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जयंती पर विशेष: वर्तमान में नहीं रही प्रेमचंद युग की पत्रकारिता

जनचौक, 31 जुलाई वाराणसी। प्रेमचंद जी कहते हैं कि समाज में ज़िन्दा रहने में जितनी कठिनाइयों का सामना लोग करेंगे उतना ही वहां गुनाह होगा। अगर समाज में लोग खुशहाल होंगे तो समाज में अच्छाई ज़्यादा होगी और समाज में गुनाह नहीं के बराबर होगा। प्रेमचन्द ने शोषित वर्ग के लोगों को उठाने का हर संभव प्रयास किया। उन्होंने आवाज़ लगाई ‘ए लोगों जब तुम्हें संसार में रहना है तो जिन्दों...

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मौत और पत्रकारिता: भारत में कोविड से मौत के आंकड़े कम बताए गए, क्या बंटवारे से दोगुनी मौतें हुईं

-द प्रिंट, इस सप्ताह, कॉलम का विषय चुनने के लिए मैंने गूगल पर ‘मौत और पत्रकारिता ’ (डेथ एंड जर्नलिज्म) शीर्षक से सर्च किया. मजे की बात यह है कि इसमें शुरू की 20 में से 19 इंट्री पत्रकारिता ‘की’ मौत के बारे में थीं. मैं अपने स्वार्थवश यह भी बता दूं कि इनमें से दो इंट्री यह कह रही थी कि यह कहना गलत है कि पत्रकारिता की मौत हो चुकी...

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विनोद दुआ से जुड़े संस्थान एचडब्ल्यू न्यूज़ नेटवर्क पर आयकर विभाग का छापा

-न्यूजलॉन्ड्री, डिजिटल मीडिया संस्थान एचडब्ल्यू न्यूज़ नेटवर्क के मुंबई स्थित में ऑफिस में आयकर विभाग (इनकम टैक्स) ने छापेमारी कर तलाशी ली है. गुरुवार से शुरू यह तलाशी शुक्रवार तक चली. इसके पीछे के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है. भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीति पर बारीक नजर रखने वाले एचडब्ल्यू न्यूज़ के कार्यालय में गुरुवार, 10 सितंबर की सुबह ग्यारह बजे संपादकीय मीटिंग चल रही थी, उसी वक्त इनकम टैक्स...

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कोविड-19 लॉकडाउन में बढ़ती समाचारों की खपत, गलत सूचनाओं का मकड़जाल और साइबर लूट

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान लोग देश और दुनिया की ताजा सूचनाओं के लिए टीवी मीडिया और इंटरनेट का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. टीवी मीडिया और इंटरनेट की खपत में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है. टेलीविज़न मॉनिटरिंग एजेंसी BARC (ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, लॉकडाउन की अवधि में टीवी पर समाचारों की खपत 298% बढ़ी है. इसके...

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पी साईंनाथ: कितनी आज़ाद है ग्रामीण पत्रकारों की कलम?

मैं पांच भाषाओं में बराबर खराब बोल सकता हूं. यहां मैं मुंबइया हिंदी में बोलूंगा. आप लोगों ने सम्मान दिया, किताब रिलीज करने को बुलाया, यह मेरे लिए सम्मान की बात है क्योंकि ग्रामीण भारत के बारे में बहुत कम छपता है. इस किताब में दस राज्यों से रिपोर्टें हैं. ये वे दस राज्य हैं जहां देश की आधी आबादी, करीब साठ−सत्तर करोड़ लोग रहते हैं. इसलिए ये बहुत अहम...

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