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चर्चा में.... | कोरोना के हाथों मारे गए पत्रकारों में भारत की स्थिति चिंताजनक
कोरोना के हाथों मारे गए पत्रकारों में भारत की स्थिति चिंताजनक

कोरोना के हाथों मारे गए पत्रकारों में भारत की स्थिति चिंताजनक

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published Published on May 8, 2021   modified Modified on May 8, 2021

क्या आप जानते हैं कि अबतक कितने पत्रकारों की जान कोविड महामारी के कारण जा चुकी है? स्विट्जरलैंड की मीडिया अधिकार और सुरक्षा से जुड़ी संस्थाय प्रेस एम्बलम कैम्पेन (PEC) ने कोरोना वायरस के चलते पत्रकारों की हुई मौत पर दुख जताते हुए एक बयान जारी किया है और बताया है कि दुनिया भर में हजार से ज्यादा पत्रकार कोरोना वायरस का शिकार हो चुके हैं और कुल 75 देशों के बीच भारत इस मामले में दूसरे नंबर पर है. 

पीईसी अनुसार 7 मई 2021 तक बीते 14 महीनों में 1267 से ज्यादा पत्रकारों की मौत दुनिया भर में हुई है. ये आंकड़ा 75 देशों का है जहां सारी मौतें कोविड-‍19 से जुड़ी जटिलताओं के चलते दर्ज की गयी हैं.

पीईसी के महासचिव ब्लेतस लेम्पेयन ने कहा, ‘’यह इस पेशे को हुआ अप्रत्याशित नुकसान है और कत्लेआम है. इसलिए प्रेस आजादी दिवस पर आह्वान करते हैं कि उन सभी प्रतिष्ठित पत्रकार साथियों को हम श्रद्धांजलि दें जो महामारी का शिकार हो गए.‘’

कोरोना के चलते पत्रकारों की मौत की दर अप्रैल में दुनिया भर में अचानक बढ़ी है. पीईसी के मुताबिक एक महीने के भीतर दुनिया भर में 126 पत्रकारों की मौत हुई है यानी प्रतिदिन चार पत्रकार. मीडियाकर्मियों की मौत से सबसे ज्यादा प्रभावित चार देश हैं- ब्राजील (189),  भारत (151), पेरू (140) और मेक्सिको (109).

अगले देश हैं: इटली 54, बांग्लादेश 52, कोलम्बिया 52, यूएसए 48, इक्वाडोर 47, यूनाइटेड किंगडम 28, डोमिनिकन गणराज्य 27, पाकिस्तान 26, तुर्की 24, अर्जेंटीना 22, ईरान 21, रूस 21, वेनेजुएला 17, पनामा 16, स्पेन 15, यूक्रेन 15, बोलीविया 14, मिस्र 14, होंडुरास 11, अफगानिस्तान 9, नाइजीरिया 9, दक्षिण अफ्रीका 9, फ्रांस 9, ग्वाटेमाला 8, नेपाल 7, निकारागुआ 7, उरुग्वे 6, केन्या 5, पराग्वे 5, क्यूबा 4, कैमरून 3, मोरक्को 3, साल्वाडोर 3, स्वीडन 3, जिम्बाब्वे 3, अल्जीरिया 2, ऑस्ट्रिया 2, बेल्जियम 2, कनाडा 2, घाना 2, इंडोनेशिया 2, कजाकिस्तान 2, इराक 2, पुर्तगाल 2, अजरबैजान 1, बेनिन 1, बोस्निया 1, बुल्गारिया 1, बुल्गारिया 1, चिली 1, चेकिया 1, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो 1, जर्मनी 1, गुयाना 1, इज़राइल 1, जमैका 1, जापान 1, जॉर्डन 1, किर्गिज़स्तान 1, लेबनान 1, लिथुआनिया 1, माली 1, मोल्दोवा 1, मोज़ाम्बिक 1, पोलैंड 1 , फिलीपींस 1, सऊदी अरब 1, स्विट्जरलैंड 1, टोगो 1, ताजिकिस्तान 1, यूएई 1, युगांडा 1.

अच्छी बात ये है कि इस बीच यूरोप और अमेरिका में पत्रकारों की मौत की दर कम हुई है, जिसका श्रेय वहां टीकाकरण और सुरक्षा उपायों को जाता है.

