Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 150
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 151
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
चर्चा में.... | बुंदेलखंड क्षेत्र के बच्चे कुपोषण की दोहरी मार झेल रहे हैं
बुंदेलखंड क्षेत्र के बच्चे कुपोषण की दोहरी मार झेल रहे हैं

बुंदेलखंड क्षेत्र के बच्चे कुपोषण की दोहरी मार झेल रहे हैं

Share this article Share this article
published Published on Jan 25, 2022   modified Modified on Feb 27, 2022

पिछले समाचार अलर्ट में, हमने बुंदेलखंड क्षेत्र में कुपोषण की समस्या को 3 संकेतकों के हिसाब से देखा था - 5 साल से कम उम्र के बच्चों का अनुपात जो स्टंटिंग से ग्रस्त हैं (उम्र के हिसाब से कम लंबाई); 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का अनुपात जो वेस्टिंग के शिकार हैं (लंबाई के हिसाब से कम वजन); और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का अनुपात जो अंडरवेट (आयु के हिसाब से कम वजन) हैं. हालांकि, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के आंकड़ों से यह भी संकेत मिलता है कि इस क्षेत्र में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में अधिक वजन के साथ-साथ बच्चों में गंभीर कुपोषण और एनीमिया जैसे गंभीर कुपोषण मौजूद हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, कुपोषण की दो चरम सीमाएँ स्वास्थ्य के लिए गंभीर ख़तरा पैदा कर रही हैं. ये हैं कम पोषण और मोटापा, जिससे व्यकित विशेष, परिवारों और आबादी में जीवन भर अधिक वजन और मोटापे, या आहार से संबंधित गैर-संचारी रोगों के सह-अस्तित का खतरा है.

कुपोषण के मुद्दे से बुंदेलखंड लगातार झूझ रहा है, उसको समझने के लिए, हमने वर्तमान समाचार अलर्ट में तीन अलग-अलग संकेतकों के रुझानों को लिया है - 5 साल से कम उम्र के बच्चों का अनुपात जो गंभीर रूप से वेस्टिंग (लंबाई के हिसाब से कम वजन); 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का अनुपात जो अधिक मोटे हैं (लंबाई के हिसाब से अधिक वजन); और 6-59 महीने की आयु के बच्चों का अनुपात जो एनीमिक हैं (<11.0 g/dl).

यह गौरतलब है कि मध्य भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के सात जिले और मध्य प्रदेश के छह जिले शामिल हैं. चित्रकूट, बांदा, झांसी, जालौन, हमीरपुर, महोबा और ललितपुर जिले, जो बुंदेलखंड क्षेत्र का हिस्सा हैं, उत्तर प्रदेश में स्थित हैं. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जिले छतरपुर, टीकमगढ़, दमोह, सागर, दतिया और पन्ना हैं. ऐतिहासिक रूप से सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक के रूप में माने जाने वाले बुंदेलखंड ने लंबे समय तक सूखे, कम औद्योगिक विकास, अत्यधिक गरीबी और प्रशासन की उदासीनता का अनुभव किया है. आजीविका के साधन नहीं होने के कारण लोग इस क्षेत्र से पलायन करने को मजबूर हैं.

गंभीर रूप से वेस्टिंग का शिकार हुए पांच साल से कम उम्र के बच्चों का अनुपात

एनएफएचएस के हाल ही में जारी आंकड़ों से पता चलता है कि पूरे देश के लिए, साल 2015-16 और 2019-21 के बीच गंभीर रूप से वेस्टिंग का शिकार 5 साल से कम उम्र के बच्चों का प्रतिशत 7.5 प्रतिशत से बढ़कर 7.7 प्रतिशत हो गया है, यानी +0.2 प्रतिशत अंक की मामूली बढ़ोतरी. जबकि मध्य प्रदेश में 5 साल से कम उम्र के गंभीर रूप से वेस्टिंग का शिकार होने वाले बच्चों का प्रतिशत 2015-16 और 2020-21 के बीच 9.2 प्रतिशत से घटकर 6.5 प्रतिशत हो गया है (यानी -2.7 प्रतिशत अंक) की कमी. इसी दौरान उत्तर प्रदेश में यह 6.0 प्रतिशत से बढ़कर 7.3 प्रतिशत हो गया है (अर्थात, +1.3 प्रतिशत अंक की बढ़ोतरी). कृपया चार्ट-1 देखें.

एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 के बीच छतरपुर (-1.4 प्रतिशत अंक), दमोह (-2.8 प्रतिशत अंक), दतिया (-1.4 प्रतिशत अंक), पन्ना (-2.1 प्रतिशत अंक), सागर (-0.5 प्रतिशत अंक), और टीकमगढ़ (-0.3 प्रतिशत अंक) जिलों में 5 साल से कम उम्र के गंभीर रूप से वेस्टिंग से ग्रस्त बच्चों के प्रतिशत में कमी आई है.

चित्रकूट (-2.7 प्रतिशत अंक), हमीरपुर (-3.9 प्रतिशत अंक), जालौन (-5.8 प्रतिशत अंक), झांसी (-0.6 प्रतिशत अंक), और ललितपुर (-9.4 प्रतिशत अंक) जिलों में गंभीर रूप से वेस्टिंग से ग्रसित 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का प्रतिशत एनएफएचएस -4 और एनएफएचएस -5 के बीच कम हो गया हैं, जबकि इसी दौरान बांदा (+6.3 प्रतिशत अंक) और महोबा (+5.3 प्रतिशत अंक) जिलों में गंभीर रूप से वेस्टिंग से ग्रसित 5 साल से कम उम्र के बच्चों के प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है.

2015-16 और 2020-21 के बीच बुंदेलखंड के 13 जिलों में से सिर्फ दो में, गंभीर रूप से वेस्टिंग से ग्रसित 5 साल से कम उम्र के बच्चों का अनुपात बढ़ गया है.

2020-21 में मध्य प्रदेश के राज्यस्तरीय आंकड़े (6.5 फीसदी) की तुलना में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में गंभीर वेस्टिंग की व्यापकता दतिया (6.8 फीसदी), पन्ना (7.9 फीसदी) और टीकमगढ़ (7.3 फीसदी) में अधिक है. 2020-21 में उत्तर प्रदेश के राज्यस्तरीय आंकड़े (7.3 प्रतिशत) की तुलना में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में गंभीर वेस्टिंग की व्यापकता बांदा (13.0 प्रतिशत), चित्रकूट (12.0 प्रतिशत), हमीरपुर (10.7 प्रतिशत), जालौन (8.5 प्रतिशत), झांसी (10.4 प्रतिशत), ललितपुर (7.5 प्रतिशत) और महोबा (11.7 प्रतिशत) में अधिक है.

नोट: कृपया उपरोक्त चार्ट के डेटा को स्प्रैडशीट प्रारूप में एक्सेस करने के लिए यहां क्लिक करें

स्रोत: मध्य प्रदेश --

District Factsheet: Chhatarpur, Madhya Pradesh, NFHS-5, 2020-21, Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access 
***
District Factsheet: Damoh, Madhya Pradesh, NFHS-5, 2020-21, Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access 
***
District Factsheet: Datia, Madhya Pradesh, NFHS-5, 2020-21, Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access 
***
District Factsheet: Panna, Madhya Pradesh, NFHS-5, 2020-21, Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access 
***
District Factsheet: Sagar, Madhya Pradesh, NFHS-5, 2020-21, Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access

***
District Factsheet: Tikamgarh, Madhya Pradesh, NFHS-5, 2020-21, Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access 
***
Madhya Pradesh Factsheet, NFHS-5, 2020-21, Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access 

---

Uttar Pradesh -- 

District Factsheet: Banda, Uttar Pradesh, NFHS-5, 2020-21, Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access 
***
District Factsheet: Chitrakoot, Uttar Pradesh, NFHS-5, 2020-21, Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access 
***
District Factsheet: Hamirpur, Uttar Pradesh, NFHS-5, 2020-21, Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access 
***
District Factsheet: Jalaun, Uttar Pradesh, NFHS-5, 2020-21, Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access 
***
District Factsheet: Jhansi, Uttar Pradesh, NFHS-5, 2020-21, Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access 
***
District Factsheet: Lalitpur, Uttar Pradesh, NFHS-5, 2020-21, Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access  
***

