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बजट 2024: लैंगिक समानता, महिला सशक्तिकरण के लिए क्या खास होने वाला है?

इंडियास्पेंड, 01 फरवरी साल 2023 लैंगिक समानता के लिहाज से खासा महत्वपूर्ण साबित हुआ है। जहां एक तरफ महिलाओं के लिए संसद और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें सुनिश्चित करने वाले ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ को पास किया गया, वहीं महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए भारत की जी20 अध्यक्षता भी काफी सफल रही। लेकिन सिक्के के दूसरे पहलू की तरफ देखें तो तस्वीर कुछ और...

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मुश्किल में समुद्री शैवाल की खेती से जुड़ी महिलाएं

मोंगाबे हिंदी, 22 जनवरी   “मेरी मां समुद्री शैवाल इकट्ठा किया करती थीं। उस समय मेरी उम्र काफी कम थी लेकिन फिर भी उन के साथ जाती और उनकी मदद करती थी। तभी से मैं समुद्री शैवाल की खेती करती आ रही हूं।” समुद्री शैवाल के बारे में एक स्वयं सहायता समूह को प्रशिक्षण देने वाली 45 साल की आर. सुगंती ने याद करते हुए बताया। वह तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में...

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आदिवासी क्यों कर रहे हैं समान नागरिक संहिता का विरोध ?

"यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। आप मुझे बताइये, एक घर में, परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो, तो क्या वो घर चल पाएगा? कभी भी चल पाएगा? समर्थकों की ओर से जवाब आता है नहीं। फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा। हमें याद रखना है कि भारत के...

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आंध्र प्रदेश की एच एंड एन हस्तक्षेप परियोजना से ग्रामीणों में कुपोषण में कमी देखी गई है

जनता से रिश्ता, 28 जून  प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और दैनिक आहार में पोषण मूल्य में सुधार करने के मद्देनजर, रायथु साधिकारा संस्था (आरवाईएसएस) ने आंध्र प्रदेश समुदाय प्रबंधित प्राकृतिक खेती (एपीसीएनएफ) परियोजना के हिस्से के रूप में एक स्वास्थ्य और पोषण (एच एंड एन) हस्तक्षेप पायलट परियोजना शुरू की है। राज्य। पायलट प्रोजेक्ट में सामुदायिक पोषक उद्यान और खाद्य प्लेटें शामिल हैं। पोषक उद्यानों के तहत, व्यक्तियों, स्वयं सहायता...

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ओडिशा के पहाड़ी इलाकों में स्ट्राबेरी उगा रहे हैं आदिवासी किसान

गाँव कनेक्शन, 9 जनवरी एक साल पहले 2021 में इंटीग्रेटेड ट्राइबल डेवलपमेंट एजेंसी(ITDA),ने कोरापुट जिले के चार गाँवों की 30 आदिवासी महिलाओं को पहली बार जिले के डोलियांबा गाँव में पांच एकड़ जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती करने में मदद की थी। ये महिलाएं तीन स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी)-माँ सुभद्रा, माँ तारिणी और माँ बरुआ- से जुड़ी हुईं थीं। आज ये आदिवासी महिलाएं सफल स्ट्रॉबेरी किसान हैं। इंटीग्रेटेड ट्राइबल डेवलपमेंट एजेंसी,...

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