लैटिन अमेरिका सबसे अधिक प्रभावित

क्षेत्रवार देखें तो कोरोना के कारण पत्रकारों की मौत से सबसे ज्यांदा प्रभावित इलाका लैटिन अमेरिका का है जहां के 20 देशों में 673 यानी अब तक मारे गए पत्रकारों की आधी संख्या है. इस मामले में एशिया दूसरे स्थायन पर है जहां के 18 देशों में 256 पत्रकार इस महामारी का शिकार हुए हैं. फिर यूरोप के 19 देशों में 175 और अफ्रीका के 16 देशों में 56 मौतें हुईं. सबसे कम 47 पत्रकारों की मौतें अमेरिका (दो देश) में हुईं.
पीईसी के राष्ट्रीय प्रतिनिधि नवा ठाकुरिया के मुताबिक भारत में कोरोना काल में 148 पत्रकार मारे गए. उनके मुताबिक हो सकता है कि संख्या कहीं ज्यादा हो क्योंकि ये केवल दर्ज हुए आंकड़े हैं. पड़ोसी देश बांग्लादेश में अब तक कोरोना से कुल 52 पत्रकार मारे गए हैं, पाकिस्तान में 26, नेपाल में 7 और अफगानिस्तान में 9 पत्रकार और भूटान, श्रीलंका, मालदीव, म्यांनमार में कोरोना से एक भी पत्रकार की मौत की सूचना नहीं है.

स्त्रोत: प्रेस एम्बलम कैम्पेन (PEC) कोरोना डेथ ट्रैकर (डेटा 7 मई, 2021 तक)

मार्च 2020 की शुरुआत से, PEC ने दुनिया भर में कोविड-19 द्वारा मारे गए पत्रकारों की मौतों को ट्रैक करने के लिए एक कोरोना-ट्रैकर शुरू किया है. मीडिया कर्मियों की सुरक्षा इस संकट में विशेष रूप से जोखिम में है क्योंकि वह जमीनी स्तर से जानकारी आदान-प्रदान कर रहे हैं. अपना काम करते समय पर्याप्त सुरक्षात्मक उपायों की कमी के कारण उनमें से कई की मृत्यु हो गई. पीईसी ने फ्रंटलाइन पर काम कर रहे पत्रकारों के लिए शीघ्र टीकाकरण का अनुरोध किया है. पीइसी की टीम ने मृतकों के परिवारों और सहयोगियों के प्रति संवेदनाएं प्रकट की हैं.

पीईसी के महासचिव ब्लाइस लेम्पेन ने कहा, "पत्रकार जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं, जिसके कारण वायरस के संपर्क में आ रहे हैं और यह पेशे के लिए एक अभूतपूर्व नुकसान है क्योंकि उनमें से कई लोगों की मौत उनके काम करते समय पर्याप्त सुरक्षात्मक उपायों की कमी के कारण हुई. लेकिन वायरस के खिलाफ लड़ाई में मीडियाकर्मियों की महत्वपूर्ण भूमिका है. इसलिए उनकी सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए क्योंकि उन्हें जमीनी स्तर से जानकारी देना जारी रखना है.”

कुछ महत्वपूर्ण नामों में टीवी ऐंकर रोहित सरदाना, नीलाक्षी भट्टाचार्य, आयुष्माअन दत्त‍, मानस रंजन जयपुरिया, अमजद बादशाह, श्रीधर धर्मसानम, राजू मिश्रा, सदानंद शिंदे, काकोली भट्टाचार्य, कोंड्रा श्रीनिवास गौड़, साम्मी रेड्डी, आकाश सक्सेना, ख्वामजा मोइनुद्दीन, अनिल बसनोई, वेंगा रेड्डी, मादिराजू हरिकृष्णा गिरि, सैयद शाहबाज़, रामकृष्ण, अरुण पांडे, रुचिर मिश्रा, सुभ्रांशु शेखर मिश्रा, पीएल रज्जन, सुमित ओनका, प्रभु जोशी, राम नरेश त्रिपाठी, राजू सालवी, सत्य प्रकाश असीम, शशि बालिगा, प्रितिमन मोहपात्रा, अनिर्बान बोरा, कानू प्रिया, कल्याण बरूआ, अद्वैत प्रसाद बिस्वाल, देवेन्द्र सामंत्रे, रामेंद्र सिंह आदि पत्रकार शामिल हैं.

