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चर्चा में.... | केन्द्रीय बजट 2021-22 में वित्तीय पारदर्शिता से खर्च के आंकड़ों पर असर!
केन्द्रीय बजट 2021-22 में  वित्तीय पारदर्शिता से खर्च के आंकड़ों पर असर!

केन्द्रीय बजट 2021-22 में वित्तीय पारदर्शिता से खर्च के आंकड़ों पर असर!

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published Published on Feb 10, 2021   modified Modified on Feb 20, 2021

केंद्रीय बजट 2021-22 को 'पारदर्शी' क्यों कहा जा रहा है, इसको समझने के लिए साल 2021-26 के लिए 15वें वित्त आयोग की मुख्य रिपोर्ट और केंद्रीय बजट 2021-22 को एक साथ पढ़ा जाना चाहिए. लेकिन पहले, हम 'उर्वरक सब्सिडी' के बारे में चर्चा करते हैं.

केंद्रीय बजट 2021-22 के बजट दस्तावेज बताते हैं कि 'उर्वरक सब्सिडी' पर खर्च साल 2020-21 में 1,33,947 करोड़ रुपए (संशोधित अनुमान) से घटाकर साल 2021-22 (बजट अनुमान) में 79,530 करोड़ रूपए कर दिया है. हालांकि, उर्वरक सब्सिडी पर बजटीय आवंटन 2020-21 (B.E.) में 71,309 करोड़ रुपए था, जो 2020-21 के संशोधित अनुमान के आंकड़े का लगभग आधा है. बजटीय आवंटन (B.E) और संशोधित अनुमान (R.E.) के बीच इतना बड़ा अंतर 2020-21 में 'उर्वरक सब्सिडी' पर खर्च के आंकड़े लेखांकन प्रथा में परिवर्तन के कारण हुआ [जैसा कि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) और 15 वें वित्त आयोग, अन्य लोगों के बीच) और 'ऑफ-बजट वित्तपोषण' मोड में बदलाव कर खर्च के अधिक पारदर्शी तरीके अपनाने की वजह से हुआ.

यहां यह गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने उर्वरक सब्सिडी से होने वाली उर्वरक कंपनियों की लिक्विडिटी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विशेष बैंकिंग व्यवस्था (SBA) का सहारा लिया, जिसकी घोषणा हर साल के केंद्रीय बजट में की जाती है. 2021-26 के लिए 15 वें वित्त आयोग की मुख्य रिपोर्ट, जो 1 फरवरी, 2021 को संसद में पेश की गई थी, बताती है कि विशेष बैंकिंग व्यवस्था (SBA) सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से बजट आवंटन और वित्तीय वर्ष की समाप्ति के दौरान वास्तविक राशि में बेमेल को खत्म करने के लिए अल्पकालिक ऋण है. केंद्र सरकार जी-सेक दर पर बैंकों को ब्याज का भुगतान करती है और जी-सेक दर से ऊपर का ब्याज उर्वरक कंपनियों द्वारा वहन किया जाता है. मार्च 2020 तक उर्वरक सब्सिडी से संबंधित अतिरिक्त बजटीय संसाधनों का स्टॉक लगभग 40,000 करोड़ रुपए था.

इसके अलावा, 'भोजन सब्सिडी' पर चर्चा करना भी जरूरी है. 2021-22 के लिए जारी बजट दस्तावेजों से संकेत मिलता है कि 'खाद्य सब्सिडी' पर खर्च साल 2020-21 में 4,22,618 करोड़ रुपये (R.E.) से घटाकर 2021-22 (B.E) में बजटीय आवंटन 2,42,836 करोड़ रुपए कर दिया गया है. साल 2020-21 (B.E.) में 'खाद्य सब्सिडी' पर बजटीय आंवटन 1,15,570 करोड़ रुपए था, जो कि 2020-21 के लिए संशोधित अनुमान आंकड़े का लगभग एक चौथाई है. बजटीय आवंटन (B.E) और संशोधित अनुमान (R.E.) के बीच इतना बड़ा अंतर 2020-21 में 'खाद्य सब्सिडी' पर खर्च के आंकड़े भी लेखांकन अभ्यास में परिवर्तन के कारण हुए, और 'अतिरिक्त-बजटीय उधार' मोड में बदलाव कर खर्च के अधिक पारदर्शी तरीके अपनाने की वजह से हुआ.

