे के मजदूरों का ! इस बार ईंट भट्ठे पर काम करने वाले तकरीबन 30 लाख मजदूर अपने...
More »तमिलनाडु में महात्मा की चमक-- रामचंद्र गुहा
महात्मा गांधी आधुनिक युग के ऐसे इंसान हैं, जो किसी भी अन्य भारतीय की अपेक्षा अपने होने को सार्थक करते हैं। एक ऐसे हिंदू, जिन्होंने मुसलमानों के समान अधिकारों के लिए अपना करियर तो समर्पित किया ही, जीवन भी बलिदान कर दिया। 1922 में राजद्रोह के मुकदमे की सुनवाई कर रहे अंग्रेज जज ने पेशा पूछा, तो उनका जवाब था- ‘किसान और बुनकर'। जीवन यापन के दो ऐसे तरीके, जो...
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