भारत के पीईसी के प्रतिनिधि नवीन ठाकुरिया ने कहा कि “भारत में कोविड -19 महामारी के कारण मीडियाकर्मियों की मौत की संख्या दर्ज की गई तुलना में अधिक होनी चाहिए. कई मामलों में मीडिया हाउस अपने स्वयं के पीड़ितों की रिपोर्टिंग करने से बचते हैं या बहुत सी गोपनीयता के साथ ऐसा करते हैं. हर दिन लगभग चार पत्रकारों को भारत खो रहा है और अगर यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो हमारा देश दुनियाभर में बहुत जल्द ही कोरोना से पत्रकारों की मौत की सूची में शीर्ष पर होगा.”

कमेटी अगेंस्ट असॉल्ट ऑन जर्नलिस्ट के सदस्य अभिषेक श्रीवास्त ने बताया, “दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में 27 पत्रकारों की सामूहिक शोकसभा रखी गयी थी. सभा में ‘कोरोना काल में दिवंगत हुए साथियों’ की सूची पढी गयी थी और सूची खत्म करते हुये शायद संचालक ने अपील की थी कि कोई नाम छूट गया हो तो बैठक में शामिल लोग जोड-जुडवा सकते हैं. उसके बाद भी कई नाम बताए गए. अव्वल तो यह संख्या बहुत कम हो सकती है क्योंकि ज्यादातर मौतें छोटे शहरों, कस्बों और गांवों में हो रही हैं इसलिए वे दर्ज होकर खबर नहीं बन पाती हैं. दूसरे, जो मौतें दर्ज हैं उनकी भी खबर नहीं बन पाती.”

भारतीय पत्रकारों के लिए खतरनाक रहा अप्रैल महीना

दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज के प्रोजेक्ट रेट द डिबेट द्वारा किए गए अध्ययन से पता चलता है कि भारत में अप्रैल 2021 में 90 पत्रकारों और मई 2021 के पहले छह दिनों में 24 पत्रकारों की मौत COVID -19 संक्रमण से हुई  है. अध्ययन के अनुसार 1 अप्रैल, 2020 से लेकर अभी तक (7 मई) भारत में कुल 171 पत्रकारों की मौत हुई है.

रेट द डिबेट अध्ययन के अनुसार, कोरोना से पत्रकारों की सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली और तेलंगाना में हुई हैं. उत्तर प्रदेश में 29, महाराष्ट्र 23, दिल्ली 23, तेलंगाना 21, ओडिशा 18, मध्य प्रदेश में 12 पत्रकारों की मौत हुई है.

कोविड-19 के कारण हुई पत्रकारों की मौत के राज्यवार आंकड़े

स्त्रोत: रेट द डिबेट अध्ययन (6 मई, 2021 तक के आंकड़े)

रेट द डिबेट अध्ययन में कोरोना से मीडियाक्रमियों की मौत को 1 अप्रैल 2020 से ट्रैक कर रहा है और आंकड़ों के सत्यापन के लिए तीन-चरणीय सत्यापन प्रक्रिया का पालन करता है:

1. संकलन - विभिन्न संगठनों द्वारा दिए गए सभी डेटा, नामों और सूचियों का संग्रह.
2. क्रॉस-चेक - स्थापित करना कि मौत COVID-19 से ही संबंधित है. कई मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से क्रॉस-चैक.
3. व्यक्तिगत कॉल - मीडिया हाउस, सहयोगियों, परिवार को कॉल करके पुष्टि करना.

अप्रैल 2021 में, प्रति दिन लगभग 3 मीडियाकर्मियों की मृत्यु कोरोना से हुई है, जबकि मई 2021 (7 मई तक का आंकड़ें) में, प्रति दिन लगभग 4 मीडियाकर्मियों की मृत्यु COVID-19 के कारण हुई है.

रेट द डिबेट की संस्थापक, डॉ. कोटा नीलिमा ने इस ट्रैकर में पत्रकार को इस तरह परिभाषित किया है, “यह परिभाषित करना कि वास्तव में "पत्रकार" की श्रेणी में कौन-कौन आता है, यह मुश्किल काम है. आजकल एक पत्रकार उसे समझा जाता है जो कैमरे के सामने बोलता है, या अखबारों में जिसकी बाइलाइन छपती है. परन्तु उस समाचार रिपोर्ट के पीछे एक पूरी टीम होती है जिसे आप टीवी पर देखते या अखबार में पढ़ते हैं, एक शोधकर्ता, एक कैमरामैन, एक तकनीशियन और विभिन्न अन्य विभाग. जो कोई भी इस खबर की प्रक्रिया में शामिल है, उसे एक पत्रकार के रूप में पहचाना जाना चाहिए.”

