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पीएम जन आरोग्य योजना के तहत ‘मृत’ मरीज़ों के इलाज के लिए 6.9 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ: कैग

द वायर , 17 अगस्त  आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के ऑडिट में अनियमितताओं को चिह्नित करते हुए भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि इसके तहत 3,446 मरीजों के इलाज के लिए 6.97 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जिन्हें डेटाबेस में पहले ही मृत घोषित कर दिया गया था. 2018 में शुरू की गई यह योजना स्वास्थ्य देखभाल की मांग करने वाली गरीब और कमजोर...

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गरीबी और असमानता

[inside] इंडिया में आर्थिक असमानता: “अरबपति राज” में ब्रिटिश राज से भी ज्यादा है असमानता - रिपोर्ट [/inside] इंडिया के भौगोलिक आकार और जनसंख्या, जो अब दुनिया में सबसे अधिक है, को देखते हुए इंडिया में आर्थिक विकास का वितरण विश्व की आर्थिक असमानता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसलिए इंडिया में आय और संपत्ति की असमानता को सटीक रूप से मापना अत्यधिक आवश्यक है। हाल ही में वर्ल्ड इनइक्वलिटी डाटाबेस ने...

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सरकार की PM-JAY स्वास्थ्य योजना के तहत दूसरा सबसे बड़ा खर्च क्या है? सस्ता कोविड टेस्ट!

दिप्रिंट ,09 अगस्त प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) 2018 में जब शुरू की गई थी, तो इसका उद्देश्य तमाम परिवारों को भारी-भरकम स्वास्थ्य खर्च के कारण गरीबी के कगार पर पहुंचने से बचाना था. हालांकि, योजना का प्रबंधन करने वाले राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के डेटा से पता चलता है कि टरशियरी स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत अधिक दावों के मामले में कोविड स्क्रीनिंग टेस्ट दूसरे नंबर पर है. एनएचए डेटा (8 अगस्त,...

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खबरदार

  खास बात • गंगोत्री ग्लेशियर सालाना ३० मीटर की गति से सिकुड़ रहा है।* • अगर समुद्रतल की ऊंचाई एक मीटर बढ़ती है तो भारत में ७० लाख लोग विस्थापित होंगे।* • पिछले बीस सालों में ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी जिवाश्म ईंधन के दहन से हुई है।* • मानवीय क्रियाकलापों के कारण ग्लोबल ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन में लगातार बढोत्तरी हो रही है। अगर औद्योगीकरण के पहले के समय से तुलना करें तो मानवीय क्रियाकलापों...

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जेंडर

खास बात   साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38%  फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...

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