Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
सशक्तीकरण | कोविड-19 महामारी में पढ़ाई पर न पड़े असर, सरकारी स्कूल के अध्यापक ने अपनी कार को बनाया 'शिक्षा रथ'

कोविड-19 महामारी में पढ़ाई पर न पड़े असर, सरकारी स्कूल के अध्यापक ने अपनी कार को बनाया 'शिक्षा रथ'

Share this article Share this article
published Published on Jul 26, 2021   modified Modified on Jul 27, 2021

-गांव कनेक्शन,

कोविड-19 के चलते स्कूल तो बंद हो गए, लेकिन इससे बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर पड़ेगा? संजय चौहाण से अगर यही सवाल पूछें तो उनका जवाब होगा नहीं, तभी तो वो हर दिन अपनी सफेद मारुति सुजुकी एर्टिगा कार लेकर अपनी मंजिल पर बच्चों को पढ़ाने पहुंच जाते हैं। संजय चौहाण धनपुर तहसील के पिपोदरा गाँव में रहते हैं, और हर दिन 12-15 किलोमीटर ड्राइव करके रूवाबाड़ी गांव पहुंचते हैं जहां 350 बच्चे अपनी किताबों और पेंसिलों के साथ उनका बेसब्री से इंतजार करते हैं।

31 वर्षीय संजय चौहाण सरकारी स्कूल में अध्यापक हैं, लेकिन उनकी कोशिश है कि कोविड-19 में भी बच्चों की पढ़ाई होती रहे। चौहाण पिछले सात साल से रुवाबारी मुवाडा प्राइमरी स्कूल में शिक्षक हैं। उन्होंने 2018 में अपनी कार खरीदी, उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह इसे शिक्षा रथ में बदल बच्चों को पढ़ाने के काम लाएंगे। चौहाण अपने शिक्षा रथ को रंगीन चार्ट पेपरों के साथ एक मोबाइल 'व्हाइटबोर्ड' के रूप में उपयोग करते हैं।

आखिरकार इनके में मन शिक्षा रथ शुरू करने का विचार कैसे आया। इसके पीछे का मकसद क्या था।

संजय चौहाण बताते हैं, "हम शिक्षा रथ की मदद से 1 से 8 तक के बच्चों को पढ़ाते हैं। पिछले वर्ष कोरोना महामारी से पहले मैंने विद्यार्थियों को पढ़ाई में रुचि लाने के मकसद से कठिन विषयों को सरल तरीक़े से समझाने के लिए अध्ययन सामग्री तैयार की थी, लेकिन कोविड 19 के बढ़ते केस को देखते हुए सभी स्कूल बंद कर दिए गए। उसके बाद मेरे बनाए गए प्रोजेक्ट चार्ट की उपयोगिता मानो खत्म होने लगी थी। तब मेरे मन में ख्याल आया कि क्यों न मैं अपनी गाड़ी की मदद से बच्चों के घर तक जाकर उन्हें पढ़ाने का काम करूं। उ

सके बाद मैंने 1 अप्रैल 2020 से अपनी गाड़ी की मदद से बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और नाम रखा शिक्षा रथ। कोविड महामारी से देश की अर्थव्यवस्था और शिक्षा पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है। और, देश भर के स्कूलों की तरह, रुवाबाड़ी प्राइमरी स्कूल, जहां चौहान ने सात साल तक पढ़ाया है, भी बंद हो गया। संजय लैपटॉप से भी बच्चों को पढ़ाते हैं। इस साल की शुरुआत में, यूनिसेफ की एक रिपोर्ट ने बताया कि कैसे भारत में केवल 8.5 प्रतिशत छात्रों के पास इंटरनेट की पहुंच है - एक तकनीकी बाधा जो बच्चों के शिक्षा के अधिकार की कीमत पर कोविड-19 महामारी और स्कूलों के परिणामी बंद होने के बीच है।

यूनिसेफ की रिपोर्ट - 'कोविड-19 और बंद स्कूल: शिक्षा में व्यवधान का एक वर्ष' - ने संकेत दिया कि दी गई परिस्थितियों में, स्कूल छोड़ने की दर जो पहले से ही भारत में अधिक है, आगे बढ़ सकती है। भारत में छह मिलियन से अधिक लड़के और लड़कियां कोविड-19 के प्रकोप से पहले भी स्कूली शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ थे और इस महामारी ने केवल इस संख्या को और ज्यादा बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। आगे वह बताते हैं कि मैंने तो यह सोच लिया था कि बच्चों को पढ़ना है, लेकिन कोरोना संक्रमण के बढ़ते केस को देखते हुए क्या अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजेंगे। यह सवाल मेरे मन में चल रहा था। राहत की सबसे बड़ी खबर यह थी कि गांव में इसकी रफ्तार ना के बराबर थी।

फिर भी शुरुआत के समय में केवल 150 के आस पास विद्यार्थी पढ़ने आए। इनमें से अधिकांश बच्चें हमारे विद्यालय के ही थे, वहीं कुछ प्राइवेट स्कूल के विद्यार्थी पढ़ने आए। "हमने कोरोना को देखते हुए एक दिन में तीन ग्रुप बनाए। इसके साथ ही हम सभी बच्चों को अलग अलग दिन बुलाते हैं। कहते है न इरादे नेक हो तो कायनात भी मदद के लिए आगे आते है।उसके बाद मेरे इस सफर में मेरे अन्य शिक्षक साथी भी मदद के लिए आगे आए और अभिभावकों ने अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजने लगे और आज 350 के आस पास विद्यार्थी यह शिक्षा लेने आते है। मेरी' शिक्षा रथ ' केवल इसी गांव में चलता है। वहीं इस गाड़ी का खर्चा मैं खुद उठाता हूँ, "चौहाण ने आगे बताया।

यहां पढ़ने आने वाले कक्षा 7वीं के छात्र पटेल रविशंकर बताते हैं, "हम लोगों को कभी लगा ही नहीं कि हमारा स्कूल बंद है। वहीं 12 वर्षीय राजू पटेल बताते है कि' मैं पिछले एक वर्ष से पढ़ने आता हूँ। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि आज मैं 7 वीं कक्षा में पढ़ रहा हूँ लेकिन 6 वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की है।" वहीं छात्रा नैना जनक बताती ही हैं कि मुझें पढ़ना बहुत अच्छा लगता है और यह हम शिक्षा रथ की मदद से पढ़ रहे है।'

पूरी विजयगाथा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.


अंकित कुमार सिंह, https://www.gaonconnection.com/badalta-india/covid19-pandemic-education-school-rural-gujarat-teacher-student-positive-story-49558


Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close