रेट द डिबेट के आंकड़ों में समाचार के क्षेत्र में काम करने वाले हर व्यक्ति को सम्मि लित किया गया है, जिसमें स्ट्रिंगर, फ्रीलांसर, फोटो जर्नलिस्ट और नागरिक पत्रकार शामिल हैं और उनकी मृत्यु को ध्यान में रखा गया है. 

रेट द डिबेट ने दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और यहां तक कि केंद्र सरकार जैसे विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी एक पत्र लिखा है, जिसमें सभी पत्रकारों को तत्काल टीकाकरण करने का आग्रह किया गया है. भले ही पत्रकारों को सूचनाओं को प्रेषित करने के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन उनकी गिनती फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में नहीं की जाती है. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इस महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार से पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर्स घोषित करने और प्राथमिकता टीकाकरण सुनिश्चित करने का आग्रह किया था.

भारत सरकार की संस्था प्रेस सूचना ब्यूरो ने पत्रकार कल्याण योजना के तहत विशेष अभियान चलाया है. पत्रकार कल्याण योजना (JWS) के तहत इस विशेष अभियान में प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) उन पत्रकारों के परिवारों की जानकारी एकत्रित कर रहा है जिनकी मौत कोविड-19 के कारण हुई है. पीआईबी की वेबसाइट पर निम्नलिखित जानकारियां सांझा करनी होंगी,

1. एक पत्रकार के रूप में काम करने का प्रमाण
2. डेथ सर्टिफिकेट और मेडिकल डॉक्यूमेंट जिसमें दिखाया गया हो कि पत्रकार की कोविड -19 के कारण मृत्यु हुई है.
3. परिवार के आय प्रमाण पत्र / आईटी रिटर्न का कोई प्रमाण

अतिरिक्त महानिदेशक, प्रेस सुविधाओं को संबोधित आवेदन, अपेक्षित दस्तावेजों के साथ PIB को prspib101@gmail.com या adgpf107@gmail.com पर मेल किया जा सकता है.

भारतीय पत्रकार कोरोना वायरस से बचाव के लिए क्या करें

भारत की वरिष्ठ पत्रकार मधु त्रेहन ने अपने लेखक्या-क्या करें भारतीय पत्रकार कोरोना वायरस से बचाव के लिए” में पत्रकारों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के कुछ जरूरी उपाय सुझाए हैं. उनके अनुसार रिपोर्टरों को ऐसे वक्त में फील्ड में उतरने से पहले क्या तैयारियां और ऐहतियात बरतना चाहिए:

