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चर्चा में.... | अपनों के हाथो दुर्व्यवहार के शिकार हो रहे हैं बुजुर्ग- नई रिपोर्ट
अपनों के हाथो दुर्व्यवहार के शिकार हो रहे हैं बुजुर्ग- नई रिपोर्ट

अपनों के हाथो दुर्व्यवहार के शिकार हो रहे हैं बुजुर्ग- नई रिपोर्ट

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published Published on Jun 23, 2014   modified Modified on Jun 23, 2014

परिवार-जन के हाथो दुर्व्यवहार का शिकार होने वाले बुजुर्गों की संख्या में बढोत्तरी हो रही है और उनमें से ज्यादातर मदद के लिए चलायी जा रही पुलिस हैल्पलाइन के बारे में जानते हैं, तो भी वे मदद के लिए यह तरीका नहीं अपनाते। इस विचित्र लगते तथ्य की क्या व्याख्या हो सकती है ?

 

दुर्व्यवहार के शिकार बुजुर्गों के सर्वेक्षण पर आधारित नई रिपोर्ट एल्डर्स एब्यूज इन इंडिया के अनुसार साल 2014 में दुर्व्यवहार के शिकार बुजुर्गों की संख्या(50प्रतिशत) में पिछले साल(23 प्रतिशत) के मुकाबले तेज इजाफा हुआ है। इनमें से ज्यादातर बुजुर्ग(67 प्रतिशत) पुलिस हैल्पलाइन के बारे में आगाह थे लेकिन मात्र 12 फीसदी ने पुलिस को सूचित किया। (देखें नीचे दी गई लिंक)

 

क्या इसकी एक बड़ी वजह यह हो सकती है कि ज्यादातर बुजुर्ग भावनात्मक रुप से अपने परिवार पर निर्भर हैं और वे अपने साथ हो रहे दुर्व्यवहार के बारे में पुलिस को सूचित करके परिवार के रहे-सहे आसरे से वंचित नहीं होना चाहते ? 8 राज्यों के 12 छोटे-बड़े शहरों के कुल 1200 बुजुर्गों के सर्वेक्षण पर आधारित है हैल्पेज इंडिया की रिपोर्ट के तथ्यों का एक इशारा इस और भी है।

 

रिपोर्ट के अनुसार परिवार-जन से पीड़ित 46 फीसदी बुजुर्गों ने अपने साथ होने वाले ऐसे बरताव के प्रमुख कारण की पहचान करते हुए कहा कि वे परिवार-जन पर भावनात्मक रुप से निर्भर होने के कारण उनके हाथो दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं। परिवार की बहू((61%) और बेटा (59%) इस मामले में बुजुर्गों की नजर में सर्वाधिक दोषी करार पाए गए लेकिन लेकिन रिपोर्ट के अनुसार तकरीबन 41 प्रतिशत बुजुर्ग इसके बारे में किसी से कहना ठीक नहीं समझते जबकि 21 फीसदी बुजर्गों का मानना था कि पीढ़ीगत स्नेह-सबंधों को मजबूत करना और नयी पीढ़ी को उसके दायित्वों के प्रति सवेदनशील बनाना इस समस्या से निबटने का एक कारगर उपाय हो सकता है।

 

बहरहाल, बुजुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार के मामले में परिवारजन पर उनकी भावनात्मक निर्भरता को एक निर्णायक कारण मानना ठीक नहीं। रिपोर्ट में ध्यान दिलाया गया है कि 45 फीसदी बुजुर्ग अपने साथ होने वाले दुर्व्यवहार का प्रमुख कारण परिवार-जन पर आर्थिक रुप से निर्भर रहना है और अधिकतर बुजुर्गों(30फीसदी) की सोच है कि दुर्व्यवहार की समस्या से निपटने के लिए उनका आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर होना एक प्रभावकारी उपाय सिद्ध हो सकता है।

 

गौरतलब है कि साल 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 60 साल या इससे अधिक उम्र के बुजुर्गों की संख्या तकरीबन 10 करोड़ है। भारत सरकार के एक आधिकारिक आकलन(देखें लिंक) के अनुसार देश में आर्थिक रुप से परिवारजन(बेटे-बहू) पर निर्भर बुजुर्गों की संख्या 85 प्रतिशत है जबकि 2 प्रतिशत बुजुर्ग इससे आगे की पीढ़ी(नाती-पोते) पर आर्थिक रुप से निर्भर है।

 

भारत में मात्र 60 साल या इससे ज्यादा उम्र की कुल आबादी की आर्थिक रुप से खस्ताहाल है। टाइम्स ऑव इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार 60 साल और इससे ज्यादा उम्र की आबादी में शामिल लोग प्रतिव्यक्ति प्रतिमाह 124 रुपये ही खर्च कर पाने की स्थिति में है। इस तथ्य को देखते हुए आर्थिक रुप से परिवारजन पर निर्भर बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाओं में हो रही वृद्धि खासी चिन्ताजनक है। गौरतलब है कि यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड की एक रिपोर्ट के अनुसार बुजुर्गों की संख्या के मामले में भारत का स्थान विश्व में दूसरा है और भारत में बुजुर्गों की 75 फीसदी तादाद ग्रामीण इलाकों में रहती है तथा तकरीबन एक तिहाई बुजुर्ग गरीबी-रेखा से नीचे जीवन बसर करते हैं।

 

हैल्पेज इंडिया की रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य-

 

हेल्पेज इंडिया द्वारा प्रस्तुत इस रिपोर्ट के तथ्यों के अनुसार :

 