2021-26 के लिए 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि भारतीय खाद्य निगम (FCI) बॉन्ड, असुरक्षित अल्पकालिक ऋण और केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने वाले राष्ट्रीय लघु बचत निधि (NSSF) ऋण जैसे कई उपकरणों पर निर्भर करता है ताकि 'खाद्य सब्सिडी' के लिए बजटीय आवंटन में घाटे को कवर कर सके. यहां यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि मार्च 2020 तक एफसीआई पर एनएसएसएफ ऋण का बकाया स्टॉक लगभग 3.2 लाख करोड़ रुपए है.

इसलिए, 2020-21 में बजटीय आवंटन (B.E) (यानी 30,42,230 करोड़ रु) और संशोधित अनुमान (R.E.) (यानी 34,50,305 करोड़ रुपए) कुल सरकारी खर्च से संबंधित आकंड़ों के बीच इतना बड़ा अंतर (यानी लगभग 4,08,075 करोड़ रुपए) केंद्र सरकार द्वारा अपनी योजनाओं/कार्यक्रमों के वित्तपोषण के लिए अधिक पारदर्शी तरीके अपनाने और 'ऑफ-बजट वित्तपोषण' पर भरोसा करने के बजाय इसके राजकोषीय घाटे की रिपोर्ट करने की वजह से आया.

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2021-26 के लिए 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट द्वारा की गई सिफारिशें

तालिका -1 से पता चलता है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में केंद्र सरकार के अतिरिक्त-बजटीय संसाधनों का अनुपात 2016-17 और 2020-21 (B.E) के बीच 0.1 प्रतिशत से बढ़कर 0.8 प्रतिशत हो गया है. 2021-26 के लिए 15वें वित्त आयोग की मुख्य रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार ईबीआर की सूचना देने के अलावा अगले वर्ष तक के खर्चों को टालने के तौर पर ऑफ-बजट फाइनेंसिंग (जिसका विवरण पहले दिया जा चुका है) का सहारा ले रही है. केंद्र सरकार ने राजकोषीय खातों की विश्वसनीयता को बहाल करने के लिए 2019-20 से मध्यम अवधि की राजकोषीय नीति विवरण में अतिरिक्त बजटीय संसाधनों का विवरण शामिल करना शुरू किया.

तालिका 1: केंद्र सरकार का बकाया ऋण (GDP का प्रतिशत)

स्रोत: 1 फरवरी, 2021 को संसद के सामने प्रस्तुत की गई 2021-26 के लिए 15वें वित्त आयोग की मुख्य रिपोर्ट, अक्टूबर 2020,  देखने के लिए कृपया यहां क्लिक करें

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इससे पहले भारत की संस्था कैग ने साल 2018 की अपनी रिपोर्ट नं20 में केंद्र सरकार द्वारा राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम के अनुपालन पर केंद्र सरकार द्वारा ऑफ-बजट वित्तपोषण की गड़बड़ियों के बारे में बताया था. एनएसएसएफ के माध्यम से एफसीआई को वित्त पोषण सब्सिडी देने के लिए अल्पकालिक उधार लेने की प्रथा को खत्म करने और हाल ही में जारी वित्त आयोग की रिपोर्ट की सिफारिश करने के लिए खर्च के वर्ष में पूर्ण बजटीय प्रावधान किए जाने की आवश्यकता है. यह बताता है कि मौजूदा लेनदेन से उत्पन्न होने वाले खर्च को अतिरिक्त-बजटीय लेनदेन के संचित ऋणों से अलग करने की आवश्यकता है. केंद्र सरकार द्वारा प्रशासनिक और शासन सुधारों के माध्यम से अतिरिक्त संसाधन जुटाने की आवश्यकता है ताकि बकाया देनदारियों को दूर करने के लिए दुर्लभ संसाधन जारी किए जा सकें. खाद्य सब्सिडी और उर्वरक सब्सिडीदोनों के मामले में, यह सुझाव दिया गया है कि केंद्र सरकार को समयबद्ध तरीके से अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता को समाप्त करने के लिए मूल्य निर्धारण और प्रशासनिक/शासन सुधार करना चाहिए. 2018 के संशोधित राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम के अनुसार, कमी और ऋण की पारदर्शी रूप से रिपोर्ट करने की आवश्यकता है.

