इंडियास्पेंड, 01 फरवरी साल 2023 लैंगिक समानता के लिहाज से खासा महत्वपूर्ण साबित हुआ है। जहां एक तरफ महिलाओं के लिए संसद और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें सुनिश्चित करने वाले ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ को पास किया गया, वहीं महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर करते हुए भारत की जी20 अध्यक्षता भी काफी सफल रही। लेकिन सिक्के के दूसरे पहलू की तरफ देखें तो तस्वीर कुछ और...
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पंचायतों में महिलाओं की मौज़ूदगी से ऐसे बदल रही है गाँवों की तस्वीर
गाँव कनेक्शन, 5 जुलाई महोबा के मामना गाँव की पँच रह चुकी पनकुंवर अपने गाँव की महिलाओं के लिए मिसाल हैं। दरअसल पँचायत सदस्य के रूप में चुने जाने के बाद भी उनको रबर स्टैंप से ज़्यादा अहमियत नहीं दी जाती थी। अक्सर प्रधान रजिस्टर पर दस्तख़त लेने के लिए किसी न किसी को उनके पास भेज देते थे। लेकिन एक दिन उनके इसपर एतराज़ और सवाल पूछने से ये परम्परा...
More »राजस्थान की अवांछित बेटियां: लिंग निर्धारण और कन्या भ्रूण हत्या
इंडियास्पेंड, 19 मई “यहाँ दूसरे या तीसरे बच्चे के रूप में जन्म लेने वाली लड़कियों के लिए बोझा, आनाछी, कचरी, निराशा कुछ लोकप्रिय नाम हैं,” पश्चिमी राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर के ग्रामीण इलाके में रहने वाली काचरी बाई कहती हैं। बोझा का अर्थ है बोझ, अनाच्छी का अर्थ है अवांछित या खराब, कचरी का अर्थ है कचरा और निराशा का अर्थ है निराशा। अपनी बहनों रोशनी और रेणु के बाद कचरी...
More »लैंगिक समता के मामले में 146 देशों की सूची में भारत 135वें स्थान पर: विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट
द वायर हिंदी, 14 जुलाई विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट 2022 के मुताबिक, कुल 146 देशों के सूचकांक में सिर्फ 11 देश ही भारत से नीचे हैं. अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, कांगो, ईरान और चाड सूची में सबसे निचले पायदान वाले पांच देशों में शामिल हैं. हालांकि स्वास्थ्य एवं जीवन प्रत्याशा सूचकांक में भारत का स्थान 146वां है. विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की एक रिपोर्ट में भारत को लैंगिक समता (gender...
More »जेंडर
खास बात साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38% फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...
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