1. ऐहतियात बरतने से ही बचाव संभव है. मास्क पहनिए और जैसे ही ये गीला हो जाए इसको बदल दी जिये. इसमें लगे इलास्टिक बैंड से इसको छूएं और सीधे-सीधे मास्क को हाथ न लगाएं. नया मास्क पहनने के लिए भी उसको इलास्टिक बैंड से ही छूएं. आपको एन-95 मास्क आपकी कंपनी द्वारा मिलना चाहिए.
2. अपने साथ हर समय हैंड सैनिटाइज़र रखें. जितनी बार हो सके अपने हाथों को साबुन से धोएं और फिर सैनिटाइज़र लगाएं. अगर पानी न मिले तो वाइप्स द्वारा हाथ साफ़ करके फिर सैनिटाइज़र का उपयोग करें. अपने हाथों को बार-बार नियमित अंतराल पर धोएं. जो भी सैनिटाइज़र आप इस्तेमाल कर रहे हैं उसमें कम से कम 70 प्रतिशत अल्कोहल की मात्रा होनी ही चाहिए औरअपने मोबाइल फ़ोन को भी सैनिटाइज़ करना ना भूलें.
3. जब भी कोई राजनेता कोई बयान दे रहा हो, तो आप सब आपस में यह तय कर लें कि आप लोग आपस में कम से कम छः फ़ीट की दूरी बना कर रखेंगे. घेरा बना कर ना खड़े हों जिससे कि आप सबके कपड़े एक दूसरे से ना छूएं. यह कितना संभव है यह तो मुझे नहीं पता लेकिन हमारे सामने नई मुसीबत आन पड़ी है इसलिए खुद को बचाने के लिए हमें इस तरह के नए नियमों को मानना पड़ेगा. इससे भी बेहतर होगा कि आप नेताओं को डिजिटल प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए राजी करलें जहां पत्रकार अपने प्रश्न लाइव पूछ लें. आज के दौर में ऐसा करने के लिए हमारे पास पर्याप्त तकनीक उपलब्ध है.
4. माइक को बिलकुल ना छूएं. यदि संभव हो तो माइक की सफाई करें और उन्हें वापस करते समय डिसइंफेक्ट करें. माइक छूने के बाद अपने हाथों को धोएं और सैनिटाइज़ करें. सभी उपकरण खासकर ट्राइपॉड को भी साफ करके उसे डिसइंफेक्ट करें.
5. क्लिप-ऑनमाइक का प्रयोग करने से बचें. जितना संभव होडाइरेक्शनल माइक का उपयोग करें. अपनी कंपनी को बताएं कि ये सब जरूरी है.
6. अगर आप किसी प्रदूषित जगह पर हैं तो अपने उपकरणों को फर्श पर ना रखें. हाथ में पकड़ कर ही इस्तेमाल करें.
7. हर एक असाइनमेंट के बाद अपने कपड़े तुरंत बदल दें. हो सके तो नहा भी लें. अपने कपड़ों को गर्म पानी से धोएं और उनको डिसइंफेक्ट करें. बाहर आने जाने के लिए एक जोड़ी जूते जो कि अपने दरवाजे के बाहर ही रखें. जब भी हो सके उनको भी धोएं. घर के अंदर पहनने के लिए एक जोड़ी जूते या चप्पल अलग रखें.
8. अगर आप सार्वजानिक परिवहन का उपयोग कर रहे हैं, तो जैसे ही आप उससे उतरें, तुरंत अपने हाथों पर सैनिटाइज़र लगाएं और हाथ साफ़ करें. अपने हाथों से अपने चेहरे को न छूएं.
9. किसी भी असाइनमेंट के दौरान स्थानीय रूप से पके हुए भोजन का ही प्रयोग करें.
10. अपने दफ्तर में मास्क पहन कर रखें. आपको कोई अंदाज़ा नहीं है कि कौन कहां-कहां गया है और कौन इसकी चपेट में आ चुका है.
11. किसी प्रेस कांफ्रेंस में यह प्रयास करें की दो लोगों के बैठने के बीच में कम से कम एक सीट खाली हो. अगर यह संभव नहीं है तो यथासंभव दूरी बना कर खड़े हों.
12. बीच बीच में फल खाते रहे, स्वस्थ आहार लेते रहें और भोजन करना ना भूलें चाहे असाइनमेंट का कितना ही दबाव क्यों न हो.
13. जितना हो सके उतना फ़ोन और इंटरनेट पर काम करें. कम से कम अगले कुछ हफ़्तों लिए जितना हो सके उतना कम बाहर निकलें और खतरे से खुद को बचाएं.
14. आपको अपने न्यूज़रूम के अंदर भी स्वच्छता बनाये रखनी है. जहां आप बैठे हैं उस टेबल को दिन में कम से कम दो बार सैनिटाइज़र से साफ़ करें.सभी लैपटॉप, डेस्कटॉप, मशीन इत्यादि को डिसइंफेक्ट करते रहना चाहिए.
15. सबसे जरूरी यह है कि अगर आपको ज़रा सा भी यह महसूस हो कि आपमें कोरोना वायरस के लक्षण हैं तो अपने कार्यालय को तुरंत बताएं और खुद को सेल्फ-आइसोलेट कर लें.

सोसाइटी ऑफ़ प्रोफेशनल जर्नलिस्ट ने भी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए कई संस्थानों द्वारा जारी किए गए सुरक्षा उपायों की एक लिस्ट जारी की है. देखने के लिए यहां क्लिक करें.  

References
https://pressemblem.ch/-1.shtml

https://pressemblem.ch/pec-news.shtml

https://ipsdelhi.org.in/

https://ipsdelhi.org.in/wp-content/uploads/2021/05/Journalist-Deaths-COVID19-List-2-1.pdf

https://hindi.newslaundry.com/2020/03/23/coronavirus-indian-journalist-safety

https://www.firstpost.com/india/52-journalists-died-in-india-due-to-covid-19-in-last-28-days-101-in-last-one-year-finds-study-9576731.html

www.journaliststoolbox.org/2021/04/30/pandemic-field-reporting-safety/

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/Special%20drive%20under%20Journalist%20Welfare%20Scheme.pdf

Image Courtesy: PEC



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