डाउन टू अर्थ, 25 सितम्बर नर्मदापुरम जिले की सिवनी मालवा तहसील के ग्राम भैरोपुर के रहने वाले किसान संतोष पटवारी बताते हैं कि अगस्त माह में उनके क्षेत्र में 18 दिन तक बारिश नहीं हुई थी। सूखे जैसे हालत निर्मित हो गए थे। इससे धान, मक्का, सोयाबीन की फसल सूखने की कगार पर पहुंच गई। सितंबर के पहले सप्ताह में लंबे अंतराल के बाद बारिश शुरू हो गई। भारी बारिश से...
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हरियाणा: बाढ़ व सूखा देख बीमा कंपनियों ने बीमा से किया इंकार, सरकार पर उठे सवाल
डाउन टू अर्थ, 19 सितम्बर बीमा कपंनी ने हरियाणा के सात जिलों के किसानों की फसल का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत बीमा करने से अपने हाथ पीछे खींच लिए। इसकी वजह इन जिलों में बाढ़ व सूखे की स्थिति बनी है। अब जब खरीफ की फसल तैयार होने को है तो किसानों को इस बात का पता चला कि उनके बैंक खाते से राशि काटे जाने के बाद...
More »4 साल की अच्छी मानसूनी वर्षा के बाद अब केरल में सूखे जैसी स्थितियां, अब तक 45 फीसदी कम हुई वर्षा
डाउन टू अर्थ, 25 अगस्त दक्षिणी पश्चिमी मानसून के कमजोर होने के चलते केरल के सभी 14 जिलों में सूखे जैसी स्थितियां पैदा हो गई हैं। खासतौर से इडुक्की और वायनाड जैसे पहाड़ी जिले भी सूखे जैसी स्थितियों की मार झेल रहे हैं। दक्षिणी पश्चिमी मानसून अपने आखिरी चरण में जा रहा है इसके बावजूद वायनाड में सूखे जैसी स्थितियां विभिन्न तरह के चावल उगाने वाले किसानों के लिए चिंताजनक हो...
More »खरीफ सीजन 2023: 16 फीसदी जिलों में सूखे जैसे हालात, 20 लाख हेक्टेयर में नहीं हुई बुआई
डाउन टू अर्थ, 17 जुलाई देश में एक ओर बाढ़ तो दूसरी ओर सूखे जैसे हालात हैं। कई राज्यों में भारी बारिश से बाढ़ आने के बावजूद देश के लगभग 38 प्रतिशत जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। इनमें से 16 फीसदी जिलों में सूखे जैसे हालात बन गए हैं। यही वजह है कि इस साल अब तक पिछले साल के मुकाबले 20 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की...
More »200 किलोमीटर पैदल क्यों चलना पड़ रहा है दक्षिण बिहार के किसानों को
गाँव कनेक्शन, 3 जुलाई बिहार में मानसून आ चुका है और घनश्याम यादव अपने घर वापस जाने की तैयारी में हैं। 70 साल के किसान को अपना घर छोड़े हुए दो महीने से ज़्यादा हो गया है। अप्रैल की शुरुआत में, जब भीषण गर्मी पड़ रही थी, वह 32 भैंस और बारह अन्य चरवाहों के साथ मवेशियों के लिए चारे की तलाश में पंद्रह दिनों तक पैदल चल कर यहाँ तक...
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