 • साल 2014 में बुजुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की घटनाओं में तेज इजाफा हुआ। पिछले (साल के 23 प्रतिशत से बढ़कर 2014 में 50 प्रतिशत)

 

 • दुर्व्यवहार के शिकार 46 फीसदी बुजुर्गों ने अपने साथ होने वाले ऐसे बरताव के प्रमुख कारण की पहचान करते हुए कहना है कि दुर्व्यवहार करने वाले पर उनकी भावनात्मक निर्भरता थी इसलिए वे दुर्व्यवहार के शिकार हुए। 45 फीसदी बुजुर्गों ने कहा कि दुर्व्यवहार का प्रमुख कारण दुर्व्यवहार करने वाले पर आर्थिक रुप से निर्भर रहना है जबकि 38 प्रतिशत बुजुर्गों ने कहा कि दुर्व्यवहार के लिए बदलती मान-मर्यादाओं जिम्मेवार हैं।

 

 •दुर्व्यवहार के अंतर्गत अपशब्द का प्रयोग (41%), अवमानना (33%) और उपेक्षा (29%) का बरताव सर्वाधिक पाया गया।

 

 • बुजुर्गों से सर्वेक्षण के दौरान दुर्व्यहार करने वाले व्यक्ति के रुप में अपने परिवार के सदस्यों को लक्ष्य करने के लिए कहा गया। परिवार की बहू((61%) और बेटा (59%) इस मामले में बुजुर्गों की नजर में सर्वाधिक दोषी करार पाए गए। यही रुझान पिछले साल के सर्वेक्षण में भी पाया गया था। सर्वेक्षण में 77 फीसदी ऐसे बुजुर्ग शामिल थे जो अपने परिवारजन के साथ रहते हैं।

 

 • सर्वेक्षण में बड़े शहरों(टायर-1) में दिल्ली में बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार के मामले सबसे कम(22 प्रतिशत) पाए गए लेकिन ध्यान देने की बात यह भी है कि पिछले साल के सर्वेक्षण में दिल्ली में बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार के मामले 20 फीसदी पाए गए थे। बड़े शहरों में बंगलुरु बुजुर्गों से दुर्व्यवहार के मामले में सबसे आगे(75 प्रतिशत) है। छोटे शहरों(टायर-2) में कानपुर में बुजुर्गों से दुर्व्यवहार के मामले सर्वाधिक कम(13 प्रतिशत) पाए गए जबकि नागपुर(85 प्रतिशत) में सबसे ज्यादा।

 

दुर्व्यवहार का शिकार होने वाले बुजुर्गों में महिलाओं की तादाद(52 प्रतिशत) पुरुषों(48 प्रतिशत) से ज्यादा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार के मामले तो बढ़े हैं लेकिन तकरीबन 41 प्रतिशत बुजुर्ग इसके बारे में किसी से कहना ठीक नहीं समझते।

 

 • दुर्व्यवहार के बारे में किसी से ना कहने को लेकर कारण के रुप में एक रोचक तथ्य रिपोर्ट से यह निकलकर सामने आता है कि बड़े शहरों में किसी व्यक्ति अथवा संस्था में इसे समस्या से निपटने के लिए जरुरी आत्मविश्वास की कमी है, और यह भी कि बुजुर्गों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार की समस्या से कैसे निपटा जाये इसके बारे में जानकारी की कमी है।

 

 •सर्वेक्षण में शामिल ज्यादातर बुजुर्ग(67 फीसदी) पुलिस हैल्पलाईन के बारे में जानते थे। दुर्व्यवहार क शिकार बुजुर्गों में से 67 प्रतिशत पुलिस हैल्पलाइन के बारे में आगाह थे लेकिन उनमें से मात्र 12 फीसदी ने पुलिस को सूचित किया।

 

 • राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो अधिकतर बुजुर्गों(30फीसदी) का मानना था कि दुर्व्यवहार की समस्या से निपटने के लिए उनका आर्थिक रुप से आत्मनिर्भर होना एक प्रभावकारी उपाय सिद्ध हो सकता है। 21 फीसदी बुजर्गों का कहना था कि पीढ़ीगत स्नेह-सबंधों को मजबूत करना और नयी पीढ़ी को उसके दायित्वों के प्रति सवेदनशील बनाना एक कारगर उपाय हो सकता है। केवल 14 प्रतिशत बुजुर्गों ने कहा कि स्वसहायता समूह इस मामले में मददगार हो सकते हैं।

 

 • टायर-1 और टायर-2 शहरों के कई बुजुर्गों का कहना था कि विधिक रिपोर्टिंग और शिकायत निवारण की प्रणाली विकसित करने से बुजुर्गों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की समस्या से एक हद तक निजात मिल सकती है।

 इस कथा के विस्तार के लिए देखें निम्नलिखित लिंक-

 एल्डर्स एब्यूज इन इंडिया

http://www.im4change.orghttps://im4change.in/siteadmin/tin
ymce//uploaded/Elder%20Abuse%20in%20India%202014.pdf

 

 

Report on Status of Elderly in Select States of India, 2011

 

http://india.unfpa.org/?publications=5828

 

 

MAGNITUDE AND SPEED OF POPULATION AGEING

 

http://www.un.org/esa/population/publications/worldageing1
9502050/pdf/80chapterii.pdf

Situation Analysis of The Elderly in India,2011

 

http://mospi.nic.in/mospi_new/upload/elderly_in_india.pdf

 

Government spends just Rs 124 each on 10 crore people aged 60 years and above

 

http://timesofindia.indiatimes.com/india/Government-spends
-just-Rs-124-each-on-10-crore-people-aged-60-years-and-abo
ve/articleshow/27697251.cms



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