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चर्चा में.... | एक अच्छी खबर बाल-मृत्यु के मोर्चे से
एक अच्छी खबर बाल-मृत्यु के मोर्चे से

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published Published on Mar 1, 2016   modified Modified on Mar 1, 2016
बच्चों के जन्म और पोषण के मोर्चे से एक अच्छी खबर आई है.

 

नये आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि वर्ष 2004-06 से 2010-13 के बीच 1 साल से कम उम्र में काल-कवलित होने वाले बच्चों की संख्या में कमी आई है.

 

नये आंकड़े भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय के हैं. इन आंकड़ों में 2010-13 के बीच सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के जरिए दर्ज मौतों को आधार बनाया गया है.

जनगणना आयुक्त कार्यालय के नये आंकड़ों के मुताबिक 1 साल से कम उम्र में काल-कवलित होने वाले बच्चों की संख्या 2004-06 में 14.9 प्रतिशत थी जो साल 2010-13 में घटकर 10.3 प्रतिशत हो गई.

 

5 साल और इससे कम आयु में मौत के शिकार होने वाले बच्चों की संख्या में भी कमी के रुझान हैं. इस आयु-वर्ग में बच्चों की मृत्यु की संख्या का अनुपात समान अवधि में 19.4 प्रतिशत से घटकर 12.5 प्रतिशत हो गया.

 

5-14 साल के आयु-वर्ग के बच्चों की मृत्यु का अनुपात 3.3 प्रतिशत घटकर 1.9 प्रतिशत रह गया है.(आयु-वर्ग के हिसाब से मृत्यु की घटना में आई आनुपातिक कमी के लिए देखें अंग्रेजी न्यूज एलर्ट का ग्राफ)

 

जन्म से चार साल तक की उम्र के बच्चों के बीच मौत की सबसे बड़ी वजह महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय के नये आंकड़ों में जन्म के समय शिशु के वज़न का कम होना, निमोनिया, डायरिया सहित अन्य संक्रामक रोगों प्रसवकालीन अन्य स्थितियों को बताया गया है.

 

बहरहाल, जनगणना आयुक्त कार्यालय के नये आंकड़ों के विश्लेषण से यह बात भी जाहिर होती है कि 30-69 साल के आयु-वर्ग में साल 2004-06 से 2010-12 के बीच मृत्यु का अनुपात बढा है. गौरतलब है कि भारत की 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी 30 साल या इससे ज्यादा उम्र की है.

 

साल 2010-13 के तकरीबन 1.83 लाख मौतों के मुआयने(वरवल ऑटोप्सी) के आधार पर नये आंकड़ों में बताया गया है कि ना-संक्रामक रोगों से होने वाली मौतों की संख्या में इजाफा हुआ है. साल 2001-03 में ना-संक्रामक रोगों से होने वाली मौतों की तादाद 42.4 प्रतिशत थी जो साल 2004-06 में बढ़कर 45.4 प्रतिशत और साल 2010-13 में 49.2 प्रतिशत हो गई।

 

हृदय एवं रक्ततंत्रिका संबंधी रोग( कार्डियोवास्क्युलर डिजीज) मौत की प्रमुख वजह बनकर उभरे हैं. साल 2010-13 में कार्डियोवास्क्युलर रोगों से होने वाली मृत्यु की तादाद कुल मौतों में 23.3 थी जबकि 2004-06 में 19.9 प्रतिशत.

 

जनगणना आयुक्त के कार्यालय के नये आंकड़ों से प्रकट होने वाले कुछ प्रमुख तथ्य :

 

• साल 2004-06 से 2010-13 के बीच हुई कुल मौतों में शिशु-मृत्यु का अनुपात कम हुआ है.

 

• 5 साल और इससे कम आयु में मौत के शिकार होने वाले बच्चों की संख्या में भी कमी के रुझान हैं. इस आयु-वर्ग में बच्चों की मृत्यु की संख्या का अनुपात 2004-06 से 2010-13 के बीच 19.4 प्रतिशत से घटकर 12.5 प्रतिशत हो गया

 

• 5-14 साल के आयु-वर्ग के बच्चों की मृत्यु का अनुपात 3.3 प्रतिशत घटकर 1.9 प्रतिशत रह गया है.