नई जारी 15वीं वित्त आयोग की रिपोर्ट में केंद्र सरकार को ऐसे उपायों को शुरू करने के लिए एक उचित योजना बनाने की सलाह दी गई है, जो समयबद्ध तरीके से बकाया अतिरिक्त बजटीय देनदारियों की अदायगी सुनिश्चित करेगी. संशोधित FRBM अधिनियम में 'केंद्र सरकार ऋण' की परिभाषा को, 2021-26 के लिए 15वें वित्त आयोग की नवीनतम उपलब्ध रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि केन्द्र और राज्यों के खातों में सभी सरकारी संस्थाओं और एजेंसियों / निगमों के ऋण शामिल होने चाहिए जो सार्वजनिक रूप से वितरित करते हैं केन्द्र या राज्य सरकारों की ओर से सेवाएँ, जिनमें सभी स्वायत्त निकाय, पैरास्टैटल्स, और संघ और राज्य-स्तरों पर अतिरिक्त-बजटीय निधि शामिल हैं.

2021-26 के लिए 15 वें आयोग आयोग की मुख्य रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय अनुभव से पता चलता है कि सरकार के सभी स्तरों पर अप्रभावी निगरानी से उत्पन्न हुए जोखिमों, विशेष रूप से उप-राष्ट्रीय सरकारों और 'सार्वजनिक क्षेत्र' के अतिरिक्त बजटीय उधार ने वित्तीय संकटों को समय-समय पर ट्रिगर किया है.

ईबीआर और एनएसएसएफ से ऋण के बारे में केंद्रीय बजट क्या कहता है?

वित्त मंत्री के बजट भाषण से पता चलता है कि भारत सरकार की योजनाओं/कार्यक्रमों के वित्तपोषण के लिए केंद्र सरकार की एजेंसियों की उधारी से संबंधित आंकड़े प्रदान करने के अलावा, और जिनके पुनर्भुगतान का बोझ सरकार पर था, सरकार द्वारा प्रदान किए गए FCI को ऋण के बारे में नवीनतम बजट में भी खुलासा किया गया है.

तालिका 2 (ए): अतिरिक्त-बजटीय संसाधनों (ईबीआर) का विवरण (सरकार पूरी तरह से सेवित बांड, एनएसएसएफ ऋण और अन्य संसाधन)

स्रोत: केंद्रीय बजट 2021-22, 1 फरवरी, 2021 का भाषण, देखने के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें.

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एक्स्ट्रा-बजटरी रिसोर्सेज (यानी टेबल -2 ए) का स्टेटमेंट बताता है कि सरकार द्वारा पूरी तरह से सेवित बॉन्ड जारी करने के जरिए जुटाई गई ईबीआर 2016-17 में 9,167.00 करोड़ रुपए, 2017-18 में 15,095.00 करोड़ रुपए, 2018-19 में 65,602.10 करोड़ रुपए, 2019-20 में 22,006.30 करोड़ रुपए, 2020-21 में 31,459.29 करोड़ रुपए (R.E.) और 2021-22 (B.E.) में शून्य है.

तालिका 2 (बी): एनएसएसएफ से ऋण के माध्यम से विस्तारित वित्तीय सहायता (रुपए करोड़ में)

स्रोत: केंद्रीय बजट 2021-22, 1 फरवरी, 2021 का भाषण, देखने के लिए कृपया यहाँ क्लिक करें.

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तालिका -2 बी से पता चलता है कि एनएसएसएफ से ऋण के माध्यम से विस्तारित वित्तीय सहायता 2016-17 में 70,000.00 करोड़ रुपए, 2017-18 में 73,000.00 करोड़ रुपए, 2018-19 में 97,000.00 करोड़ रुपए, 2019-20 में 1,26,310.00 रुपए, 2020-21 (R.E.) में 94,636.00 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.) में 30,000.00 करोड़ रुपए थी. ईबीआर और एनएसएसएफ से ऋण के माध्यम से कुल समर्थन रुपए 2016-17 में 79,167.00 करोड़ रुपए, 2017-18 में 88,095.00 करोड़ रुपए, 2018-19 में 1,62,602.10 करोड़ रुपए, 2019-20 में 1,48,316.13 करोड़ रुपए, 2020-21 (R.E.) में 1,26,095.29 करोड़ रुपए और 2021-22 (B.E.) में 30,000.00 करोड़ रुपए था.

 

References

Fifteenth Finance Commission Volume-I Main Report, Report for 2021-26, October 2020, presented to the Parliament on 1st February, 2021, please click here to access

All reports of Fifteenth Finance Commission for 2021-26, please click here to access

Notes on Demands for Grants, 2021-2022, Department of Food and Public Distribution, please click here to read more

Union Budget 2021-22 Speech dated 1st February, 2021, please click here to access

Video: Presentation of the Union Budget by Finance Minister Nirmala Sitharaman 2021-2022, Doordarshan National, please click here to access (accessed on 4 February, 2021)

Image Courtesy: Doordarshan National YouTube Channel, please click here to access

 



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