District Factsheet: Mahoba, Uttar Pradesh, NFHS-5, 2020-21, Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access 

***
Uttar Pradesh Factsheet, NFHS-5, 2020-21, Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access  

---

India Factsheet, NFHS-5, 2019-21, Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access  

-----

गंभीर वेस्टिंग की विशेषता है शरीर में वसा और मांसपेशियों के ऊतकों का भारी नुकसान. गंभीर रूप से वेस्टिंग से ग्रस्त होने वाले बच्चे लगभग बुढ़ों जैसे दिखने लगते हैं और उनके शरीर बेहद पतले और कंकाल जैसे हो जाते हैं. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के एक दस्तावेज में कहा गया है कि अगर कम अवधि के लिए आहार में कमी होती है, तो शरीर कुछ हद तक घाटे की भरपाई के लिए अपने चयापचय (मेटाबोलिज्म) को अपना लेता है. यदि भोजन की कमी लंबे समय तक बनी रहती है तो वसा का उपयोग ऊर्जा और शरीर के मेटाबोलिजम के लिए किया जाता है और मांसपेशियां खत्म हो जाती हैं. गंभीर रूप से वेस्टिंग से ग्रस्त बच्चों की वसा और मांसपेशियां खत्म हो जाता है और सिर्फ "त्वचा और हड्डियां" रह जाती हैं और शरीर कंकाल की तरह दिखाई देता है. इस स्थिति के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक और शब्द “मरास्मस” है. कोई भी बच्चा जिसमें निम्नलिखित विशेषताएं हैं, उन्हें गंभीर तीव्र कुपोषण (एसएएम) के रूप में माना जाता है:

* लंबाई के हिसाब से कम वजन -3 एसडी से कम और/या

* दृश्यमान गंभीर वेस्टिंग और/या

* मध्य भुजा परिधि (एमयूएसी) <11.5 सेमी और/या

* दोनों पैरों की एडिमा; हालांकि, एडिमा के अन्य कारण के लिहाज से नेफ्रोटिक सिंड्रोम को बाहर रखा जाना चाहिए.

6-59 महीने की उम्र के बच्चों में एनीमिया की व्यापकता

पूरे देश में, साल 2015-16 और 2019-21 के दौरान एनीमिया से पीड़ित 6-59 महीने की आयु के बच्चों का प्रतिशत 58.6 प्रतिशत से बढ़कर 67.1 प्रतिशत हो गया है, यानी +8.5 प्रतिशत अंक की बढ़ोतरी. जबकि मध्य प्रदेश में, 2015-16 और 2020-21 के बीच एनीमिया से पीड़ित 6-59 महीने के बच्चों का प्रतिशत 68.9 प्रतिशत से बढ़कर 72.7 प्रतिशत (यानी +3.8 प्रतिशत अंक) हो गया है. इसी दौरान उत्तर प्रदेश में यह 63.2 प्रतिशत से बढ़कर 66.4 प्रतिशत हो गया है, यानी (यानी +3.2 प्रतिशत अंक) की बढ़ोतरी. कृपया चार्ट-2 देखें.

एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 के बीच छतरपुर (+21.0 प्रतिशत अंक), दमोह (+0.6 प्रतिशत अंक), पन्ना (+6.3 प्रतिशत अंक), सागर (+15.9 प्रतिशत अंक), और टीकमगढ़ (+0.4 प्रतिशत अंक) जिलों में एनिमिया से ग्रसित 6-59 आयु वर्ग के बच्चों के प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है. हालांकि,  2015-16 और 2020-21 के बीच दतिया जिले (-0.4 प्रतिशत अंक) में, एनीमिया से ग्रसित 6-59 महीने की आयु के बच्चों के प्रतिशत में गिरावट आई है.

