SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 39

एक साथ चलती हैं पानी और संस्कृति, समाज की विफलता की निशानी है पानी का न बचना

डाउन टू अर्थ, 18 अप्रैल  स्वच्छ जल के बिना एक स्वस्थ और सुखद जीवन की कल्पना करना असंभव है। चाहे केंद्र हो या राज्य, ग्रामीण समुदायों तक पानी पहुंचाना हर नई सरकार की प्राथमिकता रही है। हालांकि अनुभव से पता चलता है कि भले ही पानी की सुविधा कई गांवों में “उपलब्ध” हो गई है, लेकिन ऐसे गांवों की संख्या भी बढ़ी है, जहां पानी फिर से “अनुपलब्ध” हो चुका है। दरअसल जलापूर्ति...

More »

कानून से बचने के लिए क्या रास्ता अपनाते हैं आरओ प्लांट संचालक?

डाउन टू अर्थ, 26 मार्च दिल्ली से लेकर देश के सूखाग्रस्त इलाकों में भी भूजल निकालकर आरओ प्लांट्स के जरिए पानी फिल्टर करने की होड़ चल पड़ी है। इसमें अनगिनत प्लांट्स ऐसे हैं जिनके पास किसी तरह की अनुमतियां नहीं हैं और न ही वे भारत मानक ब्यूरो के दायरे में ही आते हैं। दिल्ली ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार में ऐसे कई जिले हैं जहां एक...

More »

नाइट्रोजन प्रदूषण से बढ़ता जल संकट, भारत में पहले ही गंभीर रूप ले चुकी समस्या

डाउन टू अर्थ, 09 फरवरी एक नए अध्ययन से पता चला है कि बढ़ते नाइट्रोजन प्रदूषण के चलते अगले 26 वर्षों में दुनिया भर में पानी की भारी किल्लत हो सकती है। वैज्ञानिकों का अंदेशा है कि 2050 तक वैश्विक स्तर पर नदियों के एक तिहाई उप-बेसिनों को नाइट्रोजन प्रदूषण के चलते साफ पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है। शोधकर्ताओं ने चेताया है कि पानी की यह कमी...

More »

आरबीआई के विलफुल डिफॉल्टर्स के क़र्ज़ को समझौते से निपटाने के निर्णय के ख़िलाफ़ आईं बैंक यूनियन

डाउन टू अर्थ, 14 जून  भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी करते हुए कॉम्प्रोमाइज़ सेटलमेंट (समझौते की प्रक्रिया) के तहत बैंकों को विलफुल डिफॉल्टर्स (जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले) और धोखाधड़ी के मामलों के ऋण निपटान की अनुमति देने का निर्णय लिया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, बैंक यूनियनें इसके खिलाफ हैं. उनका कहना है कि आरबीआई का ‘कॉम्प्रोमाइज़ सेटलमेंट और तकनीकी राइट-ऑफ का तरीका’ एक ‘हानिकारक...

More »

बांधों के निर्माण में तेजी के बावजूद जलाशयों में मौजूद पानी में आई है कमी, जानिए कौन है जिम्मेवार

डाउन टू अर्थ, 14 जून  भले ही पिछले 20 वर्षों में नए बांधों के निर्माण के चलते वैश्विक स्तर पर जलाशयों की कुल भंडारण क्षमता में इजाफा हो रहा है, लेकिन इसके बावजूद जलाशयों में मौजूद पानी की मात्रा घट रही है। इसका मतलब है कि जल संसाधनों पर बढ़ते दबाव को दूर करने के लिए केवल ज्यादा से ज्यादा बांधों का निर्माण ही काफी नहीं है। यह जानकारी टेक्सास ए एंड...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close