 

• 15-29 आयु-वर्ग में होने वाली मृत्यु का अनुपात 2004-06 में 6.8 प्रतिशत था. मामूली कमी के साथ साल 2010-13 में यह अनुपात घटकर 6.6 प्रतिशत हो गया.

 

• 30-69 साल के आयु-वर्ग में मृत्यु का अनुपात साल 2004-06 से 2010-12 के बीच 39.9 प्रतिशत से बढ़कर 43.4 प्रतिशत हो गया.

• 70 साल और इससे ज्यादा की उम्र वाले आयु-वर्ग में मृत्यु का अनुपात 2004-06 के 31.0 प्रतिशत से बढ़कर 2010-13 में 35.7 प्रतिशत हो गया है.

 

• 14 साल तक की उम्र वाले आयु-वर्ग में मृत्यु का अनुपात शहरी इलाके की अपेक्षा ग्रामीण इलाके में ज्यादा है.

 

• संक्रामक रोग, प्रसव-पूर्व और प्रसव-बाद की स्थितियों तथा पोषणगत कारणों से 2010-13 में महिला की मृत्यु संख्या का अनुपात पुरुषों की तुलना( महिलाओं के लिए 30.4 प्रतिशत पुरुषों के लिए 25.7 प्रतिशत) में ज्यादा रहा.

 

• साल 2010-13 में चोट-चपेट के कारण होने वाली मृत्यु का अनुपात पुरुषों में 12.4 प्रतिशत रहा जबकि महिलाओं में 8.4 प्रतिशत.

• प्रीमैच्योरिटी और जन्म के समय शिशु के वज़न का मानक से कम होना नवजातों के बीच होने वाली मृत्यु की तकरीबन 50 प्रतिशत मामलों में प्रमुख वजह है. साल 2004-06 में मृत्यु के शिकार हुए नवजातों में 37.4 प्रतिशत उपर्युक्त वजह से काल-कवलित हुए जबकि साल 2010-13 में 48.1 प्रतिशत.

 

इस कथा के विस्तार के लिए निम्नलिखित लिंक देखें--

 

District Level Household and Facility Survey-4 (2012-13), Ministry of Health and Family Welfare, https://nrhm-mis.nic.in/SitePages/DLHS-4.aspx 

National Family Health Survey-4 (2015-16), Ministry of Health and Family Welfare and International Institute of Population Sciences,http://rchiips.org/nfhs/factsheet_NFHS-4.shtml 

National Family Health Survey-3 (2005-06), Ministry of Health and Family Welfare and International Institute of Population Sciences,http://rchiips.org/nfhs/report.shtml 

Statistical Year Book (India) 2016, Ministry of Statistics and Programme Implementation, please click here to access 

Chapter 45: Millennium Development Goals in Statistical Year Book (India) 2016, Ministry of Statistics and Programme Implementation, pleaseclick here to access

MDG India Country Report 2015, Ministry of Statistics and Programme Implementation, please click here to access 

India Health Report: Nutrition 2015 by Public Health Foundation of India, Transform Nutrition and UK Aid, please click here to access
 

Rapid Survey on Children 2013-14 (provisional data), Ministry of Women and Child Development, please click here to access
 

One-third of West Bengal kids stunted & underweight, informs NFHS-4, please click here to access
 

Doubts over Maharashtra's Nutritional Progress? please click here to access

 

IFPRI report shows under-nutrition has fallen, please click here to access 

Child Malnutrition declining, though not fast enough, please click here to access 

MDGs: A neglected agenda for inclusiveness, please click here to access 

India's MDG Score Card: Glass Half Full or Half Empty?, please click here to access 

 

Suppression of Child Malnutrition Survey Data to Shield Gujarat -Amit Sengupta, Newsclick.in, 9 July, 2015, please click here to access  

 

(पोस्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर साभार- यूएनडीपी) 



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