एनएफएचएस -4 और एनएफएचएस -5 के बीच चित्रकूट (-17.2 प्रतिशत अंक), जालौन (-29.6 प्रतिशत अंक), झांसी (-7.5 प्रतिशत अंक), ललितपुर (-19.8 प्रतिशत अंक), और महोबा (-7.5 प्रतिशत अंक) जिलों में एनीमिया से पीड़ित 6-59 महीने आयु वर्ग के बच्चों के प्रतिशत में कमी आई है, जबकि इसी दौरान बांदा (+19.5 प्रतिशत अंक) और हमीरपुर (+13.0 प्रतिशत अंक) जिलों में एनीमिया से पीड़ित 6-59 महीने की आयु के बच्चों के प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है.

आंकड़ों के मुताबिक, 2015-16 से 2020-21 के बीच बुंदेलखंड में आने वाले 13 में से सात जिलों में एनीमिया से पीड़ित 6-59 महीने की उम्र के बच्चों का प्रतिशत बढ़ा है.

2020-21 में मध्य प्रदेश (72.7 प्रतिशत) के राज्यस्तरीय औसत की तुलना में छतरपुर (87.2 प्रतिशत), दमोह (76.3 प्रतिशत), दतिया (72.8 प्रतिशत), पन्ना (74.5 प्रतिशत) और सागर (83.3 प्रतिशत) में 2020-21 में 6-59 महीने के बच्चों में एनीमिया का प्रसार अधिक है. इसी दौरान उत्तर प्रदेश (66.4 प्रतिशत) के राज्यस्तरीय औसत की तुलना में 6-59 महीने के बच्चों में एनीमिया का प्रसार बांदा (82.2 प्रतिशत), हमीरपुर (68.5 प्रतिशत), झांसी (70.3 प्रतिशत) और महोबा (70.1 प्रतिशत) में अधिक है.

नोट: कृपया उपरोक्त चार्ट के डेटा को स्प्रैडशीट प्रारूप में एक्सेस करने के लिए यहां क्लिक करें

हीमोग्लोबिन ग्राम प्रति डेसीलीटर (g/dl) में. बच्चों में, व्यापकता ऊंचाई के लिए समायोजित की जाती है.

स्रोत: चार्ट-1 के समान

---

महामारी विज्ञान के आंकड़ों के अभाव में, 59 महीने की उम्र तक के बच्चों में 11 ग्राम/डीएल से कम हीमोग्लोबिन (एचजीबी) को असामान्य माना जाता है. पूर्वस्कूली उम्र के बच्चों में एनीमिया का आकलन करने के लिए हीमोग्लोबिन (एचजीबी) स्तर को स्वर्ण मानक माना जाता है. पूर्वस्कूली उम्र के बच्चों में एनीमिया गैर-घातक स्वास्थ्य परिणामों और विकलांगता (वाईएलडी) के कारण जीवन की निम्न गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार है. रुग्णता और मृत्यु दर पर एनीमिया के पूर्ण प्रभाव को स्थापित करना मुश्किल है. हालांकि, यह सर्वविदित है कि बचपन में एनीमिया बिगड़ा हुआ बाल विकास और खराब संज्ञानात्मक क्षमताओं से जुड़ा है. शोध से पता चलता है कि कम वजन और कम मातृ पोषण स्थिति के अलावा परिवारों की सामाजिक आर्थिक स्थिति भी भारत में बच्चों में एनीमिया के उच्च प्रसार का कारण बनती है.

5 साल से कम उम्र के बच्चों में अधिक वजन की व्यापकता

भारत के मामले में, 5 वर्ष से कम उम्र के अधिक वजन वाले बच्चों का प्रतिशत 2015-16 और 2019-21 के बीच 2.1 प्रतिशत से बढ़कर 3.4 प्रतिशत हो गया है, यानी +1.3 प्रतिशत अंक की बढ़ोतरी. मध्य प्रदेश में 5 साल से कम उम्र के अधिक वजन वाले बच्चों का प्रतिशत 2015-16 और 2020-21 के बीच मामूली रूप से 1.7 प्रतिशत से बढ़कर 2.0 प्रतिशत हो गया है (यानी +0.3 प्रतिशत अंक) की बढ़ोतरी, जबकि उत्तर प्रदेश में इसी दौरान यह पहले से अधिक बढ़ गया है ( 1.5 प्रतिशत से 3.1 प्रतिशत) (यानी +1.6 प्रतिशत अंक की बढ़ोतरी). कृपया चार्ट-3 पर एक नजर डालें.

एनएफएचएस -4 और एनएफएचएस -5 के बीच छतरपुर (+0.2 प्रतिशत अंक), दमोह (+0.5 प्रतिशत अंक), दतिया (+1.1 प्रतिशत अंक), पन्ना (+1.0 प्रतिशत अंक), और सागर (+0.3 प्रतिशत अंक) जिलों में मोटापे का शिकार 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है, जबकि इसी दौरान टीकमगढ़ जिले में (-0.5 प्रतिशत अंक) मोटापे का शिकार 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के प्रतिशत में कमी आई है.

हालांकि 2015-16 और 2020-21 के बीच चित्रकूट (+5.7 प्रतिशत अंक), हमीरपुर (+7.1 प्रतिशत अंक), जालौन (+1.9 प्रतिशत अंक), झांसी (+2.6 प्रतिशत अंक), ललितपुर (+6.2 प्रतिशत अंक), और महोबा (+3.2 प्रतिशत अंक) में जिलों में मोटापे का शिकार 5 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों का प्रतिशत बढ़ा है, जबकि इसी दौरान बांदा जिले में (-3.7 प्रतिशत अंक) मोटापे का शिकार 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का प्रतिशत कम हो गया है.

साल 2015-16 और 2020-21 के बीच बुंदेलखंड क्षेत्र के 13 जिलों में से ग्यारह में मोटापे का शिकार 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का अनुपात बढ़ा है.

2020-21 में मध्य प्रदेश (2.0 प्रतिशत) के राज्यस्तरीय औसत की तुलना में मोटापे का शिकार पांच साल से कम उम्र के बच्चों का प्रसार दमोह (2.4 प्रतिशत), दतिया (2.8 प्रतिशत), पन्ना (2.4 प्रतिशत) और सागर (2.3 प्रतिशत) में अधिक है. इसी दौरान उत्तर प्रदेश (3.1 प्रतिशत) के राज्यस्तरीय औसत की तुलना में बांदा (6.3 फीसदी), चित्रकूट (6.7 फीसदी), हमीरपुर (9.1 फीसदी), झांसी (3.3 फीसदी), ललितपुर (6.7 फीसदी), और महोबा (5.0 फीसदी) में मोटापे का शिकार पांच साल से कम उम्र के बच्चों का अनुपात अधिक है.

नोट: कृपया उपरोक्त चार्ट के डेटा को स्प्रैडशीट प्रारूप में एक्सेस करने के लिए यहां क्लिक करें

डब्ल्यूएचओ मानक के आधार पर +2 मानक विचलन से ऊपर।

स्रोत: चार्ट-1 के समान

---

समान लंबाई और लिंग के 0 से 59 महीने की उम्र के बच्चों में लंबाई के हिसाब से डब्ल्यूएचओ बाल विकास मानक +2 एसडी (मानक विचलन) से अधिक वजन हो तो उसे ओवरवेट कहा जाता है. गंभीर ओवरवेट (+3 एसडी से ऊपर) को मोटापा कहा जाता है. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के अनुसार, बच्चों के साथ-साथ किशोरों में इसके गंभीर रूप (मोटापा) सहित अधिक वजन, निम्नलिखित का परिणाम है: 1) व्यक्तिगत कारक जो जीवन के दौरान शारीरिक प्रक्रियाओं, खाद्य वरीयताओं और शारीरिक गतिविधि पैटर्न को नियंत्रित करते हैं; और 2) एक ओबेसोजेनिक वातावरण जो उच्च ऊर्जा सेवन और गतिहीन व्यवहार को बढ़ावा देता है. अधिक वजन बच्चों के तत्काल शारीरिक और भावनात्मक कल्याण को प्रभावित करता है. यह जीवन में बाद में अधिक वजन होने, गैर-संचारी रोगों से जुड़ी एक स्थिति, और व्यक्तियों, परिवारों और समाज के लिए काफी स्वास्थ्य और आर्थिक नुकसान के जोखिम को भी बढ़ाता है. अधिक वजन कुपोषण का एक रूप है. यह अलगाव में नहीं होता है और न ही यह केवल कुछ लोगों या कुछ देशों में होता है. वास्तव में, कुपोषण के विभिन्न रूप (यानी, स्टंटिंग, वेस्टिंग, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, अधिक वजन और आहार से संबंधित गैर-संचारी रोग) एक ही देश (या क्षेत्र), एक ही समुदाय और यहां तक ​​कि एक ही परिवार या व्यक्ति में एक साथ पाए जा सकते हैं.

एनएफएचएस-5 के बारे में

कृपया ध्यान दें कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण पांचवें दौर (एनएफएचएस -5) के चरण- I के लिए फील्डवर्क जून 2019-जनवरी 2020 के दौरान आयोजित किया गया था, और परिणाम (यानी, 22 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के लिए तथ्य पत्रक, और बाद में विस्तृत रिपोर्ट) और जिला स्तर की फैक्टशीट) दिसंबर 2020 में जारी की गई. जिन 22 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का पहले चरण में सर्वेक्षण किया गया, वे हैं आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, अंडमान निकोबार द्वीप, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख और लक्षद्वीप हैं.

एनएफएचएस -5 के चरण- II के लिए फील्डवर्क जनवरी 2020-अप्रैल 2021 के दौरान आयोजित किया गया था, और परिणाम (यानी, 14 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों / जिलों के साथ-साथ भारत के लिए तथ्य पत्रक) नवंबर 2021 में जारी किए गए थे. दूसरे चरण में जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का सर्वेक्षण किया गया, उनमें अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं.

 

References

The DHS (Demographic and Health Surveys) Program, National, State and Union Territory, and District Fact Sheets 2019-21 National Family Health Survey NFHS-5 (English), USAID, please click here and here to access  

Participant Manual for Facility Based Care of Severe Acute Malnutrition (2013), Ministry of Health and Family Welfare, please click here to access  

Types of Acute Malnutrition, Action against hunger, please click here to access  

Double burden of malnutrition, World Health Organisation, please click here to access  

Haemoglobin cut-off values for the diagnosis of anaemia in preschool-age children -Ehab Hamed, Mohamed Ahmed Syed, Bayan Faleh Alemrayat, Syed Hammad Anwar Tirmizi, and Ahmed Sameer Alnuaimi (2021), American Journal of Blood Research, 11(3): 248–254, Published online 2021 Jun 15, please click here to access  

Prevalence of anaemia among 6- to 59-month-old children in India: the latest picture through the NFHS-4 -Susmita Bharati, Manoranjan Pal and Premananda Bharati (2019), Journal of Biosocial Science, Published online by Cambridge University Press:  20 May 2019, please click here to access  

UNICEF Programming Guidance: Prevention of Overweight and Obesity in Children and Adolescents, published in August 2019, please click here to access

Bundelkhand: Building on Partnership -Rakesh Singh, Pradan (NGO), NewsReach March–April 2015, please click here to access 

Union Health Ministry releases NFHS-5 Phase-II Findings, Press Information Bureau, Ministry of Health and Family Welfare, 24 November, 2021, please click here to access 

Phase-I Findings, National Family Health Survey-5, Press Information Bureau, Ministry of Health and Family Welfare, 15 December, 2020, please click here to access 

News alert: The under-nutrition problem in Bundelkhand should receive equal attention of the policymakers, if not more, Inclusive Media for Change, Published on Dec 26, 2021, please click here to access  

A close reading of the NFHS-5, the health of India -Ashwini Deshpande, The Hindu, 27 November, 2021, please click here to read more

 

Image Courtesy: UNDP India



Related Articles

 

